कुशा घास को क्यों मानी जाती है इतनी पवित्र ?: Kusha Grass
Kusha Grass


Kusha Grass: दुर्बा या कुशा घास, भारत और इसके आसपास के क्षेत्रों में पाई जाने वाली घास की एक प्रजाति है I इसे डेस्मोस्टैच्या बिपिन्नाटा के नाम से भी जाना जाता है I इस घास के तने लंबे और पतले होते हैं और इसमें गुच्छेदार फूल होते हैं I हिंदू धर्म के अनुसार इसे पवित्र माना जाता है व इसका उपयोग उस स्थान को शुद्ध करने के लिए किया जाता है जहां पूजा, यज्ञ या धार्मिक कार्यों का आयोजन होता है I पूजा के दौरान इस घास के बंडल बनाकर जल के बर्तनों में रखा जाता है I ऐसा माना जाता है कि यह घास नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करके पूजा-पाठ के लिए एक पवित्र वातावरण बनाती है I

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दुर्बा घास का महत्व

Kusha Grass
Durva Or Kusha Grass

• विवाह रस्मों के दौरान महिलाओं द्वारा दुर्बा घास से बनी बेल्ट पहनना शुभ माना जाता है I इसी तरह ब्रह्मचारी अपने आध्यात्मिक दीक्षा समारोह ( उपनयनम ) के दौरान इस पवित्र घास से बनी बेल्ट पहनते हैं I

• पूजा के दौरान पुजारी व अन्य लोग इस घास से बने छल्ले पहनते हैं I इन्हें दरभा पवित्रम के नाम से जाना जाता है I ऐसा माना जाता है कि यह अंगूठियां आपको नकारात्मक ऊर्जा से बचाती हैं और आपकी प्रार्थनाओं को प्रभावी बनाती हैं I

• पितरों के तर्पण जैसे अनुष्ठानों में भी दुर्बा घास का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है I इस घास के बंडल बनाकर इसका उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है I जल आदि भी इसी घास के द्वारा चढ़ाया जाता है I

• ग्रहण के दौरान कुशा घास का उपयोग खान-पीने की चीज़ें , विशेष कर अचारों को शुद्ध करने के लिए किया जाता है I ग्रहण की अवधि को अशुद्ध माना जाता है और इसलिए इस दौरान खाना बनाना, खाना और अन्य कामो से परहेज किया जाता है I

दुर्बा घास से जुड़ी कुछ प्रचलित कथाएं

एक समय की बात है, वृत्रासुर नाम के शक्तिशाली राक्षस ने देवताओं को आतंकित कर रखा था I इंद्र का शक्तिशाली हथियार वज्रा युद्ध भी उसे हरा नहीं पा रहा था I यह देखकर ब्रह्मा ने वज्रा युद्ध को अपने कमंडल में डाल कर निकाला और इंद्र को फिर से हमला करने के लिए कहा I इस बार राक्षस हार गया I क्रोध में आकर उसने दुनिया से जल को खत्म करने की कोशिश की I इस पर ब्रह्मा ने जल निकायों को पवित्र दुर्बा घास में बदल दिया I इसी वजह से धार्मिक कार्यों में शुद्धि के लिए यह शुभ मानी जाती है

एक अन्य कथा के अनुसार गरुण ने अपनी मां को दासता से मुक्त कराने की कोशिश की और स्वर्ग से अमरता प्रदान करने वाला अमृत लेकर आये I शुरुआत में गरुण का इंद्र और देवताओं के साथ मतभेद था लेकिन बाद में उन्होंने उनसे मित्रता कर ली I अपनेपन के रूप में उन्होंने इंद्र को अमृत वाला बर्तन दिया I ऐसा करते वक्त अमृत की कुछ बूँदे बर्तन के नीचे दुर्बा घास पर गिर गई जिससे वह हमेशा के लिए पवित्र हो गई I पुराणों के अनुसार यह भी बताया जाता है कि दुर्बा घास को चाटने के बाद सांप की जीभ क्यों द्विभाजित हो जाती है I

मेरा नाम दिव्या गोयल है। मैंने अर्थशास्त्र (Economics) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और उत्तर प्रदेश के आगरा शहर से हूं। लेखन मेरे लिए सिर्फ एक अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज से संवाद का एक ज़रिया है।मुझे महिला सशक्तिकरण, पारिवारिक...