पत्नी बनाम पैरेंट्स

मातापिता या पत्नी

शादी के बाद जब पति पत्नी के बीच झगड़े होना आम है, लेकिन एक पति के लिए उससे भी ज्यादा आम है पत्नी और उसके माता पिता के झगड़े के बीच में फंसना। जो वाकई में चुनौती भरा हो सकता है। एक सफल शादी के लिए प्यार ही सब कुछ नहीं होता। इसके लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं।  क्योंकि शादी सिर्फ दो लोगों में नहीं, बल्कि दो परिवारों के बीच होती है। इसमें थोड़ा बहुत समझौता भी करना पड़ता है। शादी के बाद जीना एक पत्नी के लिए बदलाव होते हैं, उतने ही बदलाव पुरुष के जीवन में भी होते हैं। कभी कभी उनके सामने पत्नी और माता-पिता के बीच विकल्प भी आ जाता है। ऐसी परिस्थति में ये समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर साथ दें भी तो किसका। लेकिन यकीन मानिये इस दौर से लगभग हर कपल गुजरता है।

क्यों होती है परेशानी?- जहां प्यार होता है जाहिर सी बात है वहीं विवाद भी उठते हैं। क्योंकि माता पिता अपने बेटे को बिना किसी शर्त के प्यार करते हैं। वहीं एक पत्नी भी सब कुछ छोड़ छाड़कर अपने पति के लिए ही आती है और एक नई शुरुआत करती है। उसे खुश रखने के लिए तरीके काफी अलग हो सकते हैं। वहीं एक मां के मन में भी बेटे का पराया होने का डर सताता रहता है। क्योंकि एक पत्नी के उपर इस बात का दबाव हमेशा होता है कि उसे अपनी सास से बेहतर दिखना है। ऐसी परिस्थिती में कभी कभी ऐसी स्थिति भी बनने लगती है जहां पति को किसी एक का पक्ष लेने या बीच की भूमिका निभानी पड़ सकती है। जो कभी कभी परेशानी का सबब भी बन जाती है।

पत्नी बनाम पैरेंट्स– हर घर की कहानी यही है कि जब भी पत्नी की लड़ाई होती है तो उसमें कहीं ना कहीं पति के पैरेंट्स जरुर शामिल होते हैं। ऐसे में पति किसी एक का पक्ष ले सकता है और दूसरे को शांत करा सकता है। लेकिन यहां आपके लिए आसानी तब और ज्यादा हो जाती है जब आपको ये पता हो कि कौन सी है और कौन गलत। अग्गर आपको ये नहीं पता तो किसी का भी पक्ष लेकर अपना फैसला सुनाने में जल्द बाजी ना करें। आप दोनों पक्षों की बात को पहले जरुर सुनें।

पैरेंट्स नहीं हो सकते हमेशा सही– जी हां पैरेंट्स हर मसले में सही नहीं हो सकते। आप इस बात को ना भूलें कि आपकी पत्नी भी इंसान है और हो सकता है कि हर वक्त उसकी गलती ना हो। आप अपनी पत्नी की खामियों को नजरअंदाज करें। पैरेंट्स के सामने उसकी गलतियों को मत गिनाएं। 

हर वक्त न बनें सपोर्टिव पति– आप आदर्श पति बनने की चाह रखते हैं तो इस चाहत में खुद को पत्नी की समस्याओं को हल करने का आदी ना बनाएं । आप अपनी पत्नी को समझाएं कि वो एक बहू भी है और ससुराल में किसी से भी उसका मतभेद होता है तो उसे खुद सुलझाए। उसे बताएं कि वो हर वक्त सही नहीं हो सकती। इसके आलावा अगर वो अपनी समस्याएं खुस सुलझाना चाहती है तो उसे प्रेरित जरुर करें।

जब स्थिति हो खराब- जब पैरेंट्स और पत्नी के बीच स्थिति खराब हो जाए तो पति को पहले दोनों पक्षों को अच्छे से समझ लेना चाहिए। साथ ही आपको समझाना भी चाहिए कि वो एक परिवार है। लड़ाई झगड़े बढ़े इससे पहले आपसी सुलह जरूरी है। साथ ही ये आप पर निर्भर करता है कि आप परिस्थिति को कैसे सम्भालते हैं। आप तभी शांति करा पाएंगे जब आपको सही संतुलन का अनुपात पता होगा। क्योंकि एक बेटे और एक पति के बीच संतुलन बैठाना मुश्किल है।

पत्नी और पैरेंट्स के बीच मतभेद काफी दशकों से चले आ रहे हैं। खट्टी मीठी लड़ाई झगड़े से बात कब आगे बढ़ जाती है, इसका पता भी नहीं चलता। आपको स्टैंड लेने की तब जरूरत होती है जब स्थिति आपको आउट ऑफ़ कंट्रोल दिखे। ऐसे में आपको समझदारी दिखाने की जरूरत है। क्योंकि शादी के बाद पत्नी को आपसे कई उम्मीदें होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप सही गलत की पहचान ही न कर पाएं। आपको ये बात सुनिश्चित करनी चाहिए कि आप जितने अच्छे बेटे हैं, उतने ही अच्छे पति भी हैं। आप इस बात को जरुर ध्यान रखें कि ये आप पर निर्भर करता है कि आप बेटे और पति की भूमिका को किस अंदाज में निभाते हैं।

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