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प्रेम जोड़ता है अहंकार तोड़ता है – परमहंस योगानंद

मन अहंकार का एक अंग है जिसे पता है कैसे बन्द हुआ जाए परन्तु उसे खुलना कैसे है यह पता ही नहीं है। प्रेम करने का अर्थ खुलना, समर्पण करना है।

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मुखाकृति विज्ञान – परमहंस योगानंद

आंखें आत्मा की संपूर्ण कहानी प्रकट करती हैं, न केवल इस जन्म की बल्कि गत जन्मों की भी, फिर भी इस जीवन में प्रतिबिम्बित होने वाले पिछले जन्मों के प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए एक गुरु के ज्ञान की आवश्यकता होती है।

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महापुरुष की पहचान – परमहंस योगानंद

ईश्वर ने महान पुरुषों को विशेष रूप से निर्मित नहीं किया है। वे अपने ही प्रयासों द्वारा दक्ष बने हैं। जिस प्रकार बाकी सारी मानव जाति आत्म-स्वतंत्रता के प्रकाश के लिए संघर्ष करती है, उसी प्रकार उनको भी परिश्रम और संघर्ष करना पड़ा।

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