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बिना छांव का दरख़्त – गृहलक्ष्मी कहानियां

अनु जरा जल्दी जल्दी हाथ चला, मुझे देर हो रही है। हां मम्मी, बस काम खत्म होने वाला है , मैंने सब्जी काट दी और किचेन का सारा काम भी निबटा दिया है।

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जज़्बा

राधिका को क्या पता था कि एक दिन यह नौबत आ जाएगी। जिस बेटी को पद्मा ने बोझ मानकर पैदा होते ही त्याग दिया था, आज एक मुकाम पर पहुंच चुकी थी। जिया ने उन्हें अपना रोल मॉडल माना था, वो उन्हीं से ट्राफी लेना चाहती
थी। क्या अपनी मां से अनजान बेटी उन्हें माफ कर सकेगी?

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