त्रेतायुग में रावण ने सीता जी का अपहरण कर लिया था। लेकिन उसके लिए ऐसा करना कठिन था क्योंकि पक्षी जटायु ने उनका भरसक विरोध किया। इतना कि रावण से लड़ाई में वो घायल हो गया। बाद में भगवान राम को घायल जटायु ने ही सीता के अपहरण की खबर दी थी। कहा जाता है कि जटायु घायल होने के बाद केरल राज्य के चदयामंगलम की पहाड़ियों पर गिरे थे। आज ठीक उसी जगह पर दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी का स्क्ल्प्चर बनाया गया है। इसे जटायु अर्थ सेंटर कहा जाता है और दुनियाभर से लोग इस जगह को देखने आते हैं। 
200 फीट की प्रतिमा-
जटायु को समर्पित ये पार्क 75 एकड़ में बना है। जिसमें प्रतिमा 200 फीट की है। खास बात ये भी है कि ये पार्क 1000 फिट की ऊंचाई पर बनाया गया है। 
राजीव अंचल ने बनाया-
कलाकार राजीव अंचल ने इस कलाकृति को बनाया है। लेकिन वो इसे सिर्फ जटायु का प्रतिबिंब नहीं मानते हैं बल्कि उनका कहना है कि इसको एक ऐसा पक्षी मानिए, जिसने एक महिला को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। वो इसको किसी खास धर्म से जोड़ कर भी नहीं देखते हैं। 
10 साल लगे बनने में-
राजीव ने इस कलाकृति का सपना कॉलेज के दिनों में ही देख लिया था। लेकिन इसके साकार होने की शुरुआत केरल सरकार के सहयोग से साल 2008 में हुई। इतनी अद्भुत चीज यूंहीं बन ही नहीं सकती थी, इसको बनने में पूरे 10 साल का समय लगा। और आज केरल के कोल्लम ज़िले के चदयामंगलम गांव को इसी आकृति की वजह से टूरिस्ट स्पॉट माना जाता है। इतनी बड़ी कलाकृति को देखना अपने आप में अनूठा अनुभव होता था। 
‘बॉट’ मॉडल-
कोल्लम से 38 किलोमीटर दूर बनी इस मूर्ति को बॉट मॉडल पर बनाया गया है। मतलब इसे बनाया कहीं और गया फिर टुकड़ों-टुकड़ों में यहां जोड़ दिया गया। ये टूरिज्म से जुड़ी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनशिप के साथ बना पहला रॉक थीम नेचर पार्क है। 
एडवेंचर पार्क-
इस मूर्ति को जब आप देखने जाएंगे तो सिर्फ ये ही देखने का मौका नहीं मिलेगा बल्कि इसके आस-पास आपको एडवेंचर स्पोर्ट्स का आनंद भी मिलेगा। रोप वे से जब आप यहां आ रही होंगी तो पहाड़ों आर हरियाली के बीच काफी सुंदर दृश्य भी आपको देखने को मिलेगा। 
कैसे जाएं-
जटायु के इस विशाल रूप को देखने के लिए आपको कोल्लम रेलवे का सहारा लेना पड़ेगा। ये देश के कई हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा तिरुवनंतपुरम है, जिसकी दूरी तकरीबन 80 किलोमीटर है। इसके अलावा आगे सड़क के रास्ते यहां आना चाहें तो एलेप्पी से राष्ट्रीय राजमार्ग का सहारा लिया जा सकता है। यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है।