पिछले साल से बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई ही कर रहे हैं। सारे इक्जाम भी ऑनलाइन ही हो गए हैं। छोटे बच्चे तो खासतौर पर पूरे साल स्कूल गए ही नहीं। उन्होंने सारे इक्जाम घर पर बिना लिखे ही दे लिए हैं। इन सबका कई चीजों पर असर हुआ है और इन्हीं में से एक है लिखने की आदत। बच्चों की लिखने की आदत कम हुई है। अब जब वो स्कूल जाएंगे तो सबसे बड़ी समस्या यही लिखने की ही होने वाली है। बच्चे शायद अब लिखना ही न चाहें। होमवर्क में हो सकता है कि आपको खूब परेशान कर लें। हां, ये बात भी सही है कि बच्चों ने पिछले साल होमवर्क तो किया है लेकिन इस पर भी उतना दबाव नहीं रहा। अगर आपके बच्चे की भी लिखने की आदत खराब हो गई तो उनकी ये आदत आप सुधार सकती हैं, कैसे, चलिए जान लेते हैं-
लिखना क्यों है जरूरी-
लिखी गई बात ज्यादा समय तक दिमाग में रजिस्टर रहती है। इसको ऐसे समझिए कि बड़े होने के बाद भी हम कई बातें इसलिए लिखते हैं कि समय रहने पर याद रह सके। या फिर कई दफा घरेलू खर्चों का हिसाब भी आ लिखे ही देखती हैं तो आपको आगे के महीनों के खर्चों से तुलना में मदद मिलती है। कुलमिलाकर लिखने के फायदे हर उम्र में मिलते जाते हैं। छोटी उम्र हो या बड़ी लिखना हमेशा फायदा देता है।
ऑनलाइन इक्जाम हैं तो क्या-
बच्चों के ऑनलाइन इक्जाम हो रहे हैं तो ज्यादातर माता पिता पहले की तरह कोर्स याद करने के बाद लिखा कर नहीं देखते हैं। जबकि ये आदत ही सबसे बड़ी दिक्कत है। बच्चे इसी आदत के चलते लिखने को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। उन्हें भी अब लिखना बेकर का काम लगने लगा है। उनको कोर्स याद हो जाना ही काफी लगता है। जबकि लिख कर देखने से याद किया हुआ मन में पक्का तो हो ही जाता है। इस तरह से कई सारे शब्द लिखने की प्रैक्टिस भी हो जाती है। मगर ये प्रैक्टिस आजकल छूटी हुई है।
लिखवा कर देखें-
बच्चे की क्योंकि लिखने की आदत छूट गई है इसलिए ये जरूरी है कि उनको ज्यादा से ज्यादा लिखने का काम दिया जाए। उन्हें समझाया जाए कि याद करने से काम नहीं चलेगा। लिखने की प्रैक्टिस के लिए सबसे पहले तो रोज नियम से होमवर्क मिलना चाहिए। अब इक्जाम के समय स्कूल से तो होमवर्क मिलेगा नहीं। इसलिए आप खुद ऐसा कीजिए। बच्चे को आप होमवर्क जरूर दीजिए। बच्चा शुरू में आनाकानी करेगा लेकिन आप उससे पूरा ना सही थोड़ा ही होमवर्क करने को कहिए। धीरे-धीरे उसकी लिखने की आदत वापस हो जाएगी। इसके अलावा जब भी कुछ नया याद कराएं तो उसे लिखने के लिए जरूर कहें। वो लिखेगा तो याद किया हुआ और अच्छे से याद होगा।
ऑनलाइन है तो क्या-
आप लिखने की आदत सुधारने के लिए ये भी कर सकती हैं कि बच्चे से ऑनलाइन पेपर पहले लिखवा कर देख लें। ऑनलाइन पेपर में भी 1 से डेढ़ घंटे का समय मिलता ही है। अब इतने समय में सारे विषय न सही लेकिन कुछ विषयों के सवालों को लिखवाकर भी देखा जा सकता है। आप सवाल पूछ लीजिए और वो लिख कर दिखा दे। फिर आप ऑनलाइन जवाब दे दीजिए। इस तरह से उसे भी असली पेपर वाला अहसास होगा। वो पेपर की तैयारी भी ऐसे करेंगे जैसे उन्हें ऑफलाइन पेपर देना हो।
ड्राइंग बनाओ और लिखो-
बच्चे अक्सर ही ड्राइंग बनाते हैं। आप बच्चों से अपनी ड्राइंग के बारे में सबकुछ डिटेल में बताने हो कहें। बस शर्त ये होगी कि उन्हें सबकुछ लिख कर बताना होगा। जैसे की पेंटिंग में ‘एक बच्चा है’, ‘वो आइसक्रीम खा रहा है’ आदि। जब वो लिखेगा तो उसे भी कुछ दिन बाद ही सही लेकिन लिखना अच्छा जरूर लगेगा। उसको ये एक्टिविटी भी इतनी अच्छी लगेगी कि हो सकता है वो आप से खुद ही आगे आकर इसे रोज करने की जिद करने लगे। इसके दो फायदे होंगे बच्चे की ड्राइंग भी अच्छी होगी, राइटिंग अच्छी होगी। इन सबके बीच बच्चे की लिखने की आदत भी पक्की हो जाएगी। वो लिखने में मजा ढूंढने लगेगा। फिर कई बार बिना कहे भी आपको लिख कर दिखाया करेगा।
खुद भी लिखें-
बच्चा माता-पिता में अपने आदर्श तलाशता है। ऐसे में अगर बच्चों को लिखने की आदत डालनी है तो सबसे पहले खुद भी कई सारे काम पहले की तरह लिखकर ही करें। हर काम के लिए मोबाइल ना तलाशें। महीने का हिसाब-किताब जो अब मोबाइल पर किया करती थीं कम से कम वो काम तो लिख कर ही कीजिए। इस तरह से बच्चों से ये भी कहने के लिए होगा कि देखो मैं भी तो लिख रही हूं। लिखना अच्छी बात होती है, ये बच्चे को समझ आ जाएगा। वो लिखने के लिए मोटिवेट होगा और लिखने की कोशिश भी खूब करेगा। इसलिए बच्चे से पहले आप भी लिखने की आदत डाल लीजिए।
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