Overview: भारत के इन मंदिरों में दर्शन मात्र से होती है पुत्र रत्न की प्राप्ति
भारत में आस्था और श्रद्धा का संसार बहुत गहरा है। चाहे वह हिमाचल की देवी हों या काशी के महादेव, हर देवता की कृपा से भक्तों की अधूरी इच्छाएं पूरी होती हैं। पुत्र प्राप्ति की कामना करने वाले दंपत्ति जब सच्चे मन से इन मंदिरों में पूजा करते हैं, तो उनके जीवन में सुख और संतान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Temple for Boy Child Birth: भारत भूमि आस्था और विश्वास का केंद्र रही है। यहां हर मंदिर की अपनी अनोखी मान्यता और कथा जुड़ी होती है। कोई मंदिर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, तो कोई पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां संतान सुख और विशेष रूप से पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं। कहा जाता है कि सच्चे मन से पूजा करने पर इन स्थानों पर भगवान या देवी मां भक्तों की झोली संतान के सुख से भर देते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में जिनसे पुत्र प्राप्ति की अद्भुत मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
कर्नाटक का श्री संथाना गोपाल कृष्णस्वामी मंदिर

कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित श्री संथाना गोपाल कृष्णस्वामी मंदिर भगवान कृष्ण के बाल रूप को समर्पित है। “संथाना” का अर्थ होता है “संतान” और यही कारण है कि यह मंदिर निसंतान दंपत्तियों के लिए वरदान माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां संथाना गोपाल मंत्र का जाप करने और भगवान कृष्ण को तुलसी और मक्खन का भोग लगाने से संतान प्राप्ति की बाधाएं दूर होती हैं।
कहा जाता है कि जोड़े यहां नियमित रूप से पूजा करते हैं, उन्हें शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होती है और कई लोग पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना लेकर यहां आते हैं।
कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर (कर्नाटक)

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर भगवान कार्तिकेय (सुब्रमण्यम स्वामी) को समर्पित है। यह मंदिर सर्प दोष निवारण और संतान प्राप्ति दोनों के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां नाग पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि भगवान सुब्रमण्यम को सभी नागों का अधिपति माना गया है। भक्त मानते हैं कि जो व्यक्ति सर्प दोष से पीड़ित होते हैं, वे यहां पूजा कर पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद पा सकते हैं। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां नागप्रदोष और विशेष पूजन करवाने पहुंचते हैं।
सिमसा माता मंदिर (हिमाचल प्रदेश)

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लडभड़ोल क्षेत्र में स्थित सिमसा माता मंदिर एक पवित्र और चमत्कारी देवी स्थल माना जाता है। लगभग 200 वर्ष पुराना यह मंदिर महाशिवरात्रि के अवसर पर खोजा गया था जब एक ग्रामीण को भूमि खोदते समय माता की पिंडी प्राप्त हुई।
यहां नवरात्रों के समय भारी संख्या में दंपत्ति संतान की इच्छा लेकर आते हैं। मान्यता है कि माता सिमसा देवी अपने भक्तों को सपने में दर्शन देकर संतान का आशीर्वाद देती हैं। कई लोग बताते हैं कि यहां मन्नत मांगने के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यही वजह है कि यह मंदिर “संतान प्रदायिनी शक्तिपीठ” के रूप में प्रसिद्ध है।
संतानेश्वर महादेव मंदिर (वाराणसी)

वाराणसी नगरी में स्थित संतानेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मंदिर संतान सुख प्रदान करने के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां के शिवलिंग की विशेषता यह है कि इसे “संतानेश्वर” कहा जाता है अर्थात संतान देने वाले देव।
निसंतान दंपत्ति हर सोमवार या शिवरात्रि पर यहां पूजा-अर्चना करते हैं और जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना के बाद भगवान शिव भक्तों की गोद संतान से भर देते हैं, और कई भक्तों ने पुत्र रत्न की प्राप्ति की अनुभूति यहां साझा की है।
विंध्यवासिनी देवी मंदिर (विंध्याचल, उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित विंध्यवासिनी देवी मंदिर देवी दुर्गा के विंध्य रूप को समर्पित है। कहा जाता है कि माता स्वयं इस स्थान पर विराजमान हैं और भक्तों की हर सच्ची मनोकामना पूरी करती हैं।
यह मंदिर विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए प्रसिद्ध है जो संतान की इच्छा रखते हैं। नवरात्रों में यहां लाखों भक्त पहुंचते हैं और माता से पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि माता विंध्यवासिनी की कृपा से भक्तों के घर संतान का जन्म होता है।
