मन अहंकार का एक अंग है जिसे पता है कैसे बन्द हुआ जाए परन्तु उसे खुलना कैसे है यह पता ही नहीं है। प्रेम करने का अर्थ खुलना, समर्पण करना है।
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मुखाकृति विज्ञान – परमहंस योगानंद
आंखें आत्मा की संपूर्ण कहानी प्रकट करती हैं, न केवल इस जन्म की बल्कि गत जन्मों की भी, फिर भी इस जीवन में प्रतिबिम्बित होने वाले पिछले जन्मों के प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए एक गुरु के ज्ञान की आवश्यकता होती है।
ईश्वर की सुन्दरता अपार है – परमहंस योगानंद
जब तक आपकी ईश्वरीय भक्ति और ईश्वरीय बोध पूरे नहीं हो जाते, विश्राम से न बैठें, ध्यान करने के समय नींद में न चले जाएं। ईश्वर की अपेक्षा अन्य किसी वस्तु को प्राथमिकता कभी न दें उनका प्रेम ही महानतम प्रेम है।
मनोदशाएं संक्रामक है – परमहंस योगानंद
मनोदशाओं पर विजय पाने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहें, क्योंकि जैसे ही आप मनोदशा से ग्रस्त हो जाते हैं, आप अपनी आत्मा रूपी मिट्टïी में गलतियों के बीजों को बोते हैं। मनोदशाओं से घिरने का अर्थ है धीरे-धीरे मृत्यु की ओर बढ़ना, परन्तु यदि आप किसी भी अशान्त करने वाली घटना के होते हुए भी प्रतिदिन मुस्कराने का प्रयत्न करते हैं, तो आप एक नया जन्म पाएंगे।
मानसिक व्यसन की प्रवृति – परमहंस योगानंद
किसी मानवी-स्कंक के लिए किसी ऐसे वातावरण में जाना समझदारी नहीं है जहां उसे कोई पसंद न करता हो। वहां वह सभी के लिए परेशानी का कारण बन सकता है, और हो सकता है उसे अन्त में कठोर व्यवहार सहन करना पड़े।
