Reduce obesity: पूरे विश्व में आज बच्चे मोटापे की समस्या से परेशान हैं। भारत दुनियाभर में आज बच्चों के मोटापे की समस्या में तीसरे नंबर पर है। आज बच्चे भी मोटापे के कारण कई ऐसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, जिन्हें बड़ों व बुजुर्गों की बीमारी माना जाता है।
मोटापा अपने आप में एक ऐसी समस्या है जिसका प्रभाव ना केवल मोटा इंसान झेलता है बल्कि इसकी त्रासदी को पूरा परिवार झेलता है। एक समय था जबकि बड़े लोग ही मोटापे की समस्या को झेलते थे परंतु आज तो बच्चे भी इस समस्या से अछूते नहीं रह गए हैं।
वयस्क व किशोरों में मोटापे की समस्या के साथ-साथ आज बच्चे भी बढ़ते हुए वजन, थुलथुल होते शरीर की समस्या को झेल रहे हैं। गांवों से ज्यादा शहरों में आज ये समस्या अधिक देखने को मिल रही है। शहरी जिंदगी में बच्चों में बहुत ज्यादा वजन बढ़ने की समस्या आज आम हो गई है।
इसके पीछे प्रमुख कारण है शहर की भागमभाग भरी तनावपूर्ण जिंदगी लेकिन बिंदास जीवनशैली। इन सब चीजों का मिश्रण ही बच्चों में मोटापे को जन्म देता है।
घातक बीमारियों को निमंत्रण है मोटापा

यद्यपि कुछ समय तक मोटापे का शिकार बस शहर के बच्चे ही हो रहे थे परंतु आज गांवों के आधुनिकरण के कारण गांवों में भी बच्चों के अंदर मोटापा बढ़ता ही जा रहा है।
डब्लूएचओ ने अपनी रिसर्च रिर्पोट जारी करते हुए खुलकर कहा है अगर दुनियाभर के बच्चों की जीवनशैली नहीं बदली तो निश्चित ही आने वाली पीढ़ी एक नहीं अनेक परेशानियों का शिकार रहेगी और ये परेशानियां उनको शरीरिक व मानसिक रूप से क्षतिग्रस्त करेगी। अत: बच्चों में मोटापे के भयानक रूप से बढ़ोतरी को रोकने का हर भरसक प्रयास हर देश को करना ही चाहिए तभी ये समस्या दूर होगी और बच्चों को स्वस्थ जीवन व उज्ज्वल भविष्य मिलेगा।
बच्चों में मोटापा एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इसकी गंभीरता इसलिए भी बढ़ती जा रही है क्योंकि मोटापे के कारण बच्चे उन खतरनाक बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं जिन बीमारियों के लिए पहले ये कहा जाता था कि ये बीमारियां सिर्फ बड़े लोगों में ही होती है। आज ये बीमारियां प्राय: बच्चों में भी होना आम बात हो गई है, जैसे- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डिप्रेशन, आदि। ये सभी वो बीमारियां थीं जो कि बस बड़े लोगों में ही होती थीं पर अब ये बच्चों में भी होने लगी है।
इतना ही नहीं अस्थमा, स्लीप एपनिया, हेपेटिक, किडनी रोग और कई तरह के कैंसर भी आजकल बच्चों में देखे जा रहे हैं। मोटापे के कारण दिल के रोग भी बच्चों में बढ़ते ही जा रहे हैं। इन सबके पीछे एक ही कारण है मोटापा। यूं तो हर माता-पिता अपने बच्चे को स्वस्थ देखना चाहते हैं लेकिन लाड प्यार करते वक्त वो इस बात को बिलकुल ही भूल जाते हैं कि इससे उनका वजन भी बढ़ रहा है। वजन बढ़ भी रहा हो पर उससे होने वाली घातक बीमारियों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं जबकि बच्चों की तरह माता-पिता का ये ख्याल जरूर होना चाहिए कि उनके बच्चे की उम्र के हिसाब से उनका वजन कितना है।
बच्चों में मोटापा बढ़ने की वजह
शारीरिक गतिविधियों का कम होना: जब बच्चे खेल-कूद में कम रूचि लेते हैं या उनको मौका ही नहीं मिलता या फिर बीमारी के कारण वे ज्यादा खेल-कूद में भाग नहीं ले पाते तो बच्चे अकसर बहुत मोटे होने लगते हैं। बच्चों में अगर थकान रहती हो तो भी वे फिजिकल एक्टिविटीज नहीं कर पाते। आज बच्चों में इनडोर गेम्स खेलने की आदत पकड़ती जा रही है, जिस कारण आंखों पर चश्मा चढ़ रहा है और शरीर पर चर्बी।
खाने में गड़बड़ी: बच्चों का खान-पान भी मोटापे में लगातार वृद्धि का कारण बन रहा है क्योंकि बच्चों की रूचि आज जंक फूड की तरफ ज्यादा है। वो पौष्टिक भोजन खाना ही नहीं चाहते हैं। बच्चे मैगी, पिज्जा, बर्गर, पास्ता, चॉकलेट, चिप्स, टॉफी, कैण्डी खाना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके लिए वो जब माता-पिता से जिद्द करते हैं तो माता-पिता भी उनकी जिद्द के आगे अपने को हारा महसूस करते हैं क्योंकि फास्ट फूड व जंक फूड आजकल का फैशन है और इस फैशन को पूरा करने के लिए बच्चे इसको खाने के लिए खुद को मजबूर करते हैं नहीं तो उनको अपने मित्रों के आगे मजाक बनने का डर भी रहता है। इस डर के चलते अगर माता-पिता उनको फास्ट व जंक फूड खाने के लिए मना भी करते हैं तो वो प्राय: भोजन छोड़ने की धमकी देते हैं, जिसके चलते माता-पिता को भी उनकी बातें माननी पड़ती है।

