अगले दिन नन्ही गोगो झूला पार्क में गई तो उसके पास हरे रंग की एक छोटी-सी बाँसुरी थी। वह उसे बार-बार बजाने की कोशिश कर रही थी, पर बाँसुरी ठीक से बज ही नहीं रही थी। बार-बार उसका सुर बिगड़ जाता था। देखकर नन्ही गोगो को बड़ा गुस्सा आया। तभी उसका ध्यान गुलाब के एक सुंदर पौधे की ओर गया। उस पर एक बड़ा प्यारा गुलाब का फूल खिला था। उस गुलाबी रंग के सुंदर फूल पर वही दाढ़ीदार मक्खी गोगो को नजर आई, जिसने जादूगर पाशा बनकर उसे सारी दुनिया में घुमाया था।
गोगो को लगा कि वह दाढ़ीदार मक्खी उसे देखकर हँस रही है। फिर उसे खयाल आया कि यह तो सचमुच जादूगर पाशा है, जिसके साथ कल वह सारी दुनिया की सैर करने गई थी।
“जादूगर चाचा…जादूगर चाचा!” गोगो के मुँह से निकलते ही जादूगर पाशा अपने पूरे कद में सामने आ खड़ा हुआ।
आज उसकी लाल पगड़ी पेड़ों के शिखरों से ज्यादा ऊँची और खूब चटक लग रही थी। पैरों में कोई दो-डेढ़ फुट लंबे काले जूते थे अजब डिजाइन के।
“वाह चाचा, आज लग रहे हो तुम कमाल के! देखते ही लगता है कि जादूगर पाशा तो ऐसा ही हो सकता है।”
सुनकर जादूगर पाशा जोर-जोर से हँसने लगा। हँसते हुए उसकी मूँछें फड़कने लगीं। और जमीन पर लोटती हुई सफेद दाढ़ी इतने जोर-जोर से हिलने लगी कि उस झूला पार्क में देखते ही देखते आँधी चल पड़ी।
“आज किसलिए याद किया मुझे बेटी? मुझे लग रहा है, यह बाँसुरी तुमसे ठीक से सध नहीं रही। यही बात है न गोगो?”
“हाँ, जादूगर चाचा! इससे सुर तो निकलता ही नहीं।” गोगो ने रोंआसा चेहरा बनाकर कहा।
“तो तुम्हें बिटिया, शौक है गाने का और बजाने का?” जादूगर पाशा ने ममतालु चेहरा बनाकर कहा।
“बहुत-बहुत…जादूगर चाचा! पर क्या करूँ, मुझे तो गाना ही नहीं आता। और कितने दिन से बाँसुरी सीखने की कोशिश कर रही हूँ, पर मुझसे तो यह बजती ही नहीं। जब बाँसुरी वाला भैया बजा रहा था तो इससे इतने संदर सुर निकल रहे थे कि क्या कहने! पर मैं बजाती हूँ तो जादूगर चाचा, यह बुरी तरह भैं-भैं-भैं करती है।” कहकर गोगो हँसने लगी, पर उसकी उदासी छिप नहीं रही थी।
इस पर जादूगर पाशा बोला, “चलो बिटिया, हमें एक बार फिर दुनिया की सैर करने जाना होगा। पर चिंता न करो, आज हम कल से भी जल्दी लौट आएँगे।”
गोगो को भला इसमें क्या परेशानी थी? वह झट जादूगर चाचा के कधों पर बैठी और उसकी लाल तुर्रेदार पगड़ी का संकेत होते ही, जादूगर चाचा के साथ वह भी उड़ चली।
इस पर जादूगर पाशा ने गोगो को दुनिया भर के सभी बड़े और जाने-माने संगीतकारों से मिलवाया। किसी ने गोगो को बाँसुरी सिखाई। किसी ने सितार, किसी ने ढोल, किसी ने तानपूरा। थोड़ी ही देर में गोगो गाने-बजाने में इतनी होशियार हो गई कि कोई भी बाजा वह बजाती, तो खुद ही उसके कानों को अच्छा लगता।
गोगो बोली, “धन्यवाद जादूगर चाचा, आज मेरा एक बड़ा दुख दूर हो गया है। मैं तो सोचती थी कि संगीत मैं कभी सीख ही नहीं सकती। पर अब…अब मैं गा सकती हूँ, बजा सकती हूँ। और ऐसा संगीत छेड़ सकती हूँ कि लाखों लोग उसके साथ झूमेंगे, उसका आनंद लेंगे। चलो, अब वापस चलते हैं जादूगर चाचा।”
“तनिक रुको बिटिया, अभी एक जगह और जाना है। फिर उसके बाद हमारी वापसी की यात्रा शुरू हो जाएगी।” जादूगर पाशा ने मुसकराते हुए कहा।
इस बार गोगो जादूगर चाचा के साथ उड़ती हुई जापान के टोक्यो शहर में जा पहुँची। यहाँ सारी दुनिया के जाने-माने संगीतकारों का एक विश्व सम्मेलन हो रहा था। लाखों लोग सुनने आए थे। हर संगीतकार अपनी सबसे मधुर और चुनी हुई धुनें निकालकर अपनी संगीत-कला का प्रदर्शन कर रहा था। विश्व सम्मेलन ऐसा था जो संगीत की बुलंदियों को छू रहा था। इससे पहले कभी संगीत की इतनी बड़ी-बड़ी हस्तियाँ एक जगह इकट्ठी नहीं हुई थीं।
जादूगर चाचा के साथ गोगो भी दुनिया के उन जाने-माने संगीतकारों की विश्व सभा में जा बैठी और ध्यान से उनका अद्भुत संगीत सुनने और उसका आनंद लेने लगी।
इतने में मंच से सभा के संचालक की आवाज गूँजी, “भाइयो और बहनो, अब हम दुनिया की सबसे नन्ही, लेकिन बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार से आपको मिलवाएँगे। सुनिए उसका गाना और देखिए कि उसमें कितनी गजब की मिठास और जादू है।”
सुनकर गोगो चकरा गई। उसने तो सपने में नहीं सोचा था कि दुनिया के जाने-माने संगीतकारों के इतने बड़े सम्मेलन में उसे गाने का मौका मिलेगा। उसे थोड़ी-थोड़ी घबराहट भी हो रही थी। उसने फुसफुसाकर जादूगर चाचा से कहा, “चाचा-चाचा, मुझे तो इतना अच्छा गाना नहीं आता। मैं भला कैसे गाऊँगी?”
“गाओ तो बिटिया, गाओ…तुम कुछ भी गाओ।” जादूगर पाशा ने उसकी पीठ ठोंकते हुए कहा।
आखिर नन्ही गोगो अपना तानपूरा लेकर मंच पर गई। शुरू में वह डर रही थी, पर जैसे ही उसने गाना शुरू किया, उसे खुद ही अपनी आवाज सुनकर अच्छा लगा। बस, उसकी झिझक दूर हो गई। उसे लगा कि अरे, मैं भी गा सकती हूँ और अच्छा गा सकती हूँ।
गोगो ने संगीतकारों के उस विश्व सम्मेलन में एक नहीं, पूरे पाँच गाने गाए और इतने डूबकर गाए कि सब लोग साँस रोककर सुन रहे थे।
जब गोगो का आखिरी गाना खत्म हुआ, तो सभा में बड़ी देर तक तालियों की गड़गड़ाहट गूँजती रही। गोगो मंच से उठकर आने लगी, तो मंच पर बैठे सबसे बुजुर्ग संगीतकार अल्लादीन मियाँ ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए एक फूलों का गुलदस्ता और सोने का मेडल दिया। कहा, “नन्ही गोगो को, यह हमारी ओर से स्मृति-चिह्न दिया जा रहा है। हमें पूरी उम्मीद है कि यह नन्ही बच्ची संगीत की महान परंपरा को आगे बढ़ाएगी और अपने साथ-साथ हम सबका नाम ऊँचा करेगी। यह कल की दुनिया में संगीत की महान कलाकार बनेगी।”
सफेद दाढ़ी वाले बुजुर्ग संगीतकार अल्लादीन मियाँ ने गोगो की संगीत-कला के बारे में एक छोटा-सा भाषण भी दिया। उस भाषण के अंत में कहा, “साहेबान, मुझे ऐसा लग रहा है कि आज मेरी उम्र दोगुनी हो गई है। क्योंकि मैं अपने कानों से हिदुस्तानी संगीत की धारा की परंपरा को आगे बढ़ानी वाली एक नन्ही संगीतकार को सुन चुका हूँ। मुझे पूरा यकीन है कि यह संगीत के क्षेत्र में आगे…आगे…बहुत आगे जाएगी।” इस पर सभा में फिर देर तक तालियों की गड़गड़ाहट होती रही।
उस दिन विश्व सम्मेलन में हिस्सा लेने की वजह से गोगो को घर लौटने में थोड़ी देर हो गई। इसलिए जादूगर पाशा उसे एकदम घर के दरवाजे तक छोड़ गया।
मम्मी-पापा ने नन्ही गोगो के हाथ में सुंदर-सुनहले अक्षरों में छपा अभिनंदन-पत्र, सुंदर-सुंदर जापानी फूलों का गुलदस्ता और एक बड़ा-सा सोने का मेडल देखा तो चकरा गए। बोले, “गोगो-गोगो, ये क्या?”
गोगो खुद हैरान थी। वह भला क्या बताती! वह सोच रही थी, पता नहीं यह सचमुच का दृश्य है या मैं कोई सपना देख रही हूँ?
नन्ही गोगो अब भला मम्मी-पापा को क्या बताए? कैसे बताए! वह बोली, “मम्मी जी, पापा जी, मैं जल्दी ही डायरी लिखूँगी। उसे पढ़कर आप सब समझ जाएँगे।”
उस दिन अभिनंदन-पत्र, मेडल और फूलों का गुलदस्ता लिए, नन्ही गोगो जब सोने के लिए गई, तो देर तक सपने में उसे एक ही दृश्य दिखाई दिया कि वह अपनी छोटी-सी हरे रंग की बाँसुरी बजा रही है। और उसमें से इतनी प्यारी-प्यारी धुनें निकल रही हैं कि दूर-दूर के लोग ही नहीं, बल्कि चिड़िया, तोते, मोर और आसपास के सारे पशु-पक्षी गोगो के चारों ओर इकट्ठे होते जा रहे हैं। यहाँ तक कि पेड़ भी उसे सुनकर झूम रहे हैं और उसके संगीत की स्वर-लहरियाँ धरती से आकाश तक सब ओर फैलती जा रही हैं…फैलती चली जा रही हैं।
सुबह गोगो उठी, तो उसे याद था यह सपना। मन ही मन मुसकराते हुए बोली, “आहा, कितना सुंदर सपना। काश, यह सच हो जाता!”
ये उपन्यास ‘बच्चों के 7 रोचक उपन्यास’ किताब से ली गई है, इसकी और उपन्यास पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Bachchon Ke Saat Rochak Upanyaas (बच्चों के 7 रोचक उपन्यास)
