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भरवां बैंगन का साहित्य में योगदान – गृहलक्ष्मी कहानियां

अपने यहां व्यंजन साहित्य की बड़ी मांग है और इसमें स्कोप भी बहुत हैं। भरवां बैंगन में किशमिश, काजू और बादाम डाल दो तो शाही भरवां बैंगन हो जाएगा, यानी कि इसी बैंगन से ढ़ाई सौ और बन जाएंगे।

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आओ शक करें

जिसके जीवन में शक नहीं, उसे जीने का हक नहीं। यह मूलमंत्र जिसने भी अपने जीवन में अपना लिया, समझो उसने सच्चा-सुख पा लिया। शक के बिना जिंदगी बेकार है, क्योंकि शक ही जीवन का आधार है। और जब तक आधार मजबूत नहीं होगा तब तक जीवन सही तरीके से नहीं चल सकता। आपको भी मेरी बात पर शक हो रहा होगा परंतु जीवन तो शक का ही दूसरा नाम है।

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मारा मुझे सफेद लक्ष्मी ने

लक्ष्मी जी क्रोधित हो गई। वे मुझे धमकाती हुई बोलीं- ‘ज्यादा बक-बक मत करो। मेरी बात को समझो। मैं तो उस भक्त के घर में निवास करती हूं जो मेहनत से चार पैसे कमाते हैं। तुम कल्पना लोक में उडऩे वाले प्राणी हो, ईमानदारी का महत्व भला तुम क्या जानो?

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अगले जन्म मोहे बेटी ही कीजो – गृहलक्ष्मी कहानियां

भला हो सरकार का, सस्ते होने के कारण घर की रजिस्ट्री मेरे नाम, बिजली का मीटर मेरे नाम, बैंक ने गाड़ी के लिए कर्ज दिया तो गाड़ी मेरे नाम।

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