फादर्स डे की शुरुआत वाशिंगटन के स्पोकेन शहर से हुई। शुरुआत में इसे सोनोरा स्मार्ट डॉड ने सेलिब्रेट किया। बताया जाता है कि सोनोरा की माता के निधन के बाद उनके पिता ने ही उन्हें माता-पिता दोनों का प्यार दिया और बहुत ही लाड़-प्यार से उन्हें पाला।
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‘पापा की परी हूँ मैं’ कहती हैं ये तस्वीरें
हर लड़की के लिए उसके पापा रियल लाइफ के हीरो होते हैं। जितनी अच्छी बॉन्डिंग एक बेटे की मां के साथ होती है उतनी ही अच्छी एक बेटी की अपने पापा से होती है। पापा की परी, लाडली बेटी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो जाएं उनके लिए वो वही छोटी गुड़िया जैसी रहती है। और ये प्यार का रिश्ता पूरी जिंदगी कायम रहता है। अगर आप भी अपनी पापा की परी हैं उनसे बेंइताहा मोहब्बत करतीं है तो आपको पापा और उसकी लाडली की ये तस्वीरें जरूर पंसद आएंगी। इंस्टाग्राम यूजर @vskafandre ने कुछ ऐसी ही तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। जिसे लोग खासा पसंद कर रहें हैं। इन तस्वीरों में एक पिता और बेटी के रिश्ते को अलग-अलग तरह से दर्शाया गया है जो आपको आपके बचपन की याद दिला देंगी –
Happy Fathers’ Day:तस्वीरें बयां करती यह अनमोल रिश्ता
कहते हैं एक हजार शब्दों के बराबर एक पिक्चर होती है। शब्द कभी-कभी वो फीलिंग्स नहीं बयां कर पाते हैं, जो बात एक पिक्चर कह जाती है। जिंदगी के छोटे-छोटे वो पल और खुशियां जिन्हें हम शब्दों में नहीं बता सकते हैं उन्हीं को समेटे हुए हैं ये चित्र। एक पिता का उसके बच्चे से बंधा हुआ प्यार-दुलार, डाँट-फटकार, शरारत-मस्ती, जिम्मेदारी का अनोखा रिश्ता बयां करती ये तस्वीरें, आप भी देखें।।।।।।
Happy Fathers’ Day:ऐसे भी जता सकते हैं अपना प्यार
भले ही पिता एक माँ की तरह अपने बच्चे को प्यार-दुलार न दिखा पाए, लेकिन उनके दिल में अपने बच्चे के लिए प्यार कम नहीं होता है। जीवन में पिता का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। हर साल जून के तीसरे रविवार को “फादर्स डे” आता हैं। इस वर्ष 17 जून 2017 को “फादर्स डे” है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए कुछ ऐसी ही images लेकर आए हैं, जो पिता की अहमियत को बयां कर रही हैं। आप भी social media पर ये images अपडेट करके अपनी फीलिंग्स को अपने पिता तक पंहुचा सकते हैं-
पिता के प्यार में भी छुपी होती है मां जैसी ममता
आज की पीढ़ी को जानकर अचरज होगा कि आज से पहले चार-पांच पुरानी पीढ़ी वाले पुरूष अपने बच्चे की देखभाल तो दूर उन्हें गोद में उठाना तक अपनी मर्दानगी के खिलाफ समझते थे। उनके लिए पुरूष से पिता होने का सफर घर को एक चिराग या वारिस देने से ज्यादा और कुछ नहीं था। पुरूष कमाता और औरत घर चलाती। पुरूष का पुरूष होना उसके पिता होने तक ही सीमित था और वही उसकी मर्दानगी का सबूत थी, इसके अलावा घर के भीतर किसी भी कार्य को करना उसकी शान के खिलाफ माना जाता था।
