Couple Bonding: पति-पत्नी के रिश्ते में कभी हल्की नोंक-झोंक होती है तो कभी तेज लड़ाई, कभी बातें आपस में बंद हो जाती हैं तो कभी घंटों की बहस चल पड़ती है। चाहे कुछ भी हो जाए, पति पत्नी का रिश्ता जिंदगी में बहुत ही एहमियत रखता है। सदियों से जो बात हमारे बड़े-बुजुर्गों कहते आए हैं, वो अब साइंस ने भी मान ली है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पति-पत्नी का रिश्ता कई बीमारियों से बचाता है।
सोशल सर्किल और साथ, करते हैं सेहत पर असर

किसी भी शादीशुदा कपल में कुछ बातें कॉमन होती हैं। वे एक रूटीन फॉलो करते हैं, उन्हें साथ मिलकर परिवार चलाना होता है और उसकी जिम्मेदारियां भी पूरी करनी होती है। लगभग हर देश में पारिवारिक ढांचा इसी तरीके से तैयार किया गया है। ऐसे में खानपान का जितना ध्यान परिवार में रहते हुए रखा जा सकता है। उतना अकेले रहने पर संभव नहीं हो पाता।
इसे ऐसे समझें कि जब आपके हस्बैंड किसी काम से शहर से बाहर होते हैं तो आप प्रॉपर खाना बनाने की जगह ‘कुछ भी खा लेंगे’, के मूड में आ जाती हैं और ऐसे में एक मील स्किप हो जाता है। लंबे समय तक जब हम यही लापरवाही करते हैं तो उसका असर सेहत पर पड़ता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार जो लोग अपने लाइफ पार्टनर के साथ रहते हैं, उनमें डायबिटीज होने का खतरा कम होता है।
ऐसे लोग ज्यादा फिट रहते हैं। इसके लिए जरूरी नहीं है कि रिश्ता बहुत ही अच्छा हो, अगर रिश्ते में थोड़ी बहुत खटास भी है तो भी यह आपके लिए फायदेमंद ही होगा। शोधकर्ताओं के अनुसार लाइफ पार्टनर के साथ रहने वालों में ब्लड शुगर लेवल सही रहने संभावना ज्यादा होती है।
वहीं अकेले रहने वालों में और तलाकशुदा लोगों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का खतरा रहता है। इतना ही नहीं अकेले रहने में डायबिटीज टाइप 2 होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि ऐसा क्यों होता है इसकी एकदम सही वजह शोधकर्ता नहीं खोज पाए हैं।
इनमें रहता है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा

शादीशुदा लाइफ में सामाजिक तौर पर आप एक्टिव भी रहते हैं। दो लोगों की शादी में कई रिश्ते हमें सौगात के रूप में मिलते हैं, सास-ससुर, बहन-बहनोई, साला-सलेहज, देवर-देवरानी, सहित तमाम रिश्तों से आप जुड़ जाते हैं। ऐसे में शादीशुदा कपल्स पर सामाजिक दबाव बना रहता है। परिवार की प्रतिष्ठा आपके कार्यों से जुड़ी रहती है। वहीं आपस में मेलजोल बना रहता है, जिसके कारण आपका माइंड रिलेक्स हो जाता है। रिश्ते में खटास के बाद भी उसे बचाने की कोशिश की जाती है। और अगर रिश्ता अच्छा है तो इससे बड़ा सुख कुछ नहीं है।
शोधकर्ताओं ने यह माना है कि लाइफ पार्टनर के साथ रहने से आपको हमेशा महत्वपूर्ण रिश्ता साथ होने का एहसास होता है। साथ ही आपको सोशल सपोर्ट भी मिलता है, जिसका सीधा असर सेहत पर होता है। साथ बिताए क्वालिटी टाइम का असर भी हेल्थ पर अच्छा पड़ता है। कई स्टडीज से यह साबित हो चुका है कि जो लोग समाज से अलग रहते हैं, अकेले रहते हैं या फिर जिनका सोशल सर्किल नहीं होता, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है।
शादीशुदा पुरुषों को मिलती है लॉन्ग लाइफ

घर की लक्ष्मी यानी महिला पति के साथ ही पूरे परिवार का ध्यान रखती है,जिसका सभी की सेहत पर पॉजिटिव असर पड़ता है। शोध में ये भी सामने आया कि साथ रहने का असर महिलाओं के मुकाबले पुरुषों पर ज्यादा बेहतर होता है। इस स्टडी में इंग्लैंड के 50 से 89 वर्ष के तीन हजार से ज्यादा लोगों की सेहत का अध्ययन किया गया।
लाइफ पार्टनर के साथ रहने वाले इन कपल्स की डायबिटीज पर पड़ने वाले पाॅजिटिव असर से पता चला कि पति-पत्नी का साथ एक-दूसरे के लिए जरूरी है। स्टडी में ये भी पता चला कि लाइफ पार्टनर के साथ रहने से सिर्फ डायबिटीज ही कम नहीं होती, इसका असर ब्लड प्रेशर और हार्ट पर भी पड़ता है। क्योंकि लाइफस्टाइल से जुड़ी ये बीमारियां कहीं न कहीं हमारी मेंटल हेल्थ से भी जुड़ी होती हैं।
साथ रहने वाले कपल्स का बीपी का स्तर कंट्रोल रहता है और हार्ट अटैक आने की आशंका भी कम रहती है। वहीं अकेले रहने वालों को हाई बीपी की शिकायत रहने के साथ ही हार्ट अटैक आने की आशंका रहती है। स्टडी के अनुसार शादीशुदा पुरुषों की औसत आयु अकेले रहने वाले पुरुषों से लगभग दस साल तक अधिक होती है। लाइफ पार्टनर के साथ रहने वाले पुरुषों की मेंटल हेल्थ भी ज्यादा सही पाई गई।
डिप्रेशन होने की आशंका होती है कम

स्वीडन में हुई एक स्टडी का दावा है कि खुशहाल शादीशुदा जोड़ों की मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है। वे अक्सर कम बीमार होते हैं। उनकी इम्यूनिटी बेहतर होती है, जिससे वे निमोनिया, हार्ट डिजीज से बचे रहते हैं। अमेरिका के एशर सेंटर फॉर द स्टडी एंड ट्रीटमेंट ऑफ डिप्रेसिव डिसऑर्डर्स की ओर की गई एक स्टडी का दावा है कि जो कपल्स साथ रहते हैं उनमें एंग्जाइटी कम होती है, ऐसे में वे डिप्रेशन का शिकार कम होते हैं। वहीं अकेले रहने वालों को डिप्रेशन ज्यादा घेरता है। इतना ही नहीं जो कपल्स साथ होते हैं वे बड़ी सर्जरी से जल्द उबर पाते हैं। जीवनसाथी का साथ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
सेहत के प्रति होते हैं ज्यादा सजग

शादी आपको परिवार के लिए जिम्मेदार बनाती है। आप न सिर्फ परिवार के आज के लिए सोचते हैं, बल्कि उसके भविष्य को लेकर भी चिंतित रहते हैं। ऐसे में मैरिड लाइफ आपको हेल्थ के प्रति भी अवेयर करती है। आप सेहतमंद रहकर परिवार को सिक्योर करने के लिए स्वस्थ रहकर काम करना चाहते हैं। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार मैरिड कपल्स बेहतर लाइफस्टाइल बिताते हैं। 25,000 कपल्स पर हुए इस अध्ययन के अनुसार शादीशुदा लाइफ से लोगों का व्यवहार भी बेहतर होता है। जो अच्छे समाज के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है। शादीशुदा कपल्स अपनी सेहत को लेकर काफी सजग होते हैं और नियमित तौर पर डॉक्टर के पास जाते हैं। वहीं जो लोग अकेले रहते हैं वे अकसर बीमार होने पर भी डॉक्टर के पास जाने से बचते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि उन पर कोई पारिवारिक प्रेशर नहीं होता।
जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स

मनोचिकित्सकों का मानना है कि शादीशुदा जिंदगी लोगों की जिंदगी के तमाम पहलुओं पर पॉजिटिव असर डालता है। डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि शादी एक ऐसा बंधन है जिसमें दो लोगों को एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का एहसास होता है। फिर चाहे वे किसी भी देश और संस्कृति के हों। यही कारण है कि कपल्स एक दूसरे का ध्यान रखते हैं। जिससे उनकी सेहत ठीक रहती है। परिवार के साथ रहने से खानपान का ध्यान भी रहता है। कपल्स आपस में सुख दुख बांटते हैं, बातें शेयर करते हैं, जिससे मेंटल हेल्थ सही रहती है और डिप्रेशन नहीं होता। डॉ. गौतम का कहना है कि शादी एक ऐसा सामाजिक ढांचा है, जो समाज के लिए जरूरी है। शादीशुदा कपल्स पर सोशल प्रेशर रहता है, जिसके कारण वे एक-दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं। वहीं जो लोग अकेले रहते हैं, एक समय के बाद उन्हें अकेलापन ही अखरने लगता है। उनके पास अपनी बातें शेयर करने के लिए लोग नहीं होते, जिससे वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
