Traditional Methods of Orgasm: पिछले दिनों हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि महिलाओं को ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए क्लिटोरल उत्तेजना की आवश्यकता होती है। अधिकतर महिलाओं का मानना है कि ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए जरूरी नहीं कि संसर्ग किया जाए आउटरकोर्स भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। कुछ लोगों के लिए पीआईवी यानी लिंग योनी प्रवेश को छोड़कर आउटरकोर्स ही सब कुछ होता है। आखिर ये आउटरकोर्स होता क्या है और ये कैसे इंटरकोर्स से बेहतर है चलिए जानते हैं इसके बारे में-
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क्या है आउटरकोर्स सेक्स

इंटरकोर्स (संसर्ग करने का प्राकृतिक तरीका) सेक्स के बारे में तो हम सब जानते हैं। इंटरकोर्स की तरह आउटरकोर्स सेक्स भी सेक्स का ही एक प्रकार है, जिसे सुरक्षित सेक्स माना जा सकता है। इसमें इंटरकोर्स की तरह पेनिट्रेशन यानी किसी भी तरह का प्रवेश शामिल नहीं होता। नॉन पेनिट्रेटिव सेक्स एक पारंपरिक सेक्स का तरीका है जिसमें सेक्स ट्रान्समिटेड डिजीज का खतरा कम होता है साथ ही अधिकतर महिलाएं ऑर्गेज्म का आनंद भी उठा पाती हैं। अन्य सेक्स के तरीकों की तुलना में ये अधिकतर फायदेमंद और आरामदायक सेक्स माना जाता है। खासकर अधिक उम्र की महिलाओं के लिए ये एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस सेक्स के दौरान उंगलियों, सेक्स टॉयज और एनल सेक्स का उपयोग किया जाता है।
क्यों महिलाओं के लिए प्राकृतिक संसर्ग जरूरी नहीं है
अध्ययन के अनुसार अधिकतर महिलाएं इंटरकोर्स के दौरान नकली ऑर्गेज्म प्राप्त करती हैं। वे अपने साथी को अच्छा महसूस कराने पर अधिक ध्यान देती हैं। वहीं कुछ महिलाएं अपनी भावनाओं को बताने में अपराधबोध महसूस करती हैं। हालांकि आउटरकोर्स सेक्स के दौरान महिलाएं अकेले ही ऑर्गेज्म प्राप्त कर सकती हैं, जिसके लिए उन्हें इंटरकोर्स करने की आवश्यकता नहीं होती।
क्या आउटरकोर्स फोरप्ले के समान है

इंटरकोर्स और आउटरकोर्स सेक्स के बीच एक पतली सी सीमा होती है जो एक-दूसरे को अलग करती है। इसे आप फोरप्ले के तौर पर भी जानते होंगे। फोरप्ले सेक्स गतिविधि से पहले की जाने वाली क्रिया है जिसके बाद अधिकतर मामलों में पेनिट्रेटिव सेक्स की संभावना होती है। हालांकि आउटरकोर्स के दौरान पेनिस को शामिल नहीं किया जाता। यानी यह पारंपरिक संसर्ग के बिना ही समाप्त हो जाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि आउटरकोर्स सेक्स फोरप्ले से भिन्न है।
क्या कहती है रिपोर्ट
इंडियाना यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सेक्सुअल हेल्थ प्रमोशन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार कई महिलाएं इस बात से सहमत थीं कि इंटरकोर्स से उन्हें ऑर्गेज्म तक पहुंचने में कठिनाई होती है। इंटरकोर्स उनके लिए सब कुछ नहीं है। फोरप्ले और आउटरकोर्स से इसकी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
आउटरकोर्स सेक्स में क्या मायने रखता है

आउटरकोर्स सेक्स की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है। किसी के लिए सेक्स टॉयज मायने रखता है तो कोई सेक्स वीडियो से ही ऑर्गेज्म प्राप्त कर सकता है। आउटरकोर्स में निम्नलिखित तरीकों में से कोई भी शामिल हो सकता है।
मसाज
कई परिस्थितियों में मसाज करवाना या करना बेहद सेक्सी हो सकता है। मसाज करने से शादीशुदा जोड़ों के बीच नजदीकियां आती हैं और दर्द से भी निजात मिल सकता है। कुछ मोमबत्तियों या मूड लाइटिंग के साथ माहौल को रोमांटिक बनाया जा सकता है। मसाज के लिए आपको सिर्फ गुनगुने तेल की आवश्यकता होगी।
चुंबन
आत्मीयता बढ़ाने में किस का अहम रोल होता है। ये जीवनसाथी को उत्तेजित करने का बेहद आसान तरीका हो सकता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों को चूमने से व्यक्ति अपनी भावनाओं का इजहार करता है और साथी को आउटरकोर्स के लिए तैयार करता है।
मास्टरबेशन

मास्टरबेशन एक पारंपरिक तरीका है आत्मसंतुष्टि का, इसमें व्यक्ति को पता होता है कि उसे कहां छुआ जाना पसंद है और वह कैसे ऑर्गेज्म तक पहुंचा जा सकता है। इसके लिए आप और आपका साथी किस, आलिंगन और सेक्स के विभिन्न पोजिशंस अपना सकते हैं।
सेक्स टॉयज
महिलाएं जिस प्रकार की उत्तेजना की अपेक्षा रखती हैं उसे सेक्स टॉयज से पूरा किया जा सकता है। यदि आप बिना पेनिट्रेशन के जननांग को उत्तेजित करना चाहती हैं तो वाइब्रेटर पेनिस की मदद से ऑर्गेज्म तक पहुंचा जा सकता है।
मैनुअल उत्तेजना

मैनुअल उत्तेजना में आप और आपका साथी बारी-बारी से हाथ और उंगलियों से एक-दूसरे को आनंद दे सकते हैं। इसके अलावा ये क्रिया एक ही समय में एक-दूसरे को संतुष्ट कर सकती है।
ओरल सेक्स
ओरल सेक्स एक बेहतरीन उपाय है अपने साथी को उत्तेजित करने का। इसमें अपने साथी के वेजाइना और अन्य क्षेत्रों पर अपने मुंह का उपयोग करके उत्तेजित किया जाता है।
एनल सेक्स
एनल सेक्स हर किसी के लिए आनंददायक हो सकता है बशर्ते इसमें पार्टनर की सहमती आवश्यक है। इसके लिए आप सेक्स टॉयज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कम्युनिकेशन
अधिकतर महिलाएं केवल कम्युनिकेशन और स्पर्श की शैली पसंद करती हैं। एक अच्छी बातचीत भी महिलाओं को ऑर्गेज्म तक पहुंचने में मदद कर सकता है।
