भारत में शादियां जीवन का सबसे बड़ा उत्सव होती हैं। शादी एक परंपरा, जीवन को संपूर्ण बनाने का जरिया हैं। शादी को दो जिस्मों, दिलों और दो अलग-अलग विचारधाराओं का संयोजन माना जाता है, लेकिन सच यह भी है कि यह सिर्फ दो दिलों का ही नहीं, बल्कि दो अलग-अलग संस्कृतियों- परिवारों का भी मेल होता है। दोनों परिवारों को एक करने का काम होता है नवविवाहित जोड़े का। इस जोड़े को ही समझदारी से एक-दूसरे के परिवार को यह अहसास कराना चाहिए कि वे उनके भी उतने ही अपने हैं, जितनी उनकी बेटी या बेटा है।
ससुराल में सामंजस्य
आज की लड़कियां इस बात का महत्व नहीं समझती और अपना घर अलग करने में ही भलाई समझती हैं। यदि लड़की कामकाजी है तो उसके माता-पिता जरूरी नहीं समझते कि उसे घरेलू काम सिखाया जाए। जब यही लड़की ससुराल जाती है तो उससे हर काम में हाथ बंटाने और घर को सुरुचिपूर्ण ढंग से रखने की उम्मीद की जाती है। ऐसे में अगर लड़की को काम नहीं आता या वह कोई काम करना नहीं चाहती तो सास-ननद के साथ ही नहीं, बल्कि पति के साथ भी अनबन होने लगती है। शादी के बाद लड़की अपने ससुराल में रहे या कहीं अलग अपने पति के साथ रहे, वह कामकाजी हो या फिर उसे घर में ही रहकर घरेलू जिम्मेदारी निभानी हो, घर का सारा कामकाज उसे आना ही चाहिए। और यह बात सिर्फ लड़की पर ही नहीं लागू होती, आजकल के लड़कों को भी घरेलू कामकाज आना चाहिए, यही आज के समय की जरूरत है।

एमिला फिनिशिंग लाउंज
पेशे से साइकोलॉजिस्ट गुंजन अग्निहोत्री की चचेरी बहन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। घर से संबंधित कोई काम न आने के कारण उसकी शादी टूटते-टूटते बची। वह तो दोनों ओर के परिजन समझदार थे तो मामला बिगडऩे से बच गया लेकिन ऐसे में कितनी ही लड़कियों की शादी बिगड़ जाती है। गुंजन की इसी सोच ने उन्हें शादी से पहले ट्रेनिंग देने के लिए प्लेटफॉर्म बनाने की प्रेरणा दी जो गुडग़ांव में एमिला फिनिशिंग लाउंज फॉर वुमेन के रूप में सामने आई।
फैकल्टी में जानेमाने नाम
गुंजन का मानना है कि कोई भी काम शुरू किया जाए तो पूरी तैयारी के साथ किया जाना चाहिए। यही वजह थी कि उन्होंने इस ट्रेनिंग लाउंज को हर उस दृष्टि से तैयार किया, जिससे किसी भी बहू को देखा जाता है। इसीलिए उनकी फैकल्टी में अनेक जानेमाने नाम शामिल हैं, जैसे सेलिब्रिटी शेफ नीता मेहता, गाइनोकॉलोजिस्ट डॉ. नूपुर गुह्रश्वता, सेलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट अंशिता जैन सहगल, इंटीरियर डिजाइनर स्वाति मुखर्जी, इमेज कंसल्टेंट प्रेक्टीशनर उर्वशी कौल।
ऑर्डिनरी को बनाते एक्स्ट्राऑर्डिनरी
गुंजन कहती हैं कि एमिला में लड़कियों को सिर्फ पारिवारिक नजरिये से ही नहीं, बल्कि इस तरह तैयार किया जाता है जहां वह अपने स्टाइल और इंटेलीजेंस से समाज में भी अलग स्थान बनाएं, यानी कि एक ऑर्डिनरी गर्ल को एक्स्ट्राऑर्डिनरी बना दिया जाता है। इसके लिए सबसे पहले एक्सपर्ट के साथ लड़की का इंगेजमेंट सेशन होता है, जिसमें उसका एसेसमेंट किया जाता है कि किस-किस क्षेत्र में उसे सुधार की जरूरत है। इसके बाद 6 सप्ताह का ट्रेनिंग प्रोग्राम होता है। सप्ताह में दो बार एक्सपर्ट्स के साथ ट्रेनिंग सेशन होता है, जिसमें कुल 13 कोर्सेज़- व्यक्तित्व विकास, ड्रेसिंग, टेबल आर्ट, मेकअप सेशन्स, एटिकेट्स यानी सलीका, पार्टीज़ का आयोजन करना, होम मैनेजमेंट, क्लासिकल एजुकेशन (गीता और वेदों का ज्ञान), कम्युनिकेशन यानी बातचीत और सोशल मीडिया के तरीके, किचन मैनेजमेंट, वुमेन हैल्थ, होम डेकोर इत्यादि शामिल हैं। अब गुंजन की योजना है एक कस्टमाइज्ड पैकेज शुरू करने की जिसमें ड्रेस डिजाइनर, ब्यूटी और हैल्थ एक्सपर्ट्स से दुल्हन को उसके अपने व्यक्तित्व के अनुसार सेवाएं दी जाएंगी।
