दर्शन देकर पानी में समा जाता है ये मंदिर
गुजरात का एसा शिवमंदिर जो कुछ पल के लिए गायब हो जाता है।कहा जाता है कि यह मंदिर किसी के प्रायश्चित करने का नतीजा है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है और इसी वजह से यह गायब हो जाता है।
Stambheshwar Temple: भारतवर्ष में ना जाने कितने मंदिर है, जहां हर दिन लोग दर्शन करने के लिए उमड़ते है। लोगों की आस्था और मंदिर में भगवान के दर्शन करने की उनकी चाह उन्हें मंदिर की तरह खींच ही लाती है। भारत में कुछ ऐसे मंदिर है, जो बेहद चमत्कारी है। ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर गुजरात में है, जो पलक झपकते गायब हो जाता है। सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन ये सच है। गुजरात का शिव मंदिर स्तंभेश्वर महादेव भक्तों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं, जो सुबह और शाम दर्शन के लिए खुलते है, फिर समुद्र में समा जाता है।
कहा जाता है कि यह मंदिर किसी के प्रायश्चित करने का नतीजा है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है और इसी वजह से यह गायब हो जाता है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए मशहूर है। दरअसल, भगवान शिव का यह मंदिर दिन में दो बार अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद समुद्र की गोद में समा जाता है।
मंदिर के समुद्र में डूब जाने का कारण

महाशिवरात्रि और अमावस्या पर खास मेला लगता है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए एक पूरे दिन का समय निश्चित करना चाहिए, जिससे कि इस चमत्कार को देखा जा सके। हालांकि आंखों के सामने से गायब होने के कुछ समय बाद ही ये मंदिर अपने स्थान पर नजर आने लगता है। वैसे यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रकृति की एक मनोहारी परिघटना है। ऐसा कुछ लोगों का मानना भी हैं। समुद्र किनारे मंदिर होने की वजह से जब भी ज्वार-भाटा उठता है, तब पूरा मंदिर समुद्र में समा जाता है। यही वजह है कि लोग मंदिर के दर्शन तभी तक कर सकते हैं, जब समुद्र में ज्वार कम हो। ऐसा बरसों से होता आ रहा है यह आज की बात नहीं है।
ज्वार के समय समुद्र का पानी मंदिर के अंदर आता है और शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाता है। यह घटना प्रतिदिन सुबह और शाम को घटित होती है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 4 फीट और इसका व्यास 2 फीट का है।
ये मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है। जब ज्वार उतरता है तब ये परिसर दोबारा से नजर आने लगता है।
कैसे पहुंचे ?

यह मंदिर गुजरात के प्रमुख शहर वडोदरा से 85 किलोमीटर दूर है। यहाँ से मंदिर तक पहुंचने के लिए कई बसें व अन्य साधन आसानी से उपलब्ध रहते हैं।
आप यहाँ सड़क, रेल और हवाई मार्ग से, किसी भी साधन से अपनी सुविधानुसार आसानी से पहुंच सकते हैं। इस मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश के टूरिस्ट भी आते हैं।
