हर भूमिका को बखूबी निभाती देश की होनहार माताएं: Mother's Day Special
Mother's Day Special

Mother’s Day Special: एक महिला अपने करियर में जितनी सफलता चाहती है, उतनी ही लालसा उसे अपनी संतान को सफल होते हुए देखने की होती है। हालांकि पिता की भूमिका इन सब में गौण नहीं हो जाती है लेकिन पलड़ा हमेशा मां का ही भारी रहता है। जिस तरह प्रकृति हमें पालती है, ठीक उसी तरह एक स्त्री अपने गर्भ में बच्चे को खून से सींचती है। मां कितनी ही आधुनिक क्यों न हो, भले ही उसकी परवरिश का तरीका बदल गया हो लेकिन उसका प्यार जताने का तरीका वही पुराना है। सच है कि नए दौर की माताओं के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। उसकी खूबसूरती यह है कि वह एक मंझी हुई अदाकारा की तरह अपने हर किरदार को बड़ी ही खूबसूरती से निभाती चली जाती है। मां दुर्गा की तरह अपने आठ हाथों से वह घर और बाहर के बीच अच्छा संतुलन बनाकर रखती है। मदर्स दे के मौके पर हम उन सभी माताओं को बधाई देते हैं और हमारा प्रयास है कि आपको उन होनहार महिलाओं से परिचय करवाया जाए, जिसे देखकर आपका हौसला बढ़े। चलिए ‘रस्म-ए-दुनियां भी है, मौका भी है, दस्तूर भी है’ इस खूबसूरत मिसरे के साथ मदर्स डे को करते हैं सेलिब्रेट।

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गजल अलघ (होनासा कंज्यूमर प्रा.लि. (मामाअर्थ) की सीईओ)

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Ghazal Alagh (CEO of Honasa Consumer Pvt. Ltd. (Mamaearth)

होनासा कंज्यूमर प्रा.लि. (मामाअर्थ) की सीईओ गजल अलघ का जन्म 2 सितंबर 1988 में हरियाणा में हुआ था। उन्होंने न्यूयोर्क अकादमी ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई की और मामाअर्थ इनका सफल स्टार्टअप है।
बच्चों की परवरिश हो लेकर उन्होंने एक बार अपने सोशल मीडिया में लिखा था कि क्या वह अच्छी मां नहीं है क्योंकि वह अपने बच्चे के पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में नहीं जा पाईं। उनकी जगह बच्चे की दादी गई थीं। उनका कहना है कि उन्हें एक बार फ्लाइट में कपिल देव मिले जिन्होंने कई सारी पेरेंटिंग टिप्स दी, जैसे कि कभी बच्चों के अंकों को लेकर परेशान नहीं होना चाहिए बल्कि शिक्षकों से उनके व्यवहार के बारे में पूछना चाहिए। अभिभावक के लिए यह जानना जरूरी है कि उनका बच्चा दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है। बच्चे का व्यवहार यह बताता है कि घर पर उसे कैसा माहौल मिल रहा है।

दिव्या मित्तल(आईएएस अधिकारी)

आई.ए.एस. दिव्या मित्तल. 2013 बैच की यूपी कैडर की अधिकारी हैं। उनकी स्कूली शिक्षा दिल्ली से हुई और वो मूल रूप से हरियाणा की हैं। आईआईटी दिल्ली से बी टेक करने के बाद उन्होंने आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए की डिग्री हासिल की। वो जनता की प्रिय अधिकारी रही हैं। इस बात का सुबूत उनकी मिर्जापुर से बिदाई का वीडियो है जिसमें मिर्जापुर की जनता उन पर फूल बरसा रही है। अधिकारी होने के साथ-साथ मां की भूमिका में उनकी सोच बहुत अलग है। उनकी दो बेटियां हैं और बच्चों के पालन-पोषण को लेकर उनका मानना है बच्चों को हमेशा प्रतियोगिताओं में भाग दिलाएं। वे हर बार नहीं जीतेंगे लेकिन असफलता से वे सहज हो जाएंगे। असफलता का डर सफलता में असफलता से भी बड़ी बाधा है। उन्हें जोखिम लेने दीजिए।

शिल्पा कामदार (सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर)

Shilpa Kamdar
Shilpa Kamdar (Social Media Influencer)

शिल्पा एक बेटी की मां होने के साथ चॢचत सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं जो इंस्टाग्राम पर मोमएन्डटोडलर्स नाम से अकाउंट चलाती हैं। इस पर वे परवरिश से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारियां साझा करती हैं। शिल्पा कामदार के लिए भी अन्य माताओं की तरह कामयाबी की राह पाना आसान नहीं था। शादी के तुरंत बाद ही उनके पास अपनी कैंसर पीड़ित सास की देखभाल की जिम्मेदारी आ गई। लेकिन कुछ समय बाद उनकी सास गुजर गईं। सास के इस दुनिया से चले जाने के बाद शिल्पा ने एक बेटी को जन्म दिया। बेटी के प्रति जिम्मेदारी के बीच शिल्पा अपने आपको भूलती गईं। लेकिन उनके जीवन का टॄनग पॉइंट तब आया जब उन्होंने अपने डेली और अपनी बेटी के साथ बीतते पलों को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू किया।

कनिका चड्ढा गुप्ता (पॉडकास्ट की होस्ट)

