Women Sex Desire
Couple

Women Sex Desire: सेक्सुअलिटी इंसानों की प्रकृति और प्रवृत्ति का एक अहम हिस्सा है और यह हमारे स्वास्थ्य और रिश्ते में अहम भूमिका निभाता है। जब भी सेक्स की बात की जाती है तो इसमें पुरुषों की इच्छाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जबकि महिलाओं की सेक्सुअल इच्छा और उनकी उम्र में सेक्स की चाह को एक्सप्लोर करना भी उतना ही ज्यादा जरूरी है। आज इस लेख में हम उन जटिल कारकों के बारे में जानेंगे, जो सेक्सुअल संतुष्टि को लेकर महिलाओं की इच्छा को प्रभावित करते हैं और महिलाओं की सेक्शूऐलिटी को लेकर सामाजिक रूढ़िवादिता को तोड़ने का काम करते हैं। 

सामाजिक धारणाएं और रूढ़िवादिता 

Women Sex Desire
women sex desire

अब तक यही सुनते आये हैं कि उम्र के साथ महिलाओं की सेक्स की इच्छा कम होती जाती है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। यह सारी वर्जनाएं इसलिए फैलाई गई हैं ताकि कथित तौर पर संस्कृति को बचाने का काम किया जा सके। इन भ्रांतियों की वजह से ही महिलाएं अपनी सेक्सुअल इच्छाएं और जरूरतों को एक्सप्रेस करने और एक्सप्लोर करने में कामयाब नहीं रही हैं। लेकिन बदलते समाज के साथ महिलाओं की सेक्शूऐलिटी को लेकर बातचीत बढ़ती रही है और खुद महिलाओं ने भी अपनी सेक्शुअल इच्छाओं और चाहतों पर बात करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में यह सुनने को भी मिलता रहा है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं की सेक्स की इच्छा खत्म हो जाती है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। 

बायोलॉजिकल और हार्मोनल प्रभाव

बायोलॉजिकल कारक और हार्मोनल बदलाव महिलाओं की सेक्स से जुड़ी इच्छा को प्रभावित करते हैं। किशोरावस्था और वयस्क होने के शुरुआती दौर में हार्मोनल बदलाव जैसे कि पीरियड्स और एस्ट्रोजन के साथ ही टेस्टोस्टेरोन का बढ़ता स्तर उनकी सेक्शुअल चाहतों को बढ़ा सकता है। महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ हार्मोनल फ्लकचुएशन उनकी सेक्शुअल चाहतों को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि और हार्मोन और सेक्शुअल इच्छा के बीच का रिश्ता बहुत जटिल होता है और यह हर महिला के लिए अलग-अलग तरह से काम करता है और उन्हें प्रभावित भी करता है। 

भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारक

सेक्स के लिए महिलाओं की इच्छा उनके बायोलॉजिकल कारकों पर ही सिर्फ निर्भर नहीं करती है बल्कि यह भावनात्मक और साइकोलॉजिकल कारकों से भी गहन तौर पर प्रभावित होती है। भावनात्मक नज़दीकियां, जुड़ाव, भरोसा और ओवरऑल वेल बीइंग महिलाओं की सेक्शुअल चाहतों को प्रभावित करते हैं। तनाव, रिश्ते का गणित, बॉडी इमेज, आत्मविश्वास और पहले के अनुभव महिलाओं की सेक्सुअल इच्छा को प्रभावित करते हैं और उसे उसी तरह का आकार भी देते हैं। इमोशनल वेल बीइंग और जिंदगी के दूसरे पहलुओं में संतुष्टि का भाव सेक्सुअल संतुष्टि के साथ ही आता है। 

रिश्तों का गणित और बातचीत 

एक महिला के रिश्ते को लेकर समाज और सेक्शुअल इच्छा इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि वह अपने पार्टनर के साथ खुलकर बातचीत कर पाती है या नहीं और उसे अपनी सेक्शुअल चाहतों के बारे में बता पाती है या नहीं। खुली बातचीत, सम्मान और इमोशनल जुड़ाव, ये तीन चीजें ऐसी हैं जो एक महिला की सेक्शुअल इच्छाओं को बढ़ाने में बड़ा योगदान देती हैं। वहीं दूसरी ओर, इंटिमेसी में कमी, रोजाना होने वाले झगड़े और खुलकर बातचीत ना कर पाने का भाव किसी भी महिला की सेक्शुअल इच्छा को दबा देता है। इसलिए जरूरी है कि एक ऐसे माहौल को बनाया जाए जिसमें कि महिला को सपोर्ट मिले और वह अपनी सेक्शुअल जरूरतों और चाहतों के बारे में खुलकर बात कर सके। 

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

सेक्स के इर्द-गिर्द महिला के व्यवहार और चाहतों को आकार देने में सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। धार्मिक विश्वास, समाज की उम्मीदें और मीडिया द्वारा दिखाई गई बातें अमूमन महिलाओं की सेक्सुअलिटी को सीमा में बांधने में अहम भूमिका निभाते हैं। महिलाओं के लिए किसी भी उम्र में अपनी सेक्शुअल इच्छाओं का पता लगाने के लिए इन मानदंडों को चुनौती देना और यौन सशक्तिकरण को बढ़ावा देना जरूरी है।

महिला की उम्र 

हर महिला के सेक्शुअल चाहतों की यात्रा उसके व्यक्तिगत जीवन पर निर्भर करती है। व्यक्तिगत प्राथमिकता, मूल्य, अनुभव और खुद को लेकर जागरूकता महिलाओं की सेक्शुअल इच्छाओं को आकार देने में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां यह समझना बहुत जरूरी है कि महिला की सेक्स को लेकर इच्छा किसी खास उम्र में बंधी नहीं है। कुछ महिलाओं को 40वें या 50वें उम्र में सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है वहीं कुछ की सेक्शुअल इच्छा उनकी पूरे जीवन में एक सी बनी रहती है। 

क्या कहता है शोध 

महिलाओं की शिक्षा और उनकी उम्र को लेकर कई शोध किए गए हैं, जिनमें से एक शोध हावर्ड में भी हुआ है। इस शोध के अनुसार 40 से 65 की उम्र के बीच की महिलाएं भी सेक्शुअली एक्टिव रह सकती हैं। साथ ही, यह भी कहा गया है कि जो महिलाएं हमेशा से सेक्स को महत्व देती रही है, वो किसी भी उम्र में सेक्शुअल इच्छाओं को लेकर मुखर रह सकती हैं। इसे स्पष्ट और सीधे शब्दों में कहा जाए तो कोई भी महिला यदि सेक्स करती आई है, तो वह हमेशा सेक्स करती रहेगी, फिर चाहे उसकी उम्र कुछ भी क्यों न हो। हावर्ड की स्पेशल रिपोर्ट सेक्शुएलिटी इन मिडलाइफ एंड बियोंड के लेखक डॉ जन लेस्ली शिफरेन का कहना है कि यह बिल्कुल सच है। 

उम्र के साथ महिलाओं की सेक्शुअल इच्छा में आता बदलाव 

Women Sex Desire
Changes in women sexual desire

सेक्शुअल चाहत एक व्यक्तिगत मामला है, जो महिलाओं के उम्र के विभिन्न चरणों से भी जुड़ा है। आइए जानते हैं इसके बारे में। 

किशोरावस्था और वयस्कता का शुरुआती दौर 

किशोरावस्था और वयस्कता के शुरुआती दौर में अमूमन पहली बार लड़कियों को अपनी इच्छाओं का अहसास होता है। हार्मोनल बदलाव और उनकी स्वयं के शरीर को एक्सप्लोर करने वाली भावना उन्हें एक अलग तरह का अहसास देती है। इस समय उनके अंदर सेक्शुएलिटीबढ़ रही होती है। 

रिप्रोडक्टिव साल 

रिप्रोडक्टिव सालों में सेक्शुअल इच्छा को बच्चे से जोड़ा जा सकता है।ओवुलेशन के समय महिलाओं के अंदर सेक्शुअल इच्छा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, जो हार्मोनल फ्लक्चुएशन की वजह से होता है। इस समय महिलाओं की इच्छा एक परिवार बनाने की होती है, जिसमें सेक्शुअल इंटिमेसी दोनों के बीच जुड़ाव और रिप्रोडक्शन के लिए अहम भूमिका निभाती है।    

पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज 

पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज महिलाओं की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लेकर आते हैं, जिसमें हार्मोनल बदलाव और सेक्शुअल चाहतों में भी बदलाव शामिल है। एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन स्तर में फ्लकचुएशन कुछ महिलाओं में लिबिडो की कमी लेकर आता है तो कुछ महिलाओं की सेक्शुअल इच्छाएं बढ़ जाती हैं। प्रेगनेंसी का खतरा भी इस समय कम हो जाता है, जिसकी वजह से भी उन्हें आजादी का अनुभव होता है और महिलाएं अपनी सेक्शुअल अनुभवों को लेकर एक्सप्लोर करने को तैयार रहती हैं। 

महिलाओं में सेक्स इच्छा बढ़ाने के टिप्स 

एक्सरसाइज

लगातार एक्सरसाइज करने से दिल में ब्लड फ्लो बढ़ता है और दिल स्वस्थ भी रहता है, जिससे सेक्शुअल फंक्शन में सुधार आने की उम्मीद रहती है। 

धूम्रपान से परहेज 

सिगरेट छोड़ देने से सेक्शुअल अंगों में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है और मेनोपॉज भी कुछ सालों तक दूर ही रहता है। 

सीमा में अल्कोहल का सेवन 

ज्यादा मात्रा में अल्कोहल के सेवन से हॉट फ्लैशेज हो सकते हैं और साथ ही नींद आने में दिक्कत हो सकती है, जिससे सेक्शुअल लाइफ पर भी असर पड़ता है। 

हेल्दी डाइट 

हेल्दी डाइट के सेवन से दिल के रोग और डायबिटीज दूरी बनी रहती है, जिससे वजन ज्यादा नहीं बढ़ता है और सेक्शुअल इच्छा भी बनी रहती है। 

निष्कर्ष

सेक्स को लेकर महिलाओं की इच्छा किसी उम्र, रूढ़िवादिता या सामाजिक अपेक्षाओं पर निर्भर नहीं करती है बल्कि इससे बिल्कुल अलग है। महिलाओं की सेक्शुएलिटी की जटिलताओं को समझना और उन्हें अपनाना उनकी सेक्शुअल वेल बीइंग के लिए और उन्हें सशक्त बनाने के लिए बहुत जरूरी है। वर्जनाओं को चुनौती देकर, खुली बातचीत करके और महिला की व्यक्तिगत इच्छाओं को स्वीकार करके हम सबको एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जो महिलाओं की सेक्शुअल चाहतों और इच्छाओं को सेलिब्रेट करता हो। 

FAQ | क्या आप जानते हैं


महिला कितनी उम्र तक मां बन सकती है?

लड़की के पीरियड्स शुरू होने से उसकी मां बनने की उम्र शुरू होती है। इसी तरह जब तक उसे मेनोपॉज नहीं आते हैं, वह मां बन सकती है। इसे हम 45- 50 की उम्र के बीच मां सकते हैं क्योंकि अमूमन अधिकतर महिलाएं इस उम्र के करीब मेनोपॉज तक पहुंच जाती हैं। 

पहला राउन्ड कितने समय तक चलना चाहिए?

सेक्स थेरेपिस्ट की मानें तो पहला राउन्ड 7 से 10 मिनट के बीच होना चाहिए। इस सेक्स में फोरप्ले, ओरल सेक्स या एनल सेक्स शामिल नहीं है। इसमें सिर्फ इंटरकोर्स शामिल है। 

आदमी की कितनी उम्र तक संबंध बनाने की इच्छा होती है?

एक पुरुष 85 की उम्र तक सेक्सुअली एक्टिव रह सकता है। हालांकि, उम्र के बढ़ने के साथ ही उसका शरीर कमजोर पड़ता जाता है और इसका असर उसकी सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है। 

स्पर्धा रानी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज ने हिन्दी में एमए और वाईएमसीए से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। बीते 20 वर्षों से वे लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट लेखन में सक्रिय हैं। अपने करियर में कई प्रमुख सेलिब्रिटीज़ के इंटरव्यू...