Basant Poem: आया जो आज प्यारा ऋतुराज बसंत है,
लाया खुशियों की सौगात संग है।
जड़ता को चेतना की ओर ले जाता,
यह मधुमास श्री कृष्ण का दूत हैं कहाता।
नव पल्लव, कोमल कोंपल संग नव पुष्पों का खिलाना,
मां वसुंधरा को जेसै स्वर्ण धानी चुंदर उड़ाना।
ले आया सारी सृष्टि में सरसों सूरजमुखी गेंदा सनई अरहर की पीली सुनहरी प्रकृति की बहार,
मन को हर्षित कर देता ऋतुराज खुशियां अनंत अपार।
कितने ही सुंदर नामों से सुशोभित ऋतुराज बसंत, प्रभाकर,
पिकानंद, कामसखा, फल्गु, मधु माधव कहूं आपको सुवसंतक या कुसुमाकर।
गुनगुनी धूप का यह सुनहरा गुलाबी मनमोहक सा मौसम,
अनजाने में ही ऋतुराज दिल को दे देता मधुमास की आहट।
सिर्फ तन को ही नहीं मन को भी प्यारा ऋतुराज है संवारे,
पूरब से आती पुरवाई की मिष्ठी भीनी सुगंध सी महका दे।
देते ऋतुराज कुशाग्र बुद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और प्रेम भी,
आओ करें नमन ऋतुराज को और बसाये हृदय में भी।