पेरेंटिंग हर मां के लिए एक जैसी नहीं होती। किसी के लिए वो एक सुखद एहसास होता है तो कोई उस समय से सीखता है। सीएनएन की पूर्व पत्रकार और 3 बच्चों की एक सफल मां कनिका ने भी अपने बच्चों के पालन-पोषण के दौरान भविष्य के लिए सीखा। उनका मानना है कि धरती पर हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी और विशेषाधिकार वह विरासत है जो हम अपने बच्चों को देते हैं। वे ‘डैट्स अ टोटल मां सेन्स’ नाम से एक पॉडकास्ट को होस्ट करती हैं। जहां वे पेरेंटिंग, लाइफस्टाइल और स्वास्थ्य पर एक्सपर्ट्स के इंटरव्यू लेती हैं। कनिका का जीवन में उद्देश्य उन चीजों को श्रेय देना है जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है- सहज पालन-पोषण का स्थायी प्रभाव। वो अपने काम के बीच भी बच्चों और खुद के लिए समय निकाल ही लेती हैं।

दीपिका पल्लिकल कार्तिक (स्क्वैश चैम्पियन)

Deepika Pallikal
Deepika Pallikal Karthik (Squash Champion)

दीपिका के बारे में क्या कहा जाए, वे क्रिकेटर दिनेश कार्तिक की पत्नी होने के साथ दो जुड़वां बच्चों कबीर और जियाया की भी मां हैं। लेकिन उनका परिचय केवल इतना नहीं है, बच्चों के जन्म के छह महीने के भीतर स्क्वैश चैम्पियन दीपिका ने कॉमन वेल्थ गेम के दौरान वर्ल्ड डबल्स चैम्पियनशिप में दोहरा स्वर्ण पदक जीता। बच्चों के जन्म के बाद उनके परिवारवालों और दोस्तों ने सलाह दी कि अभी कुछ दिन आराम करो लेकिन उन्होंने खुद को खेल के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया। हर मां को इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें वह सफल भी होती हैं।

कामना गौतम (न्यूट्रिशनिस्ट-आहार द डाइट क्लीनिक)

क्या आपको याद एक महिला ने स्तनपान कराते हुए अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर सांझा की थी। इनका नाम है कामना गौतम। उन्होंने स्तनपान को लेकर समाज में बनी रूढ़िवादी विचारधारा को तोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि अगर कोई महिला घर के बाहर बाहर दूध पिलाना चाहती है तो उसे शॄमदा होने की जरूरत नहीं है। कामना गौतम एक जानीमानी न्यूट्रिशनिस्ट हैं और वह आहार द डाइट क्लीनिक का संचालन करती हैं। कामना का मानना है कि मैं बहुत स्वार्थी हूं, जब तक मेरे बच्चे नहीं हुए थे तो मैंने दुनिया के बारे में कभी नहीं सोचा लेकिन बच्चों के होने के बाद मैं स्वार्थी हो गई हूं। अब मैं पर्यावरण के बारे में बहुत सोचती हूं। मैं बाकी माताओं को भी यही सन्देश देती हूं कि अपने बच्चों को देसी बनाओ ताकि वह पर्यावरण का ख्याल रख सकें।

रूपम झा (होममेकर)

Roopam Jha
Roopam Jha (Homemaker)

बेटा होने के बाद हमारा परिवार पूरा हो गया। शुरुआत में सब ठीक था। दूसरे बच्चों की तरह उसने भी सब चीजें समय पर की लेकिन जब वह 2 साल का हुआ तो उसमें कई बदलाव दिखाई देने लगे। उसे कुछ चाहिए होता था तो वह हाथ पकड़ कर वहां ले जाता था लेकिन कुछ बोलता नहीं था। मुझे सभी लोगों ने कहा कि चिंता करने की बात नहीं है, कुछ बच्चे थोड़ा देर से बोलते हैं। अचानक उसने धीरे-धीरे और भी चीजें बोलना कम कर दिया। हम कुछ बोलते थे तो उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था। जब हमसे रहा नहीं गया तो हमने बेटे स्तव्य को असेसमेंट करवाया, जहां कुछ सवालों के जवाब देने के बाद हमें यह पता चला कि स्तव्य को ऑटिज्म है।

उमा रघुरामन (मास्टर शेफ मॉम)

मास्टर शेफ मॉम उर्फ उमा एक मां, ब्लॉगर और लेखिका हैं जिन्होंने ‘माई जीनियस लंच बॉक्स’ नाम की एक किताब भी प्रकाशित की। दो बच्चों की मां उमा अपने बच्चों के लिए स्थानीय और ताजी सामग्री का इस्तेमाल कर पोषक तत्वों से भरपूर भोजन तैयार करती हैं। उनकी कई रेसिपीज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में छप चुकी हैं। उनका मानना है कि एक मां अपने बच्चे के साथ स्कूल में केवल लंच बॉक्स के जरिए ही मौजूद रह सकती है। इसलिए वे जब अपने बच्चों के लिए लंच बॉक्स तैयार करती हैं तो उनमें छोटे नोट डालतीं हैं जिनसे उन्हें प्रेरणा मिले। उनके ऐसा करने के पीछे का दूसरा कारण है बच्चों के प्रति अपने प्यार को जाहिर करना। ऐसे करना कहीं न कही हर मां की चाहत होती है कि वे अपने बच्चों के साथ खूबसूरत पलों को बिताए। उमा से प्रेरित होकर आजकल की मॉम्स भी अपने बच्चों के टिफिन को शानदार बना सकती हैं।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...