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ध्यान मुक्त हो जाने की कला है- श्री श्री रविशंकर

जब मन शांत हो जाता है, तब ध्यान व पूर्ण विश्राम की अवस्था आती है। जब तुम्हारे अन्दर अशांति होती है, , भविष्य के प्रति आशंका होती है, योजनाएं होती हैं, महत्वाकांक्षाएं होती हैं और तुम बिस्तर पर सोने के लिए प्रयास करते हो, तो गहरी नींद नहीं आती। ऐसे में मन पूरी तरह खाली नहीं हो पाता है, मुक्त नहीं हो पाता है। सच्चे अर्थ में मुक्त होने से तात्पर्य है, भविष्य एवं विगत से मुक्ति।

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