जानें कैसे हुई थी लहसुन-प्याज की उत्पत्ति? ऐसी है पौराणिक कथा: Onion and Garlic Katha
Onion and Garlic Katha

Onion and Garlic Katha: आजकल ज्यादातर लोग अपने भोजन में प्याज और लहसुन का सेवन करते हैं। यह कहना कोई गलत नहीं होगा ही लहसुन और प्याज भोजन का स्वाद बढ़ा देते हैं। लेकिन कुछ लोगों को लहसुन और प्याज की आदत इस कदर लग चुकी है कि उन्हें बिना लहसुन और प्याज का भोजन भाता ही नहीं है। वहीं, अक्सर आपने लोगों को यह कहते सुना होगा या फिर देखा होगा की व्रत में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।

वहीं, साधु संत भी प्याज और लहसुन का सेवन करने से बचते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लहसुन और प्याज में ऐसा क्या है जो इसे व्रत में नहीं खाया जा सकता? कुछ लोगों का मानना है कि लहसुन-प्याज का सेवन करना अधर्म है। यहां तक की कुछ लोग तो इसे मांसाहारी श्रेणी में रखते हैं। आज हम आपकों इस लेख के द्वारा बताएंगे की क्यों व्रत में लहसुन और प्याज का सेवन करने से मना किया जाता है साथ ही साथ बताएंगे कि लहसुन और प्याज कहां से उत्पन्न हुए तो चलिए जानते हैं।

जानें पौराणिक कथा

Onion and Garlic Katha
Onion and Garlic Katha

लहसुन और प्याज के उत्पन्न होने के पीछे कई पौराणिक कथाओं का वर्णन किया गया हैं। जिसमें ऐसा कहा गया है कि समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत पान को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद हुआ। तब यह सब देखकर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को बांटने का काम किया। जब भगवान विष्णु इस रूप में अमृत बांट रहे थे। तब एक राक्षस ने पाया कि मोहिनी सिर्फ देवताओं को ही अमृत पान बाट रही हैं। तब उस राक्षस ने अपनी चाल चली और देवता का रूप धारण करके देवताओं की पंक्ति में जाकर खड़ा हो गया, जिससे की उसे अमृत मिल सके।

लेकिन सही समय पर देवता सूर्य और चंद्र ने उस राक्षस को पहचान लिया और भगवान विष्णु के पास जाकर उस राक्षस के छल कपट के बारे में बता दिया। फिर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की मदद से राक्षस का सर धड़ से अलग कर दिया। हालांकि, तब तक राक्षस थोड़ा सा अमृत अपने मुख में रख चुका था, पर सर धड़ से अलग होने की वजह से अमृत गले से नीचे न उतर सका। भगवान ने राक्षस के शरीर के जो दो टुकड़े किए थे उन्हें राहु और केतु कहा जाता है। सर धड़ से अलग होने के बाद राहु-केतु के मुख से अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई थी।

इसके अलावा एक अन्य प्रचलित कहानी ये भी है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने अमृत कलश को बांटने के लिए देवता और दानव को अलग-अलग कतारों में आने को कहते हैं। लेकिन जब काफी समय तक राक्षसों तक अमृत नहीं पहुंचा तो एक दानव रूप बदलकर देवताओं की कतार में लगकर अमृत पान करने लगा। जब भगवान को इसका पता चला तो उन्होंने उस दानव का सिर काट दिया। उसके शरीर से जब रक्त की बूंदे जमीन पर गिरीं तो लहसुन और प्याज़ की उत्पत्ति हुई। दानव रक्त से उत्पत्ति के कारण लहसुन और प्याज़ में तीव्र पर अजीब सी गंध आती है। और यही दानव राहु व केतु कहलाया।

अगर आपने कभी गौर किया होगा तो देखा होगा की प्याज को काटने पर चक्र और शंख की आकृति दिखाई देती है। प्याज-लहसुन का पौधा अमृत की बूंद से उत्पन हुआ है। यही वजह है कि लहसुन प्याज कई रोगों के लिए संजीवनी बूटी का काम करता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अमृत के राक्षसों के मुंह में चले जाने की वजह से लहसुन प्याज से तेज गंध आती है।सिर्फ इसकी गंध की वजह से ही इसे अपवित्र भोजन माना गया है। इसी वजह से प्याज़-लहसुन वाले भोजन का भोग भगवान को नहीं लगाया जाता है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...