कर्म को आध्यात्म में प्रधान बोला गया है। लेकिन इसे अगर न्यूटन के फॉर्मुले से जोड़ा जाए तो दोनों ही गणित समान होंगे। जिस तरह से जीवन में उतार और चढ़ाव लगे रहते हैं, ठीक इसी तरह न्यूटन के फॉर्मुले भी जीवन के चक्र के अनुसार ही घूमते हैं। न्यूटन का कहना है कि किसी भी क्रिया का विपरीत परिणाम या प्रतिक्रिया ही मिलती है। जैसे कि आपके द्वारा की गई सकारात्मक या नकारात्मक क्रिया आपको वैसा ही परिणाम देती हैं।
न्यूटन के फॉर्मुले बिल्कुल आध्यात्म के नियमों के समानुपात ही हैं। क्या हैं न्यूटन के वो 12 फॉर्मुले क्या हैं जानते हैं –
1-जैसा करोगे, वैसा पाओगे
न्यूटन के गणित के मुताबिक जैसा अंक दोगे वैसा ही परिणाम आएगा। कहने का तात्पर्य यह है कि जैसा बोगे वैसा ही काटोगे। कर्म को इससे संबधित ही देखा जाता है। किसी व्यक्ति के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के लिए किए गए कर्म ही उसे अच्छा और बुरा बनाती है। आपने जैसा किया है लौटकर आपको वापस वैसा ही मिलेगा।
2.सृष्टि का नियम
सृष्टि का नियम है कि आप अभी जो कुछ भी हैं उसे बनाने पूरे यूनिवर्स ने आपकी मदद की है। कुल मिलाकर बात यह है कि अगर आप जो भी कर रहे हैं उसमें प्रकृति का कोई रहस्य छिपा हुआ है। आप पॉजिटिव ऊर्जा के घेरे में हैं पूरी कायनात आपको लक्ष्य ले जाने के लिए तैयार है। उस पर ध्यान दें।
3.विनम्रता का नियम
विनम्र होना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। विनम्र बनें। निगेटिव व्यक्ति से दूर रहने के बजाए अगर आप अपनी पॉजिटिविटी से उसे सकारात्मक विचारों का बना सकें तो यह सार्वभौम आपके इस किए गए कर्म को वापस सकारात्मक ही देता है।
4. विकास का नियम
यूनिवर्सल का विकास बाहरी दुनिया से तो होता ही है साथ ही में आंतरिक दुनिया से भी होता है। अगर आप आध्यात्म की तरफ उन्मुख होना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि आप बाहरी स्थान, वस्तु या व्यक्ति को बदलें। बदलना है तो आप अपने आपको बदलें। तभी आपका वास्तविक विकास होगा।
5.जिम्मेदारी का नियम
जिम्मेदार होना हमे सार्वभौम ही सिखाता है। जिम्मेदारी के भी नियम होते है। यह आपके स्वभाव को दर्शाता है।
6.कनेक्शन का नियम
भूतकाल, भविष्काल और वर्तमान तीनों एक-दूसरे के पूरक हैं। आपने जो भूत में जो किया है उसका असर वर्तमान से होकर भविष्य पर पड़ता है। तीनों की कनेक्टिविटी न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण के फॉर्मुले को सिद्ध करती है।
7.ध्यान का नियम
ध्य़ान से तात्पर्य यहां व्यक्ति विशेष के बारे में है। अगर आप आध्यात्मिक हैं तो एक समय में सिर्फ एक ही विचार आपके मन आ सकता है। अगर लालच या लोभ आपके मन में आता है तो आपका ध्यान केंद्रित नहीं है।
8. सम्मान दोगे, सम्मान पाओगे
कुछ नियम ऐसे होते हैं जो हमेशा वैसे ही रहते हैं जैसे थे। जैसे कि अगर आप किसी को सम्मान देंगे तो आपको भी सम्मान मिलेगा। यह यूनिवर्सल है, इसमें कभी कोई बदलाव नहीं हो सकता।
9.अब यह नहीं हो सकता
यह काम अब नहीं होगा या हमसे नहीं होगा, न्यूटन कहते हैं कि व्यक्ति में यह सोच होना कॉमन है। जब संतुलित चीजों में कुछ भी किसी चीज का घर्षण होता है तो उसमें गति होती है और जब गति होती है तो वह रिएक्ट करता है। रिएक्शन अच्छा और बुरा दोनो ही प्रकार का हो सकता है। आध्यात्म में यही चीजें व्यक्ति में बेचैनी और घबराहट उत्पन्न करती है। तभी व्यक्ति को लगने लगता है कि अब उससे यह कार्य नहीं होगा।
10.परिवर्तन
परिवर्तन प्रकृति का नियम होता है। न्यूटन के फॉर्मुले के अनुसार चीजों को बैलेंस में रखने से उसमें तनाव नहीं बनता है। इसलिए प्रकृति इतिहास को दोहराती है और वर्तमान में परिवर्तन लाती है।
11.धैर्य और पुरस्कार
धैर्य ही आपका सबसे वास्तविक पुरूस्कार होता है। किसी विचार पर तुरंत रिएक्शन करना आपकी छवि को बिगाड़ता है और बनाता भी है। धैर्य से आपकी मनोवृत्ति भी झलकती है। धैर्य का फल हमेशा मीठी होता है।
12.महत्व और प्रेरणा
मूल्यों का सही प्रयोग और योग्यता के अनुसार उपयोगिता का होना आपके महत्व को बढ़ाता है। नीति के अनुसार कर्म तभी सफल होता है जब आप उसे अपने जीवन का आधार बना लेते हैं। किसी भी कर्म को करने से पहले उसके परिणाम का आंकलन कर उसका परिदृश्य दिखाना ही आपकी महत्ता को बढ़ाता है। और आप तभी किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत बनते हैं।
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