Belgadia Palace: शाही शानो शौकत और राजसी ठाठ-बाठ को कौन नहीं देखना चाहता है। इतिहास के गवाह इन किलों की सजावट से लेकर बनावट तक हर चीज में कला और संस्कृति की झलक मिलती है। उंची दीवारों, नायाब दरवाजों और मीनाकारी से लैस छतों से सजे किले को अगर आप न केवल मन भर निहारना चाहते हैं बल्कि वहां रहने का भी प्लान बना रहे हैं, तो उड़ीसा का बेलगाड़िया पैलेस कुछ वक्त ठहरने के लिए एक बेहद खूबसूरत जगह है। बुटिक होटल के तौर पर पर्यटकों के लिए इस एतिहासिक किले के द्वार खोल दिए गए हैं। करीबन दो सौ साल पुराने इस महल की खूबसूरती सदियों से यूं ही बरकरार है, जो लोगों को अपनी ओर आर्कषित करती है।
उड़ीसा के मयूरभंज ज़िले का यह क़िला बेहतरीन कला का अद्भूत नमूना पेश करता है। महारानी विक्टोरिया के बंकिघम पैलेस की तर्ज पर बने इस किले का हर कोना हर झरोखा, हर महराब अपने अस्तित्व की कहानी अपनी जुबानी ब्यां करता है। सालों से मयूरभंज राजघराने की विरासत का स्सा रहे इस किले को साल 2016 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया। यहां पर करीबन 25 कमरों को तोड़कर फिर से आधुनिक तरीके से ज़रूरत के हिसाब से बुटिक होटल तैयार किया गया है, जहां एक स्पेशल सुईट भी है, जो हल्के गुलाबी रंग का है। इसके अलावा यहां का हर कमरा अलग थीम पर हैं। बैलगाडि़या महल के रखरखाव के लिए आदिवासी घरानों समेत आम जातियों से लोग आते हैं और दिनभर महल की देखरेख के अलावा कई तरह के कामों में मसरूफ रहते हैं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ट्रैवलर्स के लिए मयूरभंज राजघराना हथकरघे के विस्तार के लिए भी टूर आयोजित करता है। ऐसा कहा जाता है कि इस राजमहल की बनावट से लेकर इंटीरियर तक सभी कुछ राजा ने अपनी निगरानी में करवाया था। इसका नाम एक अमीर और शक्तिशाली रियासत में शुमार है, जो भारत की प्राचीन रियासतों में से एक है। यहां मोर और मोरनी की पूजा की जाती थी और ऐसा कहा जाता है कि इसी के चलते इस रियासत का नाम मयूरभांज रखा गया।

बहुत बड़े क्षेत्रफल में फैली रियासत में महल और बागों के अलावा बैलगाड़िया राजघराने के अपने खेत भी है, जहां बड़ी मात्रा में फल और सब्जियों को उगाया जाता है और आने वाले अतिथिगणों को इन्हीं फलों सब्जियों से तैयार व्यंजन परोसे जाते हैं। जो खाने में लाजवाब होते हैं। इतना ही नहीं, अगर आप चाय के शौकीन है, तो चाय की चुस्कियां लेने के लिए महल के अंदर एक अलग कमरा बनाया गया है। जहां आप चाय का आनंद लेने के अलावा महल से जुड़ी किस्से कहानियों का भी मज़ा ले सकते हैं। जो लोग इतिहास का बेहद पसंद करते हैं, उन्हें एक बार इस जगह का दौरा अवश्य करना चाहिए।

अगर आप रेल से आने का मन बना रहे हैं तो दिल्ली से आपको बालासोर के लिए ट्रेन मिल जाएगी जहां 24 घंटे का सफर पूरा करने के बाद बारीपदा के लिए दूसरी ट्रेन लें। जहां से कुल 1 घंटे का सफ़र है। वहीं, अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं तो दिल्ली से कोलकाता के लिए आप फ़्लाइट ले सकते हैं। उसके बाद वहां से बारीपदा तक पहुंचने के लिए आप कैब कर सकते हैं।बैलगाड़िया पैलेस देवकुण्ड के लिए भी बेहद मशहूर है। जी हां यहां से महज़ 2 किमी दूरी पर देवकुण्ड स्थल मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि ये देवी देवताओं के स्नान का स्थल हुआ करता था। ऐसे में लोग यहां आते हैं और इस पवित्र स्थान पर स्नान कर सभी दुखों और तकलीफों से राहत पाते हैं।

प्राचीन कला से सुशोभित इस महल में घूमने में पूरा दिन बीत जाता है। वास्तु की दृष्टि से भी इस महल का अपना एक अलग महत्व है। इसके अलावा महल में बना बाग भी आने वाले पर्यटकों को एक सुखद एहसास की अनुभूति करवाता है। बैलगाड़िया महल से कुछ ही दूरी पर सिमिलिपाल राष्ट्रीय पार्क बना है, जहां घूमने के लिए बड़ी तादाद में सैलानी यहां पहुंचते हैं। राज्य के सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय पार्क में आपको जहां रॉयल बंगाल टाइगर देखने को मिलेंगे, तो वहीं एशियाई हाथी भी दिख सकते हैं। इसके अलावा भारतीय बाइसन, जंगली सुअर और तेंदुए भी आपको खेलते कूदते मिल जाएंगे। बेलगड़िया पैलेस की यात्रा जगन्नाथ मंदिर के दर्शनों के बिना अधूरी है। इसे हरिबलदेवजे मंदिर भी कहा जाता है। राजा बैद्यनाथ भंज के संरक्षण में निर्मित इस मंदिर के दर्शनों के लिए लोग यहां पहुंचते हैं।

बेलगड़िया पैलेस की यात्रा जगन्नाथ मंदिर के दर्शनों के बिना अधूरी है। इसे हरिबलदेवजे मंदिर भी कहा जाता है। राजा बैद्यनाथ भंज के संरक्षण में निर्मित इस मंदिर के दर्शनों के लिए लोग यहां पहुंचते हैं। बेलगाड़िया महल इतिहास के पन्नों में दर्ज है। जी हां प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संबद्ध सैनिकों के लिए ये स्थान एक पुनर्वास केंद्र के तैर पर भी अपनी अलग पहचान रखता है। इसके अलावा न जाने इस महल के बारे में ऐसी कितनी ही दिलचस्प कहानियां हैं जो पर्यटकों को शाही परिवार से सीखने, समझने और सुनने को मिलती हैं। अगर आप यहां रहने का मन बना रहे हैं और यहां की खूबसूरती को दृष्टिभर देखना चाहते हैं, तो इस शाही राजघराने में एक दिन रहने का किराया ₹6,000 रु है, जिसमें आपके लिए सुबह का नाश्ता भी शामिल है। वहीं दूसरी तरफ राजघराने वाले बाग़ के साथ एक शाही सूईट का बन्दोबस्त भी है जिसका कुल किराया लगभग ₹13,000 है। जहां नवविवाहित जोड़े घूमने फिरने का प्लान बना सकते हैं।
