Surya Devta Vrat: रविवार को व्रत कम ही लोग करते हैं। लेकिन इस व्रत की अपनी अलग ही मान्यता है। इसलिए इसे विधिवत कर्ण जरूरी हो जाता है। हिन्दू परिवारों में पूरे हफ्ते में हर दिन को किसी न किसी भगवान को समर्पित किया गया है। जैसे सोमवार भगवान शिव को तो मंगलवार हनुमान जी को, बुधवार गणेश जी को और गुरुवार विष्णु भगवान को। ठीक इसी तरह रविवार का दिन सूर्य देवता को समर्पित माना गया है। हालांकि दूसरे दिनों के मुकाबले रविवार के दिन पूजा और व्रत कम ही लोग करते हैं। लेकिन जो करते हैं, उन्हें इस दिन पूजा के खास नियम याद रखने होंगे। ताकि भक्ति का असल फल मिल सके। ताकि सूर्य देवता दिल से आपको आशीर्वाद दें और आपकी मनोकामना पूरी हो। इसके लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है बल्कि कुछ बेहद बारीक बातों का ध्यान रख कर अपनी भक्ति को पूरा किया जा सकता है।
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नारद पुराण की बात
सनातन धर्म में अपनी मान्यता रखने वाले नारद पुराण में भी सूर्य देवता की आराधना करने को अहम माना गया है। इसमें माना गया है कि रविवार को सूर्य देवता की पूजा अगर विधि विधान से की जाए तो स्वास्थ्य पर इसका अच्छा असर पड़ता है। भक्त को एक तरह से रोगों से मुक्ति ही मिल जाती है। वो आगे का जीवन निरोगी बिता पाता है। भक्त को चिंता, अवसाद जैसी दिक्कतें तो छू भी नहीं पाती हैं।
लाल रंग का महत्व
सूर्य देवता की आराधना करने से पहले जान लीजिए कि इस पूजा और व्रत में लाल रंग का बहुत महत्त्व होता है। इसीलिए इसमें पूजा के समय लाल कपड़े पहनने और लाल चंदन लगाने की सलाह दी जाती है। इस व्रत में कुछ खास लाल रंग की चीजें ही इस्तेमाल की जाती हैं। जैसे- लाल चंदन, गुलाल, लाल वस्त्र आदि।
शुक्ल पक्ष का पहला रविवार
इस व्रत को शुरू करने से पहले एक नियम याद रखना होगा। वैसे तो ये पूरे साल कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से इसकी शुरुआत करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इस व्रत को शुरू करने के बाद कम से कम एक वर्ष से पहले इसको समाप्त न करें। पांच साल बाद इसका समापन करना भी लाभकारी हो सकता है।
राजा की पूजा
याद रखिए नव ग्रहों का राजा सूर्य भगवान को माना गया है। इसलिए इनकी प्रार्थना करने से व्यक्ति के सभी ग्रह शांत हो जाते हैं। भले ही आप रोज सूरज भगवान को अर्घ्य देती हों लेकिन रविवार के दिन पूजा कुछ ज्यादा विधिवत करनी होगी।
प्रसाद है खास
इस पूजा में आमतौर पर बनने वाले प्रसाद से काम नहीं चलेगा। बल्कि इसके लिए प्रसाद भी कुछ खास बनाना होता है। इसमें गुड़ का हलवा बनाया जाता है। है न कुछ अलग प्रसाद।
भोजन कितनी बार
याद रखें, आपको भोजन दिनभर में एक बार ही करना होगा। इतना ही नहीं, पूजा सूरज डूबने से पहले करनी होगी।