अनुवांशिक कारण: आजकल बच्चों में लगातार मोटापा बढ़ने का एक प्रमुख कारण अनुवांशिकता भी है। देखा गया है जिनके माता-पिता मोटे हैं, उनके बच्चे भी कभी-ना-कभी उम्र के किसी ना किसी मोड़ पर मोटापे का शिकार जरूर होते हैं। माता-पिता अगर दोनों ही मोटे हैं तो मोटे होने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है। अगर दोनों में से अगर एक भी मोटा है तो संभावना थोड़ी सी कम हो जाती है। अत: परिवारिक मोटापा भी बच्चे के ऊपर अपना असर डालता है, यहां तक कि दादा-दादी नाना-नानी का मोटा होना भी।
माता-पिता की आदतें: बच्चे के मोटापे पर बच्चों के माता-पिता की आदतें भी अपना प्रभाव डालती हैं, जैसे- कुछ माता-पिता को खुद ऐसा खाना खाना अच्छा लगता है जो प्राय: मोटापा बढ़ाता हो। इस स्थिति में प्राय: माता-पिता घर में या बाहर से मंगवाकर रोज ही ऐसा खाना खाएंगे तो निश्चित रूप से ही बच्चे भी वही खाना खाएंगे। माता-पिता की नासमझी के कारण ऐसा ही खाना बच्चों की भी आदत व रूचि बनता जाएगा जो बच्चों में मोटापे को जन्म देगा।
पारिवारिक माहौल: कई बार पारिवारिक माहौल इतना ज्यादा तनाव के कारण दुख, चिंता, फिक्र, लड़ाई, झगड़े से भरा होता है कि बड़े-बड़ों की लड़ाई-झगड़ों में प्राय: बच्चा पिस जाता है। इस माहौल के कारण माता-पिता का जीवन ही अस्त-व्यस्त होता है तो इस स्थिति में वो बच्चों को भी सामान्य नहीं असामान्य जीवनशैली ही देते हैं क्योंकि ना ही वे अपना ही ख्याल रख पाते हैं और ना ही बच्चों का। तनावपूर्ण माहौल में बच्चे जब जैसे-तैसे खाते हैं तो वो मोटापे का शिकार होते हैं।
और जब तक माता-पिता अपनी गलती को समझते हैं तब तक देर हो चुकी होती है। बच्चे पर मोटापा इस कदर चढ़ चुका होता है कि तब हर कोशिश प्राय: बेकार ही हो जाती है।
मोटापे के दुष्परिणाम

- मोटापा बच्चे का आत्मविश्वास तोड़ देता है। मोटापे के कारण बच्चे स्कूल, घर, समाज में बुलिंग का शिकार होते हैं।
- बच्चों का शरीर पूर्ण विकसित नहीं होता है। कई बार तो असमय ही कई अंगों का विकास भी रुक जाता है।
- अत्यधिक मोटापा कई बार चलने-फिरने, खाने, सोने में भी समस्या देता है। कई बार शरीर के कई अंगों में दर्द की समस्या बनी रहती है।
- अत्यधिक मोटे बच्चों में प्राय: सांस लेने की समस्या भी बनी रहती है। बच्चे थोड़ा-सा काम करने या चलने, दौड़ने से भी थक जाते हैं, जो आगे चलकर दिल व दिमाग के लिए भी हानिकारक संकेत सिद्ध होता है।
बदलें उनकी आदतें

शुरुआत से ही बच्चों को हेल्दी भोजन की आदत डालें। बच्चों को अधिक से अधिक शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रखें। अगर बच्चे ना करें तो उनको इसके फायदे बताकर ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
घर के खाने का महत्त्व समझाएं और खुद भी कम-से-कम बाहर का खाना खाएं। उनके लिए स्वयं घर में ही ऐसा भोजन बनाएं जो अधिक स्वादिष्ट, पौष्टिक व संतुलित हो।
