Mysore Palace: कर्नाटक के मैसूर के केंद्र में शान से खड़ा मैसूर पैलेस एक ऐसी जगह है जहां आपको राजाओं के ठाठ-बाट, शानों शौकत, समृद्धि, दूरदर्शिता, स्थापत्य कला का ज्ञान और राजशाही सब एक ही जगह देखने को मिल जाएगी। द्रविड़ और रोमन स्थापत्य कला के इस बेजोड़ पैलेस में आपको सोने का सिंहासन देखने को मिलेगा, वहीं चांदी के बर्तनों की विस्तृत श्रृंखला भी। एक ओर यह भव्य पैलेस है तो उसके सामने खूबसूरत गार्डन।
चप्पा-चप्पा कराएगा भव्यता का एहसास

मैसूर पैलेस को अंबा विलास पैलेस भी कहा जाता है। इस जगह पहले 14वीं सदी का बना महल था, जो चंदन की लकड़ी का बना था, लेकिन एक हादसे में वो महल जल गया। जिसके बाद 1897 में महाराज कृष्णराजेंद्र वाडियार चतुर्थ ने इस नए पैलेस का निर्माण कार्य शुरू करवाया। 72 एकड़ में फैला यह महल 1912 में बनकर तैयार हुआ। इसे ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन ने डिजाइन किया था। पैलेस में राजपूती, मुगल और गोथिक डिजाइन के साथ सारसेनिक शैली में प्राचीर, गुंबद, आर्च और क्लोनेड बनाए गए हैं। तीन मंजिला इस पैलेस में 145 फुट ऊंचे मार्बल के गुंबद और पांच मंजिला टावर हैं। महल की दीवारें सुंदर पेंटिंग्स और खूबसूरत रंगों से सजी हैं। फर्श पर भी सुंदर टाइल्स लगे हैं। महल की दीवारों पर हुए सोने के पेंट की चमक आजतक बरकरार है। पैलेस का चप्पा-चप्पा आपको भव्यता का एहसास करवाता है। लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे, मार्बल पिलर्स देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा।
80 किलो सोने से बना सिंहासन

महल में आपको 80 किलो सोने से बना सिंहासन भी देखने को मिलेगा। लकड़ी से बने सिंहासन पर सोने की परत चढ़ाई गई है। इस पर बहुत ही खूबसूरती से फूल, पत्तियां और बेल उकेरी गई हैं। इसके पूर्व दिशा में हाथी, दक्षिण में घोड़ा, पश्चिम में सैनिक और उत्तर में रथ शाही आसन सुशोभित हैं। दक्षिण दिशा में ब्रह्मा, उत्तर में महेश्वर और त्रिदेवों में से मध्य में विष्णु विराजित हैं। सिंहासन इतना ऊँचा है कि इसपर बैठने के लिए सीढ़ियों का उपयोग किया जाता था। दशहरे और प्रमुख आयोजनों पर राजा इस पर बैठते थे।
कांच की छत और जगमग करते झूमर

शाही शादियों, बर्थ डे सेलिब्रेशन और अन्य बड़े कार्यक्रमों के लिए पैलेस में एक खास जगह बनाई गई थी। इसे कल्याण मंडप कहा जाता है। अष्टकोणीय आकार में बने इस हॉल की खासियत है इसकी छत जो कांच की बनी है। कांच और ढांचे का डिजाइन मैसूर के कलाकारों द्वारा बनाया गया था। जिसे स्कॉटलैंड के ग्लासगो में प्रसिद्ध वाल्टर मैकफर्लेंस सारासेन फाउंड्री द्वारा निर्मित किया गया था। हॉल का फर्श भी बेहद खास तरीके से मोजेक टाइल्स से डिजाइन किया गया है। लोहे के कलरफुल खंभों पर मोर उकेरे गए हैं। हॉल की दीवारों को 26 शानदार पेंटिंग्स से सजाया गया है, जिनमें दशहरा जुलूस, कृष्णराज वाडियार चतुर्थ का जन्मदिन जुलूस, दुर्गा पूजा, देवी चामुंडेश्वरी का कार उत्सव और कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव शामिल है। कहा जाता है कि इन पेंटिंग्स को ऐसे बनाया गया है कि इन्हें कहीं से भी देखो, ऐसा लगता है ये आपको देख रही हैं। वहीं हॉल के बाहरी खंभों पर महाभारत और रामायण के दृश्य उकेरे गए हैं।
बेहद खास है दरबार हॉल

