पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने ठीक ही कहा है, ‘शिक्षण एक बहुत श्रेष्ठ कार्य है, जो एक व्यक्ति के चरित्र, उसकी क्षमताओं और भविष्य को तराशता है।’ टीचिंग हमेशा से चुनौतियों से भरी रही है, लेकिन अब यह काम बहुत अधिक कठिन हो गया है। क्लास में मौजूद हर स्टूडेंट का संपूर्ण विकास एक शिक्षक की ज़िम्मेदारी होती है। आमतौर पर एक कक्षा में अलग-अलग ज़रूरतों और अलग-अलग गति से सीखने वाले विद्यार्थी होते हैं। ऐसी स्थिति में यह संतुलन बनाए रखना अपने-आप में बड़ी चुनौती है, इसलिए हर टीचर को इस तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। 

अपने विद्यार्थियों को पहचानें

बहुत सारे विद्यार्थियों को एक साथ संभालना बच्चों का खेल नहीं है। एक अच्छे शिक्षक को इस कला में निपुण होना चाहिए कि किस तरह से सभी बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए वे अपनी बात बेहतर ढंग से उन्हें समझा सकें और इस शिक्षण का स्वरूप भी ऐसा होना चाहिए कि बच्चे शिक्षक से डरने की बजाय उनसे लगाव और आत्मीयता महसूस करें। ऐसा करने में ज़रूरत पड़ने पर स्कूल चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से भी परामर्श लिया जा सकता है। हम एक साधारण बच्चे से भी बेहतर परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं, यदि वह शिक्षक से प्रभावित होता है और प्रेरणा लेता है।

उपाय कुशल बनिए

जब भी कोई बच्चा सीखने में कठिनाई का सामना करता है तो शिक्षक को उस परेशानी को दूर करने में मदद करने के लिए क्रियेटिव एक्टिविटीज़ से भरे तरीके खोजने चाहिए। जब भी बच्चे किसी प्रकार की सहायता मांगें तो शिक्षक को उनकी मदद करनी चाहिए। यहां तक कि नियमित काउंसलिंग से भटके हुए बच्चों में भी सुधार लाया जा सकता है। 

सही टाइम मैनेजमेंट करें

आज टीचिंग के तौर-तरीकों में काफी परिवर्तन आ चुका है। अब शिक्षण केवल किताबों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने तक सीमित नहीं रह गया है। शिक्षकों को आज विद्यार्थियों के समग्र विकास का ध्यान रखना पड़ता है। ऐसा करने के लिए उन्हें कंप्लीट वर्कप्लान तैयार करना होता है। कई तरह की एक्टिविटिज़ के साथ-साथ उन्हें उन विद्यार्थियों का भी ध्यान रखना होता है, जिनके सीखने की गति काफी धीमी होती है। 

अपडेट रहें

बच्चों पर लेटेस्ट गैज़ेट्स के साथ-साथ उनके घर के वातावरण का भी बहुत अधिक प्रभाव होता है। आज टेक्नोलॉजी शिक्षा का एक अटूट हिस्सा बन गई है। क्लासरूम्स भी स्मार्ट बोर्ड, कंप्यूटर आदि के साथ नवीनतम तकनीक अपना चुके हैं। शिक्षकों के लिए दो सबसे बड़ी चुनौतियां तकनीक के साथ तालमेल रखना और स्कूल में इस बात पर नजर रखना हैं कि प्रत्येक बच्चा इस विकास से जुड़ सके। 

माता-पिता से संपर्क बनाए रखें

आज अधिकांश माता-पिता दोनों ही नौकरीपेशा होते हैं। ऐसे में वे अपने बच्चों के बारे में चिंतित तो हैं, लेकिन उनके पास बच्चों के साथ बिताने के लिए बहुत कम समय होता है। इस कमी को वे बड़े स्कूल के चुनाव और बच्चे के मनपसंद संसाधन जुटाकर पूरा करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति से निपटना एक शिक्षक के लिए वाकई बड़ी चुनौती है। उसे बच्चे की भलाई के लिए उसके माता-पिता को रेग्युलर अपडेट करते रहना चाहिए। एक अच्छा शिक्षक ही बच्चों के जीवन की मजबूत नींव रख पाने में समर्थ होता है। 

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