Slow Writing: अक्सर पेरेंट्स की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे की राइटिंग स्पीड बहुत कम है। यानी बच्चा जल्दी नहीं लिख पाता जिसके चलते क्लास में मैडम लिखवाती हैं, उसे वे ठीक तरह से कॉपी में नोट नहीं कर पाता। असल में स्लो राइटर बच्चे वो होते हैं जिनके हाथ लिखते समय बहुत धीरे चलते हैं, हाथों की मूवमेंट स्लो होने के कारण उन्हें लिखने में देरी होती है। अगर आप भी अपने बच्चे के स्लो लिखने से परेशान हैं तो आइये कुछ बातें आपको बताएं जिन पर अमल करके आप निश्चय ही उनकी राइटिंग स्पीड में इजाफा कर सकते हैं।
फाइन मोटर स्किल करें मजबूत

बच्चों की फिंगर मसल्स ठीक तरह विकसित नहीं हो पाती, जिससे उन्हें लिखने में परेशानी होती है। बच्चों के साथ रोजाना फिंगर मसल्स एक्सरसाइज और फाइन मोटर स्किल एक्टिविटीज करें। जैसे- पेपर टियरिंग, पेपर कटिंग, मटर छीलना, स्प्रे बोतल से पौधों में पानी डालना, प्ले-डो से खेलने देना, कपड़े सुखाने की चिमटियां लगाना, क्रेयाॅन से पेपर पर लाइनें, ड्राइंग बनाने के लिए देना। थाली में सूजी लेकर बच्चे की पाइंटर उंगली से ट्रेस करना सिखाएं।
पैटर्न बुक्स फोलो करें
बच्चे की उम्र के हिसाब से कई तरह की पैटर्न बुक्स आती हैं। बच्चे को एक बार लिखना आ जाता है तो पेरेंट्स उसे पैटर्न बुक देना बंद कर देते हैं। जबकि इनमें दिए गए पैटर्न की प्रैक्टिस करने पर बच्चे के हाथों की मूवमेंट तेज होती है और राइटिंग स्पीड अच्छी होती है। छोटे बच्चों के लिए पैटर्न बुक्स का चुनाव करते हुए इस बात का ध्यान रखें कि पैटर्न बुक का लेवल थोड़ा कठिन और जटिल हो। यानी बच्चे जितने पैटर्न को आसानी और तेजी से बना सकता है- उससे जटिल पैटर्न वाली बुक लें। खासकर जिगजैग, लूप्स और कर्व्स वाले पैटर्न वाली किताबें उसके लिए मददगार होती हैं। उसे काॅपी की इंगलिश के अक्षरों(A to Z) को एक लाइन में एक साथ कर्सिव राइटिंग में लिखने के लिए कहें। इससे बच्चा जल्दी लिख पाएगा और एक लाइन में सारे अक्षरों को देखकर उसे बड़ा अच्छा लगेगा। बुक में प्रैक्टिस करते हुए बच्चे को पैटर्न तेजी से बनाने के लिए मोटिवेट करें। पढ़ाई से इतर जब बच्चा पैटर्न बुक पर प्रैक्टिस करता है तो पूरी रूचि और एकाग्रता से करता है। हैंड मूवमेंट तेज होने पर बच्चे की राइटिंग भी तेज होगी।
राइटिंग बुक पर प्रैक्टिस कराएं

बच्चे जब अक्षर लिखना सीख जाते हैं तो उन्हें शब्द, फिर वाक्य लिखने की प्रैक्टिस करानी चाहिए। कोशिश करें कि राइटिंग बुक बिल्कुल आसान न हो, जिसकी प्रैक्टिस करने में बच्चे को जरूर मजा आएगा। बच्चों को राइटिंग प्रैक्टिस के लिए टाइम तय करें और उसे उसी टाइम में पूरा करने के लिए मोटिवेट करें। धीरे-धीरे उनका लेवल बढ़ाते जाएं और दो-तीन बार प्रैक्टिस करने के बाद टाइम पीरियड कम करते जाएं। इससे बच्चे की राइटिंग स्पीड बढ़ेगी। संभव है कि जल्दी लिखने के चक्कर में उनकी राइटिंग अच्छी न हो। लेकिन पेरेंट्स को धैर्य से काम लेना चाहिए। एक बार बच्चे की राइटिंग स्पीड बढ़ने पर पेरेंट्स को उन्हें मोटिवेट करें कि वो जल्दी लेकिन सुंदर हैंड राइटिंग में लिखे। बच्चे की हैंड राइटिंग भी अच्छी हो जाएगी।
होमवर्क खुद करने की आदत डालें
अमूमन पेरेंट्स छोटी क्लास के बच्चे को ’खाली स्थान भरो‘ जैसा होमवर्क कराते हुए, उसकी मदद करने के लिए आधा काम खुद कर देते हैं। बेशक वो जाने-अनजाने ऐसा करतेे हों, लेकिन इससे बच्चे को कम लिखने की आदत हो जाती है। बड़ी क्लास में जाकर जब क्लास में जाने पर क्लास में पूरे वाक्य लिखने में दिक्कत आती है। इसके बजाय जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चे को पूरा होमवर्क खुद करने की आदत डालें, भले ही उसे टाइम ज्यादा लगे। इससे बच्चे में आत्मविश्वास आता है और उसकी लिखने की स्पीड बढ़ती है।
एडवांस में पढ़ाएं

कोशिश करें छोटे बच्चे को स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ को घर पर एकाध दिन पहले ही पढ़ा दें। जब बच्चें को उसके बारे मे पहले ही पता होगा तो वह ब्लैकबोर्ड पर लिखी बातों को या मैडम के बोले गए वाक्यों को जल्दी समझ जाएगा। और जल्द ही अपनी काॅपी पर जल्द ही लिख लेगा, उसे ब्लैकबोर्