Summary: धारपारुम: कांकेर की घाटियों में छुपा स्वर्ग
धारपारुम, छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्थित एक शांत और सुंदर हिल स्टेशन है, जो हरियाली, ठंडी हवाओं और झरनों से भरपूर है। घाटियों के बीच बसे इस स्थान की खासियत है चट्टानों के बीच बहती जलधारा, जिससे इसका नाम पड़ा।
Dharapuram Hill Station: छत्तीसगढ़ का बस्तर अंचल प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। यहां की घाटियां, झरने, गुफाएं और आदिवासी संस्कृति इसे एक स्वर्गिक पर्यटन स्थल बनाती हैं। बस्तर की वादियां सर्दियों में जब हरियाली ओढ़ती हैं, तब ये किसी हिल स्टेशन से कम नहीं लगतीं। इन्हीं घाटियों के बीच कांकेर जिले में छिपा है एक अनजाना लेकिन बेहद सुंदर स्थल, धारपारुम स्थित है।
कहां है धारपारुम?
धारपारुम हिल स्टेशन छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर क्षेत्र, कांकेर जिले में स्थित है। यह स्थल जिला मुख्यालय कांकेर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर, कानागांव के पास पहाड़ी जंगलों में बसा हुआ है। यहां पहुंचने के लिए मुख्य सड़क से करीब 5 किलोमीटर कच्चे रास्ते पर पैदल या दोपहिया वाहन से जाना होता है।
क्यों पड़ा नाम ‘धारपारुम’?

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस स्थान को ‘धारपारुम’ इसलिए कहा गया क्योंकि यहां चट्टानों के बीच से जलधारा बहती है। ‘धार’ यानी पानी की धार और ‘पारुम’ का मतलब है बहना। यही विशेषता इस स्थान को न केवल एक नाम देती है, बल्कि इसकी खूबसूरती में चार चांद भी लगाती है।
प्रकृति की गोद में बसा स्वर्ग
धारपारुम की सबसे बड़ी खासियत है इसका हरियाली से घिरा वातावरण, ठंडी हवाएं और शांति से भरा माहौल। मानसून के समय जब बादल घाटियों में उतरते हैं और पहाड़ियों को छूते हैं, तो दृश्य किसी फिल्मी सीन जैसा प्रतीत होता है। यहां की ठंडी हवा, झरने और खुले पठार आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।
धारपारुम के आस-पास छुपे हैं कई अनमोल रत्न
धारपारुम के समीपवर्ती क्षेत्रों में भी अनेक दर्शनीय स्थल मौजूद हैं, जिनमें हांदावाड़ा जलप्रपात सबसे प्रमुख है। यह झरना वर्ष भर अपनी जलधारा के साथ बहता रहता है, जिसकी गूंजती हुई आवाज़ और ठंडे छींटे हर आने वाले को भीतर तक सुकून और ताजगी का एहसास कराते हैं। पास ही स्थित है चित्रकोट जलप्रपात, जिसे ‘छत्तीसगढ़ का नियाग्रा’ भी कहा जाता है। इसके अलावा, ककनार गुफा जैसी प्राकृतिक गुफाएं यहां की भूगर्भीय विशेषताओं को दर्शाती हैं।
कैसे पहुंचे धारपारुम?

अगर आप सड़क मार्ग से आ रहे हैं, तो रायपुर या जगदलपुर तक पहुंचकर कांकेर आएं। कांकेर से उसेली होते हुए आप धारपारुम के बेस तक पहुंच सकते हैं। इसके बाद लगभग 5 किलोमीटर का कच्चा रास्ता तय करना होता है। हालांकि यह सफर थोड़ा कठिन है, लेकिन जब आप शीर्ष पर पहुंचते हैं, तो वहां की प्राकृतिक सुंदरता सारी थकान मिटा देती है।
पर्यटन की संभावनाएं
धारपारुम अभी तक ज्यादा लोगों की नजरों से ओझल रहा है, इसका एक बड़ा कारण है इस क्षेत्र में पहले रहा नक्सल प्रभाव। लेकिन अब जब बस्तर में शांति लौट रही है, तो धारपारुम जैसे पर्यटन स्थलों को विकसित करने की आवश्यकता है। यहां के स्थानीय आदिवासी लोग भी पर्यटन के ज़रिए रोजगार की नई संभावनाएं देख रहे हैं।
क्या है खास यह स्थल?
ठंडा और खुशनुमा मौसम: यहां की ऊंचाई के कारण सालभर ठंडक बनी रहती है।
बादलों से ढके पहाड़: सुबह के समय घाटियों में फैले बादल एक अलग ही दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
कैमरे की नजर से स्वर्ग सा अनुभव: प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों की भरपूर मौजूदगी के चलते यह स्थान फोटोग्राफी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग के दृश्य से कम नहीं है।
शांति और आत्मिक संतुलन: यहां का वातावरण मानसिक सुकून और शारीरिक ताजगी देता है।
