nanhi gogo gayi school
nanhi gogo gayi school

नन्ही गोगो थोड़ी बड़ी हुई तो सुबह-सुबह तैयार होकर, कंधे पर अपना छोटा सा बस्ता टाँगे स्कूल जाने लगी।

शुरू में उसे स्कूल जाने में बड़ी झिझक होती थी, डर भी लगता था। पता नहीं मैडम किस बात पर गुस्सा हो जाएँ या डाँट-डपट दें! सोचकर उसका दिल काँप जाता।

जब पहली बार मम्मी ने पास के एक प्ले स्कूल ‘हैप्पी किड्स गार्डन’ में उसका दाखिला कराया और उसे वहाँ छोड़कर आ रही थीं तो गोगो की आँखों में आँसू थे। चेहरा उतरा हुआ था। मम्मी अभी थोड़ी दूर ही गई होंगी कि गोगो एकाएक रोते-रोते चिल्ला पड़ी, “मत जाओ, मम्मी-मम्मी…!”

गोगो की रोने की आवाज इतनी तेज और करुण थी कि मम्मी से रहा नहीं गया। वे उलटे पैरों लौट पड़ीं।

क्लास में गईं तो देखा, गोगो को उसकी टीचर प्यार से पुचकार रही हैं और गोगो का रोना बढ़ता ही जा रहा है। आँसू उसके गोल-मटोल गालों से टपककर जमीन पर गिर रहे थे। क्लास के बाकी बच्चे आँखें फाड़े उसे बड़ी हैरानी से देख रहे थे।

मम्मी ने क्लासरूम के दरवाजे से यह दृश्य देखा तो उनका कलेजा फटने को हुआ। मन ही मन ‘हाय, मेरी बेटी’ कहती हुई पास गईं और गोगो के सिर पर हाथ फेरा, तो गोगो का रोना और बढ़ गया। वह इस कदर बुक्का फाड़कर रो रही थी, जैसे उसके रोने की आवाज अभी स्कूल की छत को उड़ा ले जाएगी।

“रहने दीजिए…रहने दीजिए, यह आपसे नहीं सँभलेगी। आज मैं इसे वापस अपने साथ ले जा रही हूँ।” गोगो की मम्मी बोलीं, “कल थोड़ा समझा-बुझाकर लाऊँगी। हो सकता है तब…तब शायद…!” उन्होंने टीचर से कातर विनती की। खुद गोगो की मम्मी की आँखें इस समय गीली हो आई थीं। उन्होंने गोगो को रोते तो देखा था, पर इस कदर भला कहाँ रोती थी यह लड़की?

“नहीं-नहीं, आप घबराएँ नहीं।” मैडम ने भरोसा दिलाया, “शुरू में सब बच्चे…ये सबके सब इसी तरह करते हैं, पर फिर मान जाते हैं। आपको देखकर यह कुछ ज्यादा लाड़पना कर रही है। आप…प्लीज आप चली जाएँ, तो मैं सँभाल लूँगी इसे।…जरूर सँभाल लूँगी। प्लीज!”

आखिर गोगो की मम्मी गोगो को स्कूल में छोड़कर ही आ गईं। गोगो अब भी रोए जा रही थी।

गोगो की मम्मी लौटीं, तो उदास थीं। उनका ध्यान गोगो में ही अटका हुआ था। ‘दोपहर को गोगो घर लौटेगी, तो उसे खूब प्यार से समझाऊँगी।’ उन्होंने सोचा।

पर उन्हें क्या पता था कि उनके स्कूल से लौटने के कुछ समय बाद ही नन्ही गोगो का रोना तो थमा ही, उलटे वह खूब खिल-खिल-खिल हँसने लगी थी। और यहाँ तक कि उसकी शरारतें और धमा-चौकड़ी भी शुरू हो गई थी।

