Woman celebrating onam
Woman celebrating onam

Summary: ओणम की ख़ास बातें और मान्यता

दक्षिण भारत का राज्य केरल अपनी हरियाली, बैकवॉटर और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन जब बात ओणम की आती है तो यह सिर्फ़ एक त्योहार नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और लोक परंपराओं का जीवंत संगम है।

Onam Significance: भारत त्योहारों की भूमि है और हर प्रदेश की अपनी अनूठी परंपराएँ हैं। दक्षिण भारत का राज्य केरल अपनी हरियाली, बैकवॉटर और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन जब बात ओणम की आती है तो यह सिर्फ़ एक त्योहार नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और लोक परंपराओं का जीवंत संगम है। ओणम हर साल अगस्त-सितंबर में मनाया जाता है और इसकी अवधि करीब दस दिनों की होती है। यह पर्व इस साल 5 सितंबर को मनाया जाएगा जोकि समृद्धि, खुशहाली और भाईचारे का प्रतीक है।

इस अवसर पर केरल के गाँवों और शहरों में रंग-बिरंगे फूलों की सजावट, पारंपरिक नृत्य, नाव दौड़ और भव्य भोज का आयोजन होता है। ओणम एक ऐसा उत्सव है जो लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ता है और समाज में एकता और समानता का संदेश देता है।

Illustration of King Mahabali and the mythical tale behind Onam festival in Kerala
Honoring Legends, Unity, and Festive Traditions

ओणम का संबंध असुरराजा महाबली से है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाबली अपने समय के सबसे न्यायप्रिय और दयालु शासक थे। उनके शासन को समृद्धि और समानता का युग कहा जाता है। देवताओं ने जब उनकी शक्ति से चिंता जताई तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और तीन पग भूमि माँगी। वामन ने महाबली को पाताल लोक भेज दिया लेकिन उनकी प्रजा से अटूट प्रेम देखकर उन्हें हर साल धरती पर आने की अनुमति मिली। इसी वापसी का स्वागत ओणम के रूप में किया जाता है।

ओणम की सबसे खूबसूरत परंपराओं में से एक है पुक्कलम, यानी फूलों से बनाई जाने वाली रंगोली। त्योहार के दस दिनों तक घरों के आंगन में अलग-अलग रंगों के फूलों से सुंदर आकृतियाँ बनाई जाती हैं। हर दिन इसमें नए फूल जोड़े जाते हैं और पुक्कलम और भी भव्य होती जाती है। यह परंपरा न सिर्फ़ घर को सुंदर बनाती है बल्कि लोगों को प्रकृति के प्रति सम्मान और सौंदर्यबोध का संदेश भी देती है। गाँवों में पुक्कलम प्रतियोगिताएँ भी होती हैं जहाँ कलाकार अपनी रचनात्मकता का शानदार प्रदर्शन करते हैं।

Traditional snake boat race and vibrant folk dance performance during Onam festival
Exploring the Colors, Music, and Spirit of Ladakh

ओणम का जिक्र नौका दौड़ के बिना अधूरा है। बैकवॉटर की शांत नदियों में सजी हुई लंबी-लंबी नावें और उन पर बैठे सैकड़ों नाविक, एक साथ गीत गाते हुए दौड़ लगाते हैं। यह दृश्य पर्यटकों के लिए अत्यंत रोमांचक और अविस्मरणीय होता है। इसके साथ ही पारंपरिक कथकली और थिरुवाथिरा जैसे नृत्य नाट्य प्रस्तुतियाँ भी महोत्सव का हिस्सा हैं। महिलाएँ थिरुवाथिरा में गोल घेरा बनाकर नृत्य करती हैं जबकि कथकली में धार्मिक कथाओं का चित्रण होता है।

ओणम का जश्न बिना साध्य के अधूरा है। साध्य पारंपरिक भोज है, जिसमें केले के पत्ते पर करीब 26 से 30 तरह के व्यंजन परोसे जाते हैं। इसमें सांभर, अवियल, थोरन, पायसम जैसे व्यंजन खास होते हैं। साध्य सिर्फ़ खाने का आनंद नहीं है, बल्कि यह सभी को एक साथ बैठकर समानता से भोजन करने का प्रतीक है। यहाँ कोई बड़ा-छोटा नहीं होता, सभी मिलकर इस भोज का स्वाद लेते हैं। यह परंपरा समाज में भाईचारा और एकता की भावना को मजबूत करती है।

यही वजह है कि ओणम न सिर्फ़ एक त्योहार बल्कि जीवन का उत्सव माना जाता है, जहाँ हर व्यक्ति महाबली के स्वर्ण युग को महसूस करता है और आने वाले कल के लिए खुशहाली की कामना करता है।

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...