Saat Phere Importance: पौराणिक मान्यताओं और हिंदू धर्म ग्रंथों में विवाह को एक पवित्र सामाजिक बंधन माना गया है। सनातन धर्म में विवाह को व्यक्ति के जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, विवाह संस्कार के दौरान की जाने वाली पवित्र रस्मों के द्वारा वर और वधू एक दूसरे को पति पत्नी मानने का संकल्प लेते हैं। इसीलिए विवाह बंधन को मजबूत बनाने के लिए वर वधू अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं। विवाह के समय वर वधू सात फेरों द्वारा एक दूसरे को सात वचन भी देते हैं। इन सातों वचनों का उनके वैवाहिक जीवन में विशेष महत्व होता है। सात फेरों में से चार वचन वर लेता है और तीन वचन वधू द्वारा लिए जाते हैं। आज इस लेख के द्वारा हम जानेंगे कि विवाह के दौरान सात फेरे क्यों लिए जाते हैं और वर वधू के वैवाहिक जीवन में सात फेरों का महत्व क्या है।
विवाह के सात वचन
![Saat Phere Importance](https://i0.wp.com/grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2023/05/New-Project-2023-05-08T143816.650.jpg?resize=780%2C439&ssl=1)
धर्मग्रंथों के अनुसार विवाह के समय मंत्रोच्चारण के साथ वर वधू द्वारा लिए गए सात फेरों की रस्म को सप्तपदी की रस्म भी कहा जाता है। विवाह के सात फेरों में पहले फेरे के द्वारा वधू अपने वर से यह वचन लेती है कि विवाह के बाद हर धार्मिक कार्यों में अपनी पत्नी को शामिल करे। दूसरे फेरे में वर वधू यह वचन लेते हैं कि दोनों अपने माता पिता के समान ही एक दूसरे के माता पिता का सम्मान करेंगे। तीसरे फेरे में वधू अपने वर से जीवन की हर अवस्था में साथ निभाने का वचन लेती है। चौथे फेरे में वधू द्वारा अपने वर से यह वचन लेती है कि विवाह के बाद वह अपनी पत्नी और अपने परिवार की सभी ज़िम्मेदारियां उठायेगा।
छठे फेरे के द्वारा यह वचन लिया जाता है कि वर वधू कभी भी एक दूसरे का अपमान नहीं करेंगे और ना ही किसी और को अपने जीवनसाथी का अपमान करने देंगे। सातवें और अंतिम फेरे में वर वधू एक दूसरे को यह वचन देते हैं कि विवाह के बाद वह कभी भी किसी दूसरे स्त्री और पूरुष के प्रति आकर्षित नहीं होंगे और दूसरे स्त्री पुरुषों को अपने भाई बहन और माता पिता के समान समझेंगे। पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर विवाह के सात फेरों के साथ यह सातों वचन लिए जाते हैं।
विवाह के सात फेरों का महत्व
![Shadi Ke Saat Phere](https://i0.wp.com/grehlakshmi.com/wp-content/uploads/2023/05/New-Project-2023-05-08T143834.199.jpg?resize=780%2C439&ssl=1)
पंडित इन्द्रमणि घनस्याल के अनुसार, शास्त्रों में सात की संख्या को बहुत ही शुभ माना गया है। जैसे सात ऋषि, इंद्रधनुष के सात रंग, सात सुर, सात लोक, सात चक्र, सात क्रियाएं, सात गुण आदि। शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य धरती लोक पर सात जन्म लेता है, इसीलिए विवाह के सात फेरों से यह माना जाता है कि वर वधू सात जन्मों के जीवन साथी बन गए हैं। सात फेरों की रस्म के द्वारा यह माना जाता है कि वर वधू ने तन मन धन से एक दूसरे को पति पत्नी स्वीकार कर लिया है और दोनों एक दूसरे के साथ एक पवित्र आत्मिक बंधन से जुड़ गए हैं। विवाह के सात फेरे वर वधू के विवाह संस्कार का मुख्य आधार होते हैं और इसी कारण से वर वधू के सात फेरे ही उनके विवाह को पूरा करते है। विवाह में लिए गए सात फेरे पति पत्नी को जीवनभर एक दूसरे का साथ निभाने के लिए प्रेरित करते हैं।
यह भी पढ़ें: तुलसी के पास भूल से भी ना लगाएं ये पौधे, वरना हो सकता है भारी नुकसान: Tulsi Plant Vastu