होली का जश्न होगा वृंदावन में इस दिन से शुरू, रंग में रंगने को ऐसे बनाएं प्लान: Holi Festival of Vrindavan
Holi Festival of Vrindavan

Holi Festival of Vrindavan: भारत के विभिन्न त्योहारों में से होली एक अति प्रमुख और विशिष्ट त्योहार है। रंगों की बौछार के साथ और हवा में उड़ता अबीर और गुलाल के रंगों में रंगकर अगर आप होली का खास अनुभव करना चाहते हैं, तो आप ब्रज क्षेत्र में जाना ही होगा। भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा के भक्तों द्वारा बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व प्रेम का प्रतीक है। ऐसे में श्यामा श्याम एक निज धाम, ब्रज क्षेत्र में इसे विशिष्ट ढंग से मनाया जाता है। आइए जानते हैं, ब्रज में होली उत्सव की शुरुआत कब से होती है और इस पर्व को कैसे मनाया जाता है।

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दुनिया में सबसे अनोखा और खूबसूरत होता है ब्रज का होली उत्सव: Holi Festival of Vrindavan

इस दिन से होती है ब्रजोत्सव की शुरुआत

Holi Festival of Vrindavan
Brajotsav

ब्रजोत्साव यानिकि ब्रज क्षेत्र में होली का त्योहार बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना, गोवर्धन आदि सभी जगहों पर श्रीकृष्ण और राधा रानी के भक्त इस उत्सव को भक्ति के एक अलौकिक भाव के साथ मनाते हैं। ब्रज की होली देखने लायक होती है, इसी कारण हर साल लाखों भक्त होली मानने ब्रज में आते हैं। कहा जाता है, जिसने अपने जीवन की एक भी होली ब्रज में नहीं मनाई उसने कभी भी वास्तविक होली का अनुभव ही नहीं किया। ब्रज क्षेत्र में भगवान श्री राधा कृष्ण को पहला गुलाल बसंत पंचमी को लगाया जाता है। पीत वस्त्र धारण किए श्यामा श्याम को जब पहला गुलाल बसंत पर लगता है, तो ब्रज में होरी उत्सव की शुरुआत होती है।

आज बिरज में होरी रे रसिया

ब्रज में होरी गाई भी जाती है और जमकर खेली भी जाती है। दरअसल होरी के गीतों और पदों को गाते हुए, भक्तगण भक्ति में मग्न होकर होली का यह पावन उत्सव मनाते है। वसंत से शुरू होने वाली यह होली ब्रज के प्रत्येक मंदिर में चालिस दिन तक मनाई जाती है। ब्रज के प्रत्येक मंदिर में गुलाल और फूलों के साथ भगवान अपने भक्तों पर खूब रंग बरसाते हैं। पिचकारी मारकर भगवान यहां होली का महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

सब जग होरी ब्रज में होरा

ब्रज की होली और जगह की होली से बहुत अलग होती है, इसलिए कहा जाता है “सब जग होरी, ब्रज में होरा…”।यहां कि होली सिर्फ रंगों से नहीं खेली जाती बल्कि यहां होली पर लड्डू बरसाए जाते हैं। यहां तक कि डंडे और लाठी की बरसात के साथ भी यहां होली मनाई जाती है। ब्रज का ये खास होरी उत्सव मनमोहक होता है। फाग आमंत्रण के बाद जब ठाकुर जी राधा रानी के पास जाते हैं, तो सब सखियों संग मिलकर ठाकुरानी, श्रीराधा रानी, कृष्ण कन्हैया को रंग में रंग डालती हैं।

मोहे रंग दो, रंग में श्याम के

अगर आप ब्रज की होली में जाना चाहते हैं तो ये मिस न करें। 17 और 18 मार्च को बरसाना के लाडली जी के महल में लड्डुमार होली होगी। 19 मार्च को नंदगांव में लठमार होली मनाई जाएगी ।20 मार्च को बिहारी जी के मंदिर में फूलों की होली, 21 को गोकुल की होली होगी। जबकि 23 मार्च को गोपीनाथ मंदिर में विधवाओं की विशेष होली होगी।

मैं रेनुका गोस्वामी, विगत पांच वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। डिजिटल पत्रकारिता में एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और हेल्थ पर लेखन का अनुभव और रुचि है, वर्तमान में गृहलक्ष्मी टीम का हिस्सा हूं। पत्रकारिता में स्नातक...