बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा बसाया गया दुनिया का सबसे पवित्र शहर बोधगया
करीब 531 ईसा पूर्व में यहां फल्गु नदी के तट पर बोधि वृक्ष के पास बैठकर गौतम बुद्ध ने कठोर तपस्या की थी, जिसकी वजह से उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
Places to Visit in Bodhgaya: बिहार राज्य में स्थित बोधगया को देश के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण जगहों में गिना जाता है। यही कारण है कि इस जगह पर हर साल हज़ारों सैलानी आते हैं। इस जगह को ज्ञान की नगरी भी कहा जाता है क्योंकि धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बोधगया वह स्थल है जहां पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा बोधगया को दुनिया का सबसे पवित्र शहर बताया गया है। इस संदर्भ में तथ्य यह है कि करीब 531 ईसा पूर्व में यहां फल्गु नदी के तट पर बोधि वृक्ष के पास बैठकर गौतम बुद्ध ने कठोर तपस्या की थी जिसकी वजह से उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी जगह पर महाबोधि मंदिर भी स्थित है जोकि लोगों की आस्था का एक बहुत बड़ा और मुख्य केंद्र माना जाता है। इस मंदिर को बोधगया के सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिर में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी से पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया था।
बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र बोधगया

कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ ने गया जिले के पास निरंजना नदी के किनारे एक गांव में 49 दिनों तक कठोर तपस्या की। वह पीपल के एक वृक्ष की छांव में बैठ कर तपस्या कर रहे थे और उन्हें इसी जगह पर बैसाख मास की पूर्णिमा के दिन दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसीलिए उस वृक्ष को बोधिवृक्ष और उस तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन विभिन्न देशों के बौद्धधर्म के अनुयायी बोधगया नामक स्थल पर गौतम बुद्ध की पूजा अर्चना के लिए एकत्र होते हैं। बोधगया के महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध का वही पद्माकार आसन आज भी संरक्षित है, जिस पर वह बैठकर ध्यान करते थे।
बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर के आसपास तिब्बती, चीनी, जापानी, थाइलैंड और वर्मा के बौद्ध अनुयायियों के मठ हैं। इस पूरे क्षेत्र को ही महाबोधि विहार कहा जाता है, जिसके अंदर 100 बौद्ध स्तूप स्थापित किए गए हैं। इन सभी मठों का निर्माण बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के उपरांत सम्राट अशोक ने करवाया था।
बोधगया में घूमने की जगह
बोधगया का सबसे बड़ा और मुख्य आकर्षण महाबोधि मंदिर को माना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी बोधगया में काफी कुछ है। इस जगह पर कई ख़ूबसूरत और रमणीय स्थल हैं जहां आप लोगों को जाना चाहिए। आइये बोधगया में क्या घूमने लायक कुछ जगहों की पड़ताल करते है।
बोधि वृक्ष: एक तरह की पौराणिक मान्यता है कि बोधगया में स्थित इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिसकी वजह से देश विदेश से लोग इस वृक्ष को देखने के लिए आते हैं। माना जाता है कि यह मूल बोधि वृक्ष का ही एक भाग है, जिसे राजा अशोक की बेटी श्रीलंका ले गई थी।
महाबोधि मंदिर: महाबोधि मंदिर बोधगया के मुख्य आकर्षणों में से एक है। जिसकी दूर दूर तक मान्यता है और लोग यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है, उन्हीं के द्वारा इसका 7वीं ईसवी में निर्माण करवाया गया था। यह मंदिर मूल बोधि वृक्ष के चारों ओर बनाया गया है।
थाई मठ: बौद्ध धर्म में मठ निर्माण की पुरानी परम्परा रही है। जिस जिस जगह पर बौद्ध धर्म पहुंचा उन उन जगहों पर मठ और स्तूप बनाने का चलन है। उसी तरह से थाईलैंड में थाई मठ बनाए जाते हैं। गया में स्थित थाई मठ सोने से बनी टाइलों से ढँका एक घुमावदार और ढलान छत वाला मठ है।
रॉयल भूटानी मठ: रॉयल भूटानी मठ बोधगया के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है। इस मठ का निर्माण भूटान के राजा ने भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित किया था। इस मठ को देखने के लिए भूटान ही नहीं बल्कि दुनिया भर से बौद्ध धर्म के अनुवायी आते हैं।
बुद्ध की ऊंची प्रतिमा: यह 80 फीट ऊँची बुद्ध की प्रतिमा बोधगया के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक स्मारकों में से एक है। इस प्रतिमा का ज़िक्र देश की सबसे ऊंची बनी बुद्ध मूर्तियों में किया जाता है। यह प्रतिमा तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा के द्वारा 1989 में स्थापित की गई थी।

जापानी मंदिर: शहर से 15 किमी की दूरी पर स्थित जापानी मंदिर का निर्माण 1972 में किया गया था। इस मंदिर में पहुंचने पर जापानी वास्तुकला की झलक दिखाई देती है। इस मंदिर की दीवारों पर जगह जगह भगवान बुद्ध के उपदेशों की नक्काशी की गई है।
आर्कियोलॉजिक म्यूजियम: बोधगया में स्थित आर्कियोलॉजिक म्यूजियम एक बहुत छोटा सा संग्रहालय है। इस संग्रहालय में केवल तीन हाल हैं, जिनमें हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़ी कई मूर्तियां और कलाकृतियां रखी गई हैं, जो खुदाई के दौरान मिली। इस संग्रहालय में खुदाई से जुड़ी कई अन्य चीज़ें भी देखी जा सकती हैं।
बोधगया कैसे पहुंचें?

भगवान बुद्ध से जुड़ा पर्यटन स्थल होने के कारण बोधगया देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता है। यही कारण है कि इस जगह पर भारत के अलावा कई अन्य देशों से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। अगर फ्लाइट से आना चाहते हैं तो बोधगया का निकटतम हवाई अड्डा गया है जो बोधगया से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। ट्रेन से आने वालों के लिए
बोधगया का निकटतम रेलवे स्टेशन भी गया जंक्शन है जो की महज़ 13 किमी दूर है। सड़क मार्ग से आना चाहते हैं, तो भी यह यह पूरी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
बोधगया में कहां रुकें?

बोधगया में ठहरने के लिए होटल, रिज़ॉर्ट और गेस्ट हाउस की कोई कमी नहीं है। लेकिन पीक सीजन चल रहा हो तो पहले से कमरा बुक कराना ज्यादा फायदेमंद होता है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जिसकी वजह से यहां एसी और नॉन एसी दोनों तरह के होटल और गेस्टहाउस मिल जाते हैं। महाबोधि मंदिर के सामने कई होटल हैं, जहां पर्यटकों के लिए ठहरने और भोजन की बेहतर सुविधा उपलब्ध है।
बोधगया जाने का सबसे अच्छा समय

इस जगह पर मौसम का ध्यान रखते हुए पूरे साल आया जा सकता है।लेकिन सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च तक का होता है, इस दौरान ठंड का मौसम होता है और घूमने का भरपूर मज़ा लिया जा सकता है। बौद्ध पूर्णिमा के मौक़े पर गर्मी होने के बावजूद दुनिया के कोने-कोने से लोग बुद्ध जयंती मनाने के लिए यहां आते हैं।