मेजर प्रभास अपने बडे भाई वीर के शादी के लिए घर पर छुट्टियां लेकर आये थे। घर में बहुत ही खुशी का माहौल था। वीर बैंगलोर में किसी कंपनी में इंजीनियर था। अच्छा खासा कमा लेता था। इसी वजह से दुल्हन बनी दीया को सभी लोग खुशनसीब समझ रहे थे। अग्निहोत्री फैमिली में दीया तीनों […]
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गृहलक्ष्मी की कहानियां – एक दिन अचानक
गृहलक्ष्मी की कहानियां – रचना को आमतौर पर सिरदर्द रहता था। उसे लगता था कि शायद थकान के कारण उसे सिरदर्द हो रहा है और वह एक दर्द की गोली खा लेती थी, जिससे उसे कुछ आराम मिल जाता था और वह फिर से अपने कार्य में लग जाती थी। रचना एक विद्यालय में अध्यापिका […]
गृहलक्ष्मी की कहानियां – खुशनुमा जिंदगी
गृहलक्ष्मी की कहानियां – जिंदगी बहुत ही हसीन थी। आज नेहा का मेडीकल कॉलेज का थर्ड इयर का आखिरी दिन था। नेहा को जल्द से जल्द पेपर देकर अपने चचेरी बहन की शादी अटेंड करने जाना था। वो बहुत ही खुश थी, उसकी ट्रेन रात को बारह बजे होशियारपुर पहुंचने वाली थी। घर में सब […]
पुरस्कार
नीता एक मध्यवर्गीय परिवार की बहू है, घर में पति नीलेश, सास-ससुर और अपने दो बच्चों के साथ मगन रहती, नीलेश एक सरकारी कार्यालय में अधिकारी हैं एवं अपने सामान्य से जीवन से बेहद संतुष्ट हैं। यूं तो नीता को भी किसी से कोई शिकायत नहीं बस कभी-कभी पति नीलेश का अपने प्रति उदासीन रवैया […]
आओ, हम ही श्रीगणेश करें
“मम्मी गर्मी से मैं जला जा रहा हूं, मुझे बचा लो” मां ने रोते हुए बच्चे को सीने से लगाकर कहा,” मत रो बेटे, इस गर्मी से तो पूरा संसार ही जला जा रहा है. आदमी स्वार्थ में अंधा हो कर बेहिसाब पेड़ काट रहा है इससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है अब ये सब कष्ट […]
ग्रहलक्ष्मी की कहानियां-पांच के सिक्के
जया, मेरी वाइफ नहीं है। लेकिन वो मेरे अब तक कुंवारे होने का कारण जरूर है। क्या कहूं, कोई मिली नहीं उसके जैसी या कहूं कि ढूंढा ही नहीं।
बच्चों से बढ़ती इज्जत
आज मेरी बेटी को नौकरी का कॉल लेटर मिला। हमारी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। इससे पहले घर वाले उसके प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने पर हम पति-पत्नी पर चिल्ला रहे थे कि अपनी हैसियत की पढ़ाई कराओ। हमारा स्तर अपने परिवार में सबसे नीचा था। बाकी मेरे देवर व जेठ सब इंजीनियर थे। […]
दुख- सुख का नजरिया
एक दिन एक महिला ने एक महात्मा जी से कहा, “मैं बहुत दुखी हूं, आप मुझे सुखी बना दीजिए।” “साधु ने उससे पूछा, “तुम दुखी क्यों हो, क्या तुम्हारे पास खाने को रोटी नहीं है?” “है महाराज, मेरे पास रोटी ही क्या दाल, चावल, सब्जी और मिठाई भी है।” “तो क्या तुम्हारे पास बच्चे, घर […]
बांसुरी की स्वरलहरियां
सूरज क्षितिज से मुलाकात के लिए चल पड़ा है। पवन भी उसके साथ है। पंछी की आवाजें कुछ मदधिम पड़ने लगी है। सांझ फैलने लगी है। बच्चे मैदान में खेल रहे हैं। महिलाएं टोलियों में सैर कर रही हैं। इतनी सारी गतिविधियों के बीच बांसुरी की तान वातावरण में सुगंध की तरह तिर रही है। […]
गृहलक्ष्मी की कहानियां : अपनी- अपनी सोच
रितु से मोबाइल से सम्बंधित ढेर सारी जानकारी हासिल करते हुए ना तो उन्हें किसी कमतरी का अहसास हुआ और ना ही उनका अहं आहत हुआ…
