एक मित्र ने पत्र लिखा है और पूछा है कि संसार में इतना दुख है, दीनता है, दरिद्रता है, क्या यह समय है ध्यान और भक्ति की बात करने का? पहले दुख मिटे दुनिया का, शोषण मिटे दुनिया का, फिर ही भगवान की खोज हो सकती है।
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जीवन विस्तार है – ओशो
मेरी दृष्टि में ब्रह्म का एक ही अर्थ है, ब्रह्म शब्द का अर्थ है फैलाव, विस्तार, जो फैलता ही चला जाता है, जो रुकता ही नहीं, जो अंतहीन फैलाव है।
