नवजात शिशु के लिए मालिश अत्यंत आवश्यक है। नर्म हाथों से की गई मालिश न सिर्फ शिशु के शरीर को गठीला बनाती है बल्कि अपनेपन का एहसास भी कराती है। मालिश कराने के बाद बच्चा बेहद चुस्त और दुस्रूत महसूस करता है। मालिश करने से कुछ देर बाद नहलााने से बच्चे को खूब अच्छी नींद आती है। गर्मियों में जहां खुले आसमान के नीचे आप बच्चे की मालिश कर सकते हैं। तो वहीं सर्दियों में धूप में यां फिर ज्यादा सर्दी के दौरान कमरा बंद करके बच्चे की मालिश की जा सकती है। मालिश करने का हर किसी का अपना अलग तरीका होता है मगर मालिश के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बच्चे की मालिश करने के लिए ये तरीके अवश्य अपनाएं
नवजात की मसाज करने के दौरान घर के भीतर या छत या बालकनी में शांत वातावरण होना चाहिए।
बच्चे की मालिश करने से पहले नाखूनों को काटकर रखें और ज्वेलरी न पहनें। मालिश से पहले हाथों को अच्छी तरह से जरूर साफ कर लें।
नवजात की मालिश करते वक्त ध्यान रहे कि बच्चे को पीठ के बल लेटाकर उसके कपड़े उतार लें। मालिश के दौरान शिशु की आंखों में देखना जरूरी होता है।
मालिश करते हुए उससे बात करते रहें। अब अपने हाथों पर तेल डालें और उसे बच्चे के कानों पर मसलें। इससे शिशु को मालिश के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।
टांगों से मालिश को शुरू करें और फिर एड़ी तक आएं। अब कंधोंए बांह और सीने पर हाथों को गोलण्गोल घुमाते हुए मालिश करें।
छाती की मालिश करते समय हाथों को जरा नरम रखें। अब शिशु को पेट के बल लिटाकर पीठ और कूल्हों आदि की मसाज करें। शिशु के पैरों के तलवों और हथेलियों पर भी मसाज करना न भूलें।
शिशु के सिर की त्वचा बेहद नाजुक होती है। बाडी मसाज के आखिर में बच्चे की सिर की हल्के हाथों से मालिश करें।
बेबी मसाज करने के लिए इन स्टेपस को न भूलें
शिशु को मालिश के लिए तैयार करें
शिशु की मालिश शुरू करने से पहले आपको उसे इसके लिए तैयार करना होगा। ऐसे में जरूरी है शिशु शांत और अच्छे मूड में रहे। साथ ही अगर सर्दी का मौसम हैए तो मालिश से पहले अपने हाथों को हल्का गर्म कर लेंए ताकि बच्चा ठंड की चपेट में आने से बच सके। मालिश करने के लिए शिशु की छोटी छोटी हथेलियों पर हल्काण्हल्का तेल लगाएं और फिर पेट व कानों के पीछे तेल लगाएं। ऐसा करने से वो इस प्रक्रिया को समझने लगेगा और उसे आराम मिलने लगेगा। 
शिशु के पैरों की मालिश
अगर बच्चा मालिश के लिए तैयार हैए तो सबसे पहले उसके पैरों की मालिश करें। आप अपनी हथेलियों पर थोड़ा तेल लें और उसके तलवों पर हल्के हाथों से मालिश करें। उसके पैरों की उंगलियों और एड़ियों पर मालिश करें। फिर हथेली से पैर के नीचे और ऊपर हल्का हाथ फेरें। उसके बाद बच्चे के अंगूठे पर तेल लगाए और उसे हल्के हाथों से मसाज करें। अब बच्चे की टांगों पर तेल मलें और नीचे से उपर की ओर मसाज करें। अब बच्चे के घुटनों को भी हल्के हाथों से दबाएं और टांगों को कुछ देर तक दबाएं। इससे बच्चों को बेहद राहत मिलती है और टांगों का दर्द भी कम होता है। इसके बाद अब शिशु की टांगों को घुटने से मोड़ते हुए घुटनों को हल्के हाथों से पेट पर दबाएं। ऐसा करने से शिशु के पेट से गैस बाहर निकल जाएगी।
शिशु के हाथों की मालिश
शिशु के हाथ और उसकी कलाईयां बेहद नाजुक होती है। अब पैरों के बाद शिशु के हाथों की मालिश करें। इसके लिए शिशु के हाथ पकड़ें और उसकी हथेलियों पर हाथ फेरें।
अब हल्के गुनगुने तेल से उसकी हथेलियों से लेकर उंगलियों के पोरों तक हल्की मालिश करें।
अब धीरे से हल्के हाथों से बच्चे के हाथों को मोड़ें और धीरेण्धीरे उसके हाथ के पिछले हिस्से से कलाई तक मालिश करें।इसके बाद दोनों बाजूओं को हल्का हल्का दबाएंए ताकि बच्चा राहत महसूस करे।
स्टेप शिशु के सीने और कंधों की मालिश
अब बारी आती है शिशु के सीने और कंधों की मालिश करने की। इसके लिए आप शिशु के दोनों कंधों से सीने तक धीरेण्धीरे मालिश करें।
इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएं।
फिर हल्के हाथों से सीने के बीच में हाथ रखते हुए बाहर की तरफ मालिश करें।
शिशु के पेट की मालिश
दोनों हाथों को गोल घुमाते हुए शिशु के पेट और नाभि के पास मालिश करें।
फिर धीरे धीरे पेट से घुटनों तक मसाज करें।
शिशु के सिर और चेहरे की मालिश
आप शिशु के ठोड़ी से अपनी उंगलियों को गालों की ओर ले जाते हुए सर्कुलर मोशन में मालिश करें। दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
इसके बाद बच्चे के बालों की जड़ों में तेल लगाकर इस तरह मालिश करें, जैसे शैंपू करते हैं। 
शिशु की पीठ की मालिश
अब उंगलियों के पोरों को शिशु की पीठ के ऊपरी हिस्से पर रखेंए फिर गोलण्गोल घुमाते हुए नीचे की ओर लेते जाएं। इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराते हुए बच्चे की पीठ की मा्लिश करें। 
मालिश शरीर को मज़बूती और पोषण प्रदान करती है। चाहे शिशु हों या फिर बढ़ते हुए बच्चे पांच साल की उम्र तक बच्चों को मालिश की आवश्यकता होती है। मालिश बच्चे के शरीर को अंदरूनी मज़बूती प्रदान करता है।