when to start kids sleeping separately
when to start kids sleeping separately Credit: Istock

Summary: बच्चों को अलग बेड पर सुलाने की सही उम्र

बच्चे को अलग बेड पर सुलाना आत्मनिर्भरता की शुरुआत है, इसे भारतीय पेरेंट्स धीरे-धीरे प्यार और धैर्य से करें।

When to start kids sleeping separately: भारतीय समाज में बच्चों को माता-पिता के साथ सुलाना सिर्फ एक जरूरत नहीं बल्कि सामाजिक और पारिवारिक दबाव या संस्कार जो कह लें है। यहां अक्सर देखा जाता है बच्चे लंबे समय तक माता-पिता के साथ बेड साझा करते हैं। यहां के समाज और बड़े बुजुर्गों में प्रचलित है, बच्चों का माता-पिता के साथ सोना उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। कुछ उम्र तक लगभग जीरो से 2 साल तक या बात सही भी है लेकिन जब बच्चा बड़ा होने लगे देखी और सुनी बातों को आधा अधूरा समझने लगे उस समय उसे अलग बेड और कमरे में सुलाना जरूरी हो जाता है। पर यहां सवाल यह है कैसे आई जानते हैं इस लेख में।

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समाज की सोच : बच्चा एक ही बेड पर माता-पिता के साथ सोने पर ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है। समय पर उसकी सभी ज़रूरतें पूरी होती हैं। बच्चे को खुद से अलग सुलाना आपके और बच्चे के बीच लगाव को कम करता है। कैसे पेरेंट्स हैं बच्चे की सुरक्षा की फिक्र ही नहीं उसे अलग सुलाते है। इस तरह की बातें हमारे समाज में प्रचलित है।

हमारी समझ: बच्चा छोटा है तो अपने कमरे में सुलाएं पर अलग झूले या पालने का उपयोग करें। इससे बच्चे को समझ होने पर अलग कमरे में शिफ्ट करना आसान होगा।

अलग सोने पर बच्चा अपनी ज़रूरतें खुद पूरी करता है या मांगना सीखता है अर्थात आत्मनिर्भर और निडर बनता है।

अलग बेड देने से आपका और बच्चे का प्यार कम नहीं होता बल्कि आप दोनों के आराम में बढ़ोतरी होती है।

जन्म से 1 साल तक: इस उम्र में सबसे अधिक बच्चे को मां की जरूरत होती है। ऐसे में डॉक्टर भी सलाह देते है बच्चा मां के करीब रहे ऐसे में आप बच्चे को अपने बेड के पास पालने या झूले में सुला सकते हैं। जिससे मां को आसानी हो उसकी देखभाल में।

1 से 3 साल तक: अगर आप बच्चे को जन्म से झूले में सुला रहे हैं तो वह अपने अलग जगह को समझता है अब आप उसे अपने कमरे में बच्चों के साइड सपोर्टिव वॉल बेड पर सुला सकते हैं।

3 से 5 साल तक: इस उम्र में आप अपने बच्चों को टॉडलर बेड, उनके अपने छोटे बिस्तर जिस पर उनकी पसंद के कार्टून कैरेक्टर्स के चादर पिलो हों उससे परिचित करवा सकते हैं।

5 साल के बाद: अगर आपके पास अलग कमरे की सुविधा है तो आप उसे उसके अपने कमरे से परिचित करवा सकते हैं। अगर नहीं तो आप बच्चे को अपने कमरे में अलग बेड पर सुलाएं

आप अपने बच्चों को एकदम से अलग कमरे में ना सुलाएं ऐसा करने से बच्चा डर सकता है। पहले आप अपने कमरे में ही बच्चे को अलग बेड पर सोने की आदत डालें।

बच्चा अपने अलग कमरे में सोने के लिए तैयार हो इसके लिए बच्चों के कमरे और बेड को उनके पसंदीदा चीजों से सजाएं।

बच्चों को अलग कमरे में सुलाने पर सुनिश्चित करें उनकी जरूरत के समान उनके पास हो, जैसे ओढ़ने का कंबल, पानी की बोतलआदि।

रात में सुलाने से पहले बच्चों को कहानी या लोरी सुनाए ताकि बच्चा गहरी नींद में सोए।

बच्चों के कमरे में हल्की रोशनी रखें ताकि बच्चा रात में उठकर डारे नहीं।

अगर बच्चा अकेले सोने में डर की बात करें तो डांटने के बजाय धैर्य से काम लें।

अगर बच्चा बीमार या डरा हुआ हो तो उसे अकेला ना छोड़े।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...