पैलेस में तीन दरबार हॉल हैं, पहला जहां राजा आम जनता से मिलते थे, दूसरा जहां वे अपने मंत्रियों से बातचीत करते थे और तीसरा जहां मुख्य समारोह होते थे। ये तीनों ही बेहद अलग अंदाज में बनवाए गए हैं। पैलेस का हर दरबार हॉल आपको राजशाही का एहसास करवाएगा। आम जनता के लिए बनाए गए दरबार हॉल के कोनों में मिस्र से मंगवाई गई मूर्तियां और फ्रेंच लैंप स्टैंड लगे हैं। हॉल के बीच में कृष्णराज वोडेयार IV की एक बड़ी प्रतिमा लगाई गई है। इतना ही नहीं मूर्ति के पास वोडेयार के पसंदीदा सेवक जमीदार पीर बैत की कट-आउट तस्वीर भी लगाई गई है। यह हॉल ग्रेनाइट के खंभों से घिरा हुआ है। इसकी छत पर सीता स्वयंवर को बहुत की शानदार तरीके से उकेरा गया है। हॉल के मां दुर्गा के आठ रूपों को भी चित्रित किया गया है। हॉल में लगे शाही झूमर इसकी खूबसूरती बढ़ा देते हैं। वहीं मंत्रियों से मंत्रणा के लिए बनाए गए दरबार हॉल को गोल्डन और ब्लू रंग से पेंट किया गया है। ये ओरिजनल पेंट था, जिसका रंग आजतक पहले जैसा ही है। हॉल के खंभों पर सेमी प्रेशियस स्टोन से फूल और बेले बनाई गई हैं। इसका फर्श बनाने के लिए आगरा से पिएट्रा ड्यूरा शिल्पकार बुलवाए गए थे।
मानों हो गए स्वर्गलोक के दर्शन

महल में शाही समारोह के लिए सबसे बड़ा दरबार हॉल बना है। यह अपने आप में बेहद अनोखा हॉल है। पैलेस के सेंटर में बने इस शाही हॉल की खासियत है इसकी बनावट और इसकी पेंटिंग्स। यह हॉल 15.24 मीटर ऊंचा है, 74.68 मीटर लंबा और 24.38 मीटर चौड़ा है, लेकिन खास बात यह है कि यह बीच में कोई खंभा इसे सपोर्ट नहीं करता। हॉल की छत पर भगवान विष्णु के दस अवतारों को चित्रित किया गया है। हॉल के सेंटर पैनल पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के साथ 12 राशियों के चिन्ह को उकेरा गया है। हॉल की दीवारों पर देवी-देवताओं और रामायण के दृश्यों को चित्रित किया गया है। हर पेंटिंग को नक्काशीदार फ्रेम से सजाया गया है। हॉल की सुंदरता बढ़ाने के लिए यहां बड़े-बड़े झूमर लगाए गए हैं।
पैलेस में ये भी जरूर देखें

मैसूर पैलेस इतना भव्य है कि आपको इसे देखने के लिए पूरा एक दिन चाहिए। इस पैलेस में आपको डॉल हाउस भी मिलेगा, जहां विभिन्न तरीके की डॉल्स आप देख सकते हैं। इसी के साथ यहां चांदी का बना रॉयल फर्नीचर देखकर आप चौक जाएंगे। चांदी की नक्काशीदार चेयर्स देखकर आपको भारत की समृद्धि का एहसास होगा। पैलेस के एक हिस्से में आपको चंदन और चांदी के कई बॉक्स भी मिलेंगे, जिन्हें बेहद खूबसूरत अंदाज में तराशा गया है। शाही राजपरिवार से जुड़ी छोटी-छोटी चीजें, चांदी के कंधे, मिरर स्टैंड, बच्चों के खिलौने, पालकी, पालने देखकर आप हैरान हो जाएंगे। पैलेस में एक म्यूजियम भी बना है, जहां आप टीपू सुल्तान की तलवार और राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स देख सकते हैं। महल परिसर में छोटे बड़े करीब 18 मंदिर हैं, जो बेहद प्राचीन हैं।