Childhood Hindi Poem: बाल रूप धर धरती पर ईश्वर होते हैं अवतरित,
मासूम सा बचपन निश़्छल हंसी करते हैं रचित,
इक नारी को मॉं का सम्मान देता है नन्हा सा बचपन,
उस पल पिता के कॉंधे बन जाते हैं मजबूती का सम्बल,
सम्पूर्ण करते इक परिवार की धुरी बन जाते हैं बच्चे,
अपने पिता माता को इठलाते नखरे दिखाते हैं बच्चे ,
उनकी हंसी में शामिल होकर बच्चों सा बचपन जीते हैं
छोड़ कर सारी दुनियादारी उनके आगे पीछे घूमते हैं,
बच्चे करते हैं शैतानी उठा पटक और करते मनमानी,
कभी भगाते कभी नचाते कभी कहते सुनाओ कहानी,
उनकी हर इक फरमाइश होता है आदेश बहुत ज़रूरी,
रो रो कर घर सर पर उठा लें जो रह जाये ख्वाहिश अधूरी,
एक एक पल याद दिलाता बचपन जो कहीं था छूट गया,
बच्चों संग बच्चा बन कर मेरा हृदय अतीत में लौट गया,
एक मुस्कराहट मासूम सी मेरे सारे दुख दर्द की दवा है,
सारी थकान उतर जाती है गोद में जबसे उसको छुआ है,
उसी के पीछे पीछे घूमता है मेरा ये जहॉं सारा ,
तितलियों सा बेफिक्र बचपन करता है उजियारा,
कौन करेगा हिम्मत इनके हुक्म को ना करने की,
सारे के सारे खड़े रहते हैं खिदमत में हुजूर की,
द्वेष द्वंद ना मन में पाले रहते छल से कोसों दूर,
पल में रू़ठना पल में मान जाना नहीं होते मगरूर,
मिलजुल कर खेल खेलते अपना टिफिन साथ बॉंटते,
जात पात का भेद ना जाने दिखते हैं हंसते खिलखिलाते,
एक पल रोना एक पल हंसना मूड भयंकर होता है,
बड़ी शांत हो जाती है दुनिया थक कर जब वो सोते है,
ब्याकुलता से देखे रस्ता कब स्कूल से वापस आयेगा,
फिर से मेरी सूनी दुनिया में कब धमाल मचायेगा,
तोतली बोली में करते है बातें शैतानी में कटती रातें,
लोरी गा कर सुलाती है मॉं पल में दिखते नाचते गाते,
इंद्रधनुष सी खुशियॉं फैलाते ईश्वर का वरदान हैं
बच्चे खुश तो जग खुश है इन्हीं से रौशन जहान है,
ये हैं भविष्य कल के भारत का स्थापित करना कीर्तिमान है ,
इक दिन भारत बनेगा विश्वगुरू मेरा भारत महान है ..,,!!
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