नवजात के सर्वोत्तम विकास के लिए मालिश एक आसान और बेहद कारगर उपाय है। मालिश से आपके बच्चे की सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं। मालिश न सिर्फ शिशु को शांत करने और आराम पहुँचाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। बल्कि यह ब्लड सर्कुलेशन, वज़न बढ़ाने और पाचन में सुधार करने में भी बहुत प्रभावी है। इसके अतिरिक्त आपके बच्चे के दाँत निकलने से संबंधित परेशानियों को भी मालिश से कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, अपने शिशु की मालिश करना उसके लिए आपके प्यार और देखभाल को व्यक्त करने का एक बेहतरीन तरीका है और यह आपको अपने बच्चे के साथ संबंध को और गहरा करने में भी मदद करता है। आइए जानते हैं, तेल मालिश के कुछ और फायदे, जिससे बच्चे के विकास में मिलेगी मदद। 

रक्त संचरण को बनाए बेहतर 

माना जाता है कि मालिश के दौरान हल्के हाथ फेरने से शरीर के सभी हिस्सों में ताप उत्पन्न होता है और रक्त संचरण बेहतर होने में मदद मिलती है। इससे न सिर्फ शिशु का शारीरिक विकास होता है, बल्कि मानसिक विकास में भी मदद मिलती है। 

वजन बढ़ाने में मददगार

तेल मालिश समय से पहले जन्मे शिशु यानि प्रीमेच्योर शिशु का वजन बढ़ाने में मददगार साबित होती है। मालिश मस्तिष्क को पेट समेत शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों से जोड़ने वाली श्वेगस नर्वस नामक मुख्य नस को उत्तेजित करती है। इस नस से पाचन और मलत्याग की प्रक्रिया में सुधार हो सकता है, जिससे शिशु का वजन बढ़ने में मदद मिल सकती है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार तेल में मौजूद वसा की कुछ मात्रा शिशु की त्वचा के जरिये अवशोषित हो सकती है। ऐसे में मालिश शिशु के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है।प्रेमैचोर बच्चों को कम वज़न की शिकायत होती है। उनका वज़न बढ़ाने के लिए पोषण के साथ साथ मालिश भी मदद करती है। तो नियमित रूप से शिशु की मालिश करें। उसे प्यार से सहलाएं। ज़्यादा ज़ोर न लगाएं। हलके हाथों से उसे पुचकारते हुए मालिश करें।

बच्चे को संभालने में हो जाती हैं आश्वस्त

मालिश आपके नवजात शिशु को जानने का एक शानदार तरीका है और इसकी मदद से आप अपने बच्चे को अकेले संभालने में भी आश्वस्त हो जाती हैं। अपने बच्चे के साथ समय बिताना उसकी ज़रूरतों व आवश्यकताओं के लक्षणों को समझने में आपकी मदद् करता है।

बच्चे को पहुंचाए चैन और आराम 

तंत्रिका तंत्र को शांत करके मालिश आपके बच्चे के पेट दर्द को कम करने और नींद में मदद करता है। मालिश करने से आपके बच्चे की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है और त्वचा को पोषण मिलता है। इससे बच्चे को दिनभर आराम मिलता है और वो स्वस्थ्र रहता है।

मन मस्तिष्क का होता है विकास

सर की मालिश से दिमागी विकास में भी मदद मिलती है। शिशु चीज़ों को जल्दी पहचानने, बोलने, देखने व समझने लगता है। इसका कारण है ऑक्सीजन से भरा शुद्ध रक्त का मस्तिष्क तक पहुंचना।

लचीला व ऊर्जावान शरीर

इससे शरीर मजबूत होने के साथ त्वचा में नमी बनी रहती है। शरीर में लचीलापन आता है व ऊर्जा मिलती है। मालिश से शरीर का विकास करने वाले जरूरी हार्मोन स्त्रावित होते हैं। इन तेलों में मौजूद एंटीबायोटिकए एंटीफंगलए एंटीबैक्टीरियल और विटामिनण्ए व ई जैसे गुण रोगों से बचाव करने के साथ रक्तसंचार दुरुस्त कर अंगों की जरूरत को पूरा करने में मदद करते हैं। इस दौरान मां के स्पर्श से बच्चे का भावनात्मक रूप से जुड़ाव बढ़ता है।

शिशु को बेहतर नींद दिलाए

शिशु को सुलाने से पहले शिशु की मालिश करना उनकी बेहतर नींद के लिए एक और अच्छा तरीका है। हालांकि मालिश से  अच्छी नींद आने के अलावा कई ओर फायदे भी हैंए जैसे बेहतर पाचन क्रियाए शिशु को आराम मिलता है तथा इस से शिशु का बेहतर विकास होता है।

मांसपेशियों में तनाव होगा कम

इससे बच्चों में गैस, ऐंठन, कोलिक कब्ज जैसी समस्याओं का इलाज हो सकता है। मालिश से मांसपेशियों में तनाव भी कम होता है और दर्द एवं दांत निकलने पर होने वाली दिक्कतों से भी राहत मिलती है।

मसाज करते समय ध्यान देने योग्य बातें

तेल को हल्के से बच्चे के पेट पर डालें और फिर धीरे धीरे हल्के हाथों से मसाज शुरू करें। मसाज करते समय ध्यान रखें कि ज्यादा समय तक और लगातार मसाज नहीं करें क्योंकि बच्चों की हड्डियां बहुत नाज़ुक होती है।

सर्दी में मसाज बालकनी में गुनगुनी घूप में बैठ कर करें और गर्मियों में आप आगंन में छांव वाली जगह पर बैठकर मालिश कर सकते हैं।

मसाज करने से पहले अपने नाखून काट लें और हाथों से रिंग उतार लें ताकि बच्चे को किसी तरह की चोट नहीं लगें।

मालिश करते हुए कोशिश करें कि बच्चे से बात करते रहें, ताकि बच्चा आपकी बातों को समझे और खुद से बोलने की कोशिश भी करे।

मालिश टांगों से शुरू करें और फिर एड़ी तक आएं। अब कंधों, बांह और सीने पर हाथों को गोल गोल घुमाते हुए मालिश करें।

छाती की मालिश करते समय हाथों को जरा गर्म रखें। अब शिशु को पेट के बल लिटाकर पीठ और कूल्हों आदि की मसाज करें। पैरों के तलवों और हथेलियों पर भी मसाज देना न भूलें। 

शिशु की मालिश करने का सर्वोत्तम समय

अपने बच्चे को मालिश करने का सबसे सही समय होगा जब वह भूखा न होए नींद में या थका हुआ न हो। आप सुबह या शाम और दिन के किसी भी समय मालिश कर सकती हैं। बच्चे की मालिश करना उसे नहलानेए खिलानेदृपिलाने और सुलाने को नियमित दिनचर्या में ढालने का एक प्रभावी तरीका है।

एक साल तक मालिश जरूरी

तेल मालिश कितनी भी उम्र तक की जा सकती है लेकिन जन्म से लेकर एक साल तक का समय शरीर के विकास व हड्डियों की मजबूती के लिहाज से अहम होता है। ध्यान रखें ठंडी हवा या खुले वातावरण के बजाय कमरे में 26, 27 सेल्सियस के तापमान यानी गर्म तापमान में मालिश करें।

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