एक ऐसी यात्रा जिसमें भक्त और भगवान के बीच कोई सीमा नहीं होती। जहां स्वंय भगवान जगन्नाथ खुद चलकर भक्तों के बीच आते हैं और उनके सुख-दु:ख में सहभागी बनते हैं। यह भक्त के लिए एक समय होता है जब सृष्टि के पालनहार की डोर स्वयं उसके हाथों में होती है। ब्रह्मापुराण में भी कहा गया है कि ‘रथे चागमन दृष्टवां पुनर्जन्म न विद्यते’ अर्थात् रथ के ऊपर भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करके मनुष्य पुनर्जन्म से बच जाता है। आइये जानते हैं इस भव्य जगन्नाथ यात्रा से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक बातें –
Tag: रथ यात्रा
Posted inधर्म
जब रथ पर सवार होते हैं जगन्नाथ भगवान
यह मौका होता है पुरी की प्रसिद्ध रथ यात्रा का। यात्रा के इन नौ दिनों में भक्त और भगवान के बीच कोई सीमा नहीं रह जाती, जात-पात का भेद तक मिट जाता है। सब रथ में सवार भगवान को ढोने का आनंद लेते हैं।
