Parenting Tips: आज भी याद है जब गर्मियों की छुट्टियां आतीं थीं तो जैसे हमें पूरी आजादी मिल जाती थी। न कोई पढाई का दबाव, न कोई रोक टोक और न ही कोई पाबंदी, कि बस शाम को ही खेलना है या दो घंटे ही खेलना है। बोनस होता था दादा-दादी या नाना नानी के […]
Tag: childhood
बच्चों के बचपन से अपने बचपन की तुलना कितनी करे [?]
एक बहुत ही लाज़मी बात है की एक वक़्त ऐसा आता है | जबकि इंसान अपने ही बच्चों से बार बार अपने बचपन की तुलना करने लगता है और तुलना कितनी बार इतनी ज्यादा घातक हो जाती है
एश्वर्या की बचपन की यह बेहद क्यूट तस्वीरें जबरदस्त तरीके से हो रही वायरल..!
विश्व सुंदरी एश्वर्या किसी नाम का मोहताज नहीं।
आखिर वक्त से पहले क्यों बड़े हो रहे हैं बच्चें?
आप चाहें जितने भी समझदार हो जाएं पर बचपन की मासूमियत से कीमती कोई चीज इस दुनिया में नहीं हैं, पर अफसोस कि आजकल के बच्चों में वो पहले जैसी मासूमियत नहीं रही।
गैजेट्स की भीड़ में छिप गया आइस-पाइस
पुराने समय की बात है जब शाम होते ही बच्चे अपने-अपने घरों से निकलकर गली-मोहल्ले में भागते दिखाई देते थे। एक पूरी टोली होती थी, जिसको सिर्फ लुका-छिपी खेलना होता था। लेकिन आज गलियों में सन्नाटा पसरा रहता है।
नाचते-नाचते कहीं गुम हो गया लट्टू और आ गया बेवलेट
इस आधुनिकता के दौर में बचपन इलेक्ट्रॉनिक गेम्स की दुनिया में कैद हो गया है। पुराने खेल खेलते बच्चे आज किसी भी गली व मोहल्ले में दिखाई तक नहीं देते हैं।
रंग रंगीला इन्द्रधनुष – गृहलक्ष्मी कहानियां
मान्या मेरी बचपन की सहेली थी। स्कूल से लेकर कालेज तक का सफर हमने साथ-साथ तय किया था। गुड्डे- गुड़ियों के साथ खेलते- खेलते हम कब बचपन की दहलीज लाघंकर जवान हो गये, पता ही नहीं चला। मान्या संयुक्त परिवार में बाबा, दादी, चाचा, चाची, माता-पिता सबके साथ रहती थी। अक्सर रविवार को वह साइकिल लेकर मेरे घर चली आती।
