नवजात शिशु की मालिश कब, कैसे करें
नवजात शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। जिसकी वजह से उसे बीमारियों का खतरा बना रहता है। ऐसे में बच्चे की साफ.सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए, जैसे रोज नहलाना और फिर बच्चे की बेबी ऑयल से मालिश करना आदि। शिशु की मालिश कब शुरु करनी चाहिए इस बात को लेकर कोई तय निर्देश नहीं हैं। हालांकि कुछ विशेषज्ञ शिशु की तेल या लोशन से मालिश शुरु करने से पहले 10 दिन से दो हफ्तों तक इंतजार करने की सलाह देते हैं। नवजात शिशु की मालिश कब तक करनी चाहिए इसकी कोई उम्र सीमा नहीं है। आप जब तक चाहें शिशु की मालिश जारी रख सकती हैं। आपको यह देखना है कि आपकी दिनचर्या और पारिवारिक परंपराओं में यह कैसे फिट बैठती है और आपका शिशु इसके प्रति कैसे प्रतिक्रिया देता है। हो सकता है शुरुआती दिनों में इतनी देर तक मालिश करवाना शिशु को अच्छा न लगे। अधिकांश परिवारों में पहले साल शिशु की रोजाना मालिश की जाती है। कई परिवारों में शिशु के पांच या छह साल का हो जाने तक मालिश जारी रखी जाती हैए हालांकि यह रोजाना नहीं की जाती।
मालिश करते वक्त बरतें सावधानी 
हमेशा जब भी आप शिशु की मालिश करें? तो समय का ध्यान जरूर रखें और कोशिश करें कि बच्चे को ऐसे समय पर नहलाएं जब उसे सर्दी पकड़ने का खतरा न हो। खासकर तब जब मौसम बदल रहा हो। जब धूप निकल जाए तब बच्चे को नहलाना बेहतर होगा। इसके अलावा बच्चे की मालिश के लिए आप वह समय चुनें, जब बच्चा पूरी तरह आराम कर चुका हो, उसकी नींद पूरी हो चुकी हो। इसके लिए भी दिन का समय बेहतर है, क्योंकि उस समय बच्चा लगभग अपनी नींद भी पूरी कर चुका होता है और उसका पेट भी भरा होता है। आप बच्चे को दूसरी या तीसरी बार दूध पिलाने से पहले उसकी मालिश करेंए क्यों कि बच्चे को दूध पिलाने के 20.30 मिनट बाद ही मालिश करना उचित माना जाता है। 
शिशु की मालिश कितनी देर तक करनी चाहिए
आपके शिशु के बड़े होने के साथ साथ मालिश के समय में भी बदलाव आता जाएगा। कुछ शिशुओं को शुरुआत से ही मालिश करवाना पसंद आता हैए ऐसे में आप शिशु के पूरे शरीर की मालिश अच्छी तरह कर सकती हैं। इसमें करीब 20 मिनट से आधे घंटे का समय लग सकता है। अगर, आपके शिशु को शुरुआत में मालिश करवाना पसंद नहीं आता, तो आप थोड़ी देर ही उसकी मालिश करें। एक बार जब शिशु घुटनों के बल या फिर खड़े होकर चलने लगता है, तो हो सकता है वह इतने लंबे समय तक लेटना न चाहे। ऐसे में पांच से 10 मिनट की मालिश काफी होगी।
शिशु के संकेतों को पहचानना 
मालिश के दौरान शिशु के संकेतों को पहचानना भी मालिश का एक जरुरी पहलू है। आपका शिशु संकेतों के जरिये बता देगा कि किस तरह हाथ फेरना उसे अच्छा लग रहा है और किस तरह नहीं। यदि शिशु मालिश के दौरान रोने लग जाए, तो वह आपको बता रहा है कि अब वह और मालिश करवाना नहीं चाहता।
मालिश का समय
अगर आप मालिश के बाद शिशु को नहलाना चाहती हैं, तो उस समय की भी गिनती करें। आप नहीं चाहेंगी कि आपका शिशु नहाने से पहले ही बहुत भूखा हो जाए या थक जाएए वरना उसको नहलाना मुश्किल हो सकता है। जब आपका शिशु बड़ा होता है और चलना.फिरना शुरु कर देता हैए तो उसे पूरे शरीर की मालिश के दौरान लंबे समय तक स्थिर रख पाना मुश्किल है। चाहे आपके शिशु को मालिश करवाना अच्छा लगता होए मगर ज्यादा समय तक लेटना शायद उसे बेचैन कर सकता है। मालिश कम समय के लिए करें। जैसे ही आपका शिशु अधीर या बेचैन होने लगे और आपको लगे कि अब वह और मालिश नहीं करवाना चाहता तो आप उसे नहलाने ले जा सकती हैं।
मालिश करने के तरीके में बदलाव
शिशु के बड़े होने के साथ.साथ आप मालिश करने के तरीके में भी बदलाव कर सकती हैंए जैसे कि शिशु को लिटाने की बजाय खड़े करके या बिठा कर मालिश कर सकती हैं। या फिर आप कभी.कभार या फिर केवल सप्ताहांत पर ही मालिश करें। कई मांएं पूरे शरीर की बजाय केवल सिर पर मालिश करना ही जारी रखती हैं। जब आपका बच्चा बड़ा हो जाता है, तो आप उसे खुद अपनी मालिश करना सिखा सकती हैं। हालांकि, आप जिस तरह से उसकी मालिश करती आई हैंए बच्चा ठीक उसी तरह तो मालिश नहीं कर सकेगा मगर नहाने से पहले त्वचा पर तेल लगाना या नहाने के बाद क्रीम लगाना उसकी दिनचर्या में शामिल हो जाएगा। इससे उसकी त्वचा मॉइस्चराइज रहने में मदद मिलेगी। एक माह के बाद ही शिशु की मालिश का उचित समय माना जाता है। साथ ही जन्म के समय के मुकाबले बच्चे की त्वचा में संवेदनशीलता कम होती है।
बच्चे की मालिश कितनी बार करें   
बच्चे की मालिश को कितनी बार करनी चाहिएए इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। बच्चे को लंबे समय तक फायदे प्रदान करने के लिए आपको उसकी नियमित मालिश करनी चाहिए। अगर मालिश से बच्चे को कोई परेशानी का सामना करना पड़ता है तो ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और उनसे नियमित मालिश करने के तरीकों के बारे में जानना चाहिए।
बच्चों की मालिश कोमलता से हलका दबाव देते हुए और सावधानी से करना चाहिए। जोड़ों पर गोलाकार हाथ चलाकर चारों तरफ मालिश करके अंग को 8.10 बार चलाकर जोड़ों को व्यायाम देना चाहिए। इससे जोड़ मजबूत और शुद्ध होते हैं। नवजात शिशु की 40 दिन तक कम से कम और अधिक से अधिक छह माह तक लोई करके मालिश की जाए तो बहुत हितकारी होगा।
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