सुना है मैंने कि चीन में एक बहुत बड़ा विचारक लाओत्सु पैदा हुआ। लाओत्सु के संबंध में कहा जाता है कि वह बूढ़ा ही पैदा हुआ। यह बड़ी हैरानी की बात मालूम पड़ती है। इस पर भरोसा आना मुश्किल है। मुझे भी भरोसा नहीं है। और मैं भी नहीं मानता कि कोई आदमी बूढ़ा पैदा हो सकता है। लेकिन जब मैं इस हमारे भारत के लोगों को देखता हूं तो मुझे लाओत्सु की कहानी पर भरोसा आना शुरू हो जाता है।
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प्रथम आने की दौड़ – ओशो
दूसरा दूसरा है, मैं, मैं हूं। कहां तुलना, कहां संबंध, कहां नाता, कौन-सी प्रतिस्पर्धा? दूसरा दूसरा होगा, मैं, मैं हो पाऊंगा। हर आदमी वही हो पायेगा, जो हो सकता है। दूसरे से लेना-देना कहां है?
ध्यान से ध्वनि, ध्वनि से स्वास्थ्य – ओशो
एक मित्र ने पूछा है कि ध्यान से स्वास्थ्य का क्या संबंध है?
बहुत संबंध है, क्योंकि बीमारी का बहुत बड़ा हिस्सा मन से मिलता है। गहरे में तो बीमारी का नब्बे प्रतिशत हिस्सा मन से ही आता है। ध्यान मन को स्वस्थ करता है। इसलिए बीमारी की बहुत बुनियादी वजह गिर जाती है। यह जो ध्यान की प्रक्रिया है, इससे शरीर पर सीधा भी प्रभाव होता है। क्योंकि दस मिनट की तीव्र श्वास, आपकी जीवन ऊर्जा को, वाइटल एनर्जी को बढ़ाती है। सारा जीवन श्वास का खेल है। जीवन का सारा अस्तित्व श्वास पर निर्भर है। श्वास है तो जीवन है।
