मानसून की शुरूआत हो गई है। अगर मानसून की बीमारियों का बात करें तो खासतौर पर बच्चों में इस मौसम में फोड़े-फुंसी निकलने आम हैं। फोड़े फुंसी हालांकि दिखने में काफी छोटे लगते हैं पर यदि इनका इलाज समय से और सावधानीपूर्वक न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले लेते हैं। इनका इलाज देसी विधि द्वारा ज्यादा प्रभावी एवं सफल है, इसलिए यहां हम कुछ देसी तरीके बता रहे हैं जो फोड़े-फुंसी के इलाज में विशेष रूप से प्रभावी हैं।
- खस, चन्दन और मुलहठी को दूध में पीसकर लेप करें।
- अरबी के पत्तों को जलाकर उसकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े ठीक हो जाते हैं।
- गाजर को उबालकर उसकी पोटली बनाकर बांधने से जख्म अच्छे होते हैं।
- पीपल की छाल पीसकर लगाने अथवा उसके दूध का फाहा लगाने से फोड़ें-फुंसियों से राहत मिलती है।
- मेथी की पोटली बांधने से फोड़े की सूजन कम होती है और दर्द भी कम होता है।
- नीम की छाल को पीसकर बनाया गया लेप दिन में दो-तीन बार लगाने से फोड़े -फुंसी ठीक हो जाते हैं, लाभ न होने तक प्रयोग जारी रखें।
- सहजन की जड़ का लेप और सेंक करें।
- बड़ की जटाएं, नीम की छाल, गेंदा की पत्ती, तुलसी के बीज पीसकर लेप करें।
- बबूल की छाल और कत्था -इनका काढ़ा बनाकर उसके पानी में कपड़ा भिगोकर बांधे।
- मूली के बीज, शलजम की बीज, अलसी, तिल, राई, अरंडी के बीज , बिनौले, सरसों, सन के बीज इन्हें पीसकर गुनगुना लेप करें।
- आक की जड़, तम्बाकू के पत्ते, लहसुन-इन्हें पीस लें व गुनगुना कर लेप करें।
- नीम विषैले फोड़ों, पुरानी त्वचा की व्याधि, कोढ़ तथा किसी भी प्रकार के रोगाणु के आक्रमण में फायदा करता है।
- जौ, गेहूं और मूंग को घी में पीसकर लेप करें।
- नीम के तेल की मालिश समस्त प्रकार के फुंसी-फोड़े, खुजली आदि में लाभदायक होती है। इसकी छाल, फूल, पत्ते, बीज व तेल का प्रयोग अधिक किया जाता है।
- पुनर्नवा के मूल का काढ़ा पीने से कच्चा फोड़ा और मूढ़ फोड़ा भी मिट जाता है।
इन्हें भी देखें-
