Vallabhacharya Jayanti 2023: भारत विद्वानों और संतों का देश कहा जाता है। देश में ऐसे कई महान संत हुए, जिन्होंने अपना जीवन ईश्वर की खोज व भक्ति में समर्पित कर दिया। महाप्रभु वल्लभाचार्य भी ऐसे ही संत हुए। महाप्रभु वल्लभाचार्य ने ब्रज क्षेत्र में पुष्टि संप्रदाय की स्थापना की थी, जिसके कारण उनको भगवान श्रीकृष्ण का अनुयायी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि महाप्रभु वल्लभाचार्य ने गोवर्धन पर्वत पर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए थे। हर वर्ष बैसाख माह में कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को वल्लभाचार्य जयंती मनाई जाती है। इस बार 16 अप्रैल 2023 को वल्लभाचार्य जंयती मनाई जाएगी। तो चलिए जानते हैं वल्लभाचार्य जयंती का महत्व और इससे जुड़ा इतिहास।
महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती का महत्व
![Vallabhacharya Jayanti](https://i0.wp.com/grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2023/04/New-Project-2023-04-10T155604.299.jpg?resize=780%2C439&ssl=1)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वल्लभाचार्य ने ही श्रीकृष्ण की श्रीनाथ के रूप में पूजन करना प्रारंभ किया था। इस वजह से श्रीनाथ जी के मंदिर में वल्लभाचार्य जयंती पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। मान्यता है कि श्री वल्लभाचार्य का जन्म वाराणसी में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वल्लभाचार्य भगवान श्रीकृष्ण के प्रबल भक्त थे। वह सर्वोच्च शक्ति में पूर्ण विश्वास रखते और श्रीनाथ की पूजा करते। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वल्लभाचार्य को दर्शन भी दिए थे। कहा जाता है कि जब वल्लभाचार्य उत्तर पश्चिम भारत की तरफ बढ़ रहे थे, तब उन्होंने गोवर्धन पर्वत पर ऐसी घटना देखी जो भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार, उन्होंने देखा कि एक गाय रोजाना पर्वत पर एक विशेष स्थान पर दूध देती थी।
इसके बाद एक बार वल्लभाचार्य ने उस विशेष स्थान पर खुदाई की तो वह देखकर अचंभित हो गए। वहां उनको भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति प्राप्त हुई। कहा जाता है कि भगवान स्वयं वहां प्रकट हुए और उनको गले लगाया। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण के परम भक्त वल्लभाचार्य तीन भारतीय तीर्थों पर नंगे पैर चले। वल्लभाचार्य ने प्राचीन ग्रंथों के अर्थ बताते हुए 84 स्थानों पर भागवत प्रवचन दिए, जो आज चौरासी बैठक के रूप में जाना जाता है। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि अग्नि देवता का पुर्नजन्म वल्लभाचार्य जी का है ।
इस दिन के बाद से ही पुष्टि संप्रदाय भगवान कृष्ण की बाला छवि की भक्तिभाव से पूजा करते हैं। वल्लभाचार्य जयंती पर कई राज्यों में विभिन्न आयोजन किए जाते हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में वल्लभाचार्य जयंती भव्य तरीके से मनाई जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और अपने घरों और मंदिरों को सजाते हैं। पूजा अर्चना के समय लोग भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को पवित्र स्नान कराते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। इसके साथ-साथ कई जगहों पर यज्ञों का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण और श्री वल्लभाचार्य को प्रार्थना करके याद किया जाता है।
यह भी पढ़ें: वास्तु शास्त्र क्या है, हमारे जीवन में इसका कितना महत्व है?: Importance of Vastu Shastra