हुआ यह कि एकदम ‘खुल जा सिमसिम’ की तरह मैडम ने अपनी अलमारी खोली और उसमें से जादू-मंतर की तरह एक से एक अजीबो-गरीब, नए-नए रंग-बिरंगे खिलौने निकालने शुरू किए। गोगो रोना भूल एकटक उन्हें देखने लगी।

किसी में भालू सितार बजा रहा था तो किसी में शेर सर्कस में कलाबाजी दिखा रहा था। और एक नाचने वाला मोर तो इतना सुंदर था कि उसे झूम-झूमकर नाचते देख, गोगो खुश होकर तालियाँ बजाने लगी। एक उड़ने वाली चिड़िया भी थी, जो हवा में चीं-चीं-चीं करती हुई तेजी से गोल घेरे में उड़ती थी। कमरे में देर तक यहाँ से वहाँ चक्कर काटती घूमती रहती थी।

मजे की बात यह है कि उस काली उड़ने वाली चिड़िया के साथ-साथ एक नीले रंग का हवाई जहाज भी था, जो क्लासरूम में गोल-गोल चक्कर खा रहा था। गोगो को लगा, जरूर इस काली चिड़िया और नीले हवाई जहाज की टक्कर होगी। वह जोर से चिल्लाई भी, “मैडम-मैडम…!” पर क्लास के बच्चे मजे में हँस रहे थे। गोगो समझ गई कि यह उड़ने वाली काली चिड़िया उड़ती रहेगी। पास में हवाई जहाज भी उड़ेगा, मगर दोनों एक-दूसरे से टकराएँगे नहीं।

थोड़ी देर बाद गोगो के मन में आया, जरा चिड़िया को पकड़ा जाए। वह चिड़िया को पकड़ने उसके पीछे-पीछे भागी, पर गोगो पीछे-पीछे, चिड़िया आगे…! चिड़िया उसके हाथ में आती ही नहीं थी। यह देख, गोगो पहले झुँझलाई, फिर हँस पड़ी।

फिर वह हवाई जहाज को पकड़ने भागी, मगर हवाई जहाज ने और भी दौड़ाया, और भी छकाया तो गोगो हारकर अपनी जगह खड़ी होकर तालियाँ बजाने लगी। और जोर से चिल्लाई, “बाय-बाय हवाई जहाज, बाय-बाय!” वह भूल गई कि वह घर में है या स्कूल में। फिर तो और सब बच्चे भी गोगो के साथ किलकारियाँ मारकर हँसने लगे।

तब तक आधी छुट्टी का समय हो गया। और बच्चों के साथ गोगो ने भी लंच किया। फिर ड्राइंग, गिनती और ए-बी-सी-डी की क्लासें हुईं। गोगो को बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि वह तो पहले भी सब कुछ जानती थी। मैडम ने पूछा, तो उसने सारे सवालों के सही जवाब दिए। छुट्टी हुई, तो मम्मी उसे लेने आ पहुँचीं। पर गोगो का मन स्कूल में इतना रम चुका था कि वह बोली, “मम्मी-मम्मी, क्या मैं थोड़ी देर और यहाँ नहीं खेल सकती?”

लौटते समय गोगो मम्मी को पूरे रास्ते यह बताती गई कि “मम्मी-मम्मी, सचमुच स्कूल तो बड़ी अच्छी जगह है। और देखो मम्मी, मैंने इतनी शरारतें कीं, पर पीली साड़ी वाली मेरी प्यारी-सी टीचर ने जरा भी नहीं डाँटा। और मम्मी, इतना मजा आया, इतना कि…क्या कहूँ! अब तो मम्मी, मैं रोज स्कूल जाऊँगी और जरा भी नहीं रोऊँगी। तुम बिल्कुल परेशान मत होना।”

मम्मी गोगो की बातें सुनकर निहाल थीं। और मन ही मन उसकी नीता मैडम की तारीफ कर रही थीं, जिन्होंने सचमुच गोगो पर जादू कर दिया।

ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंBachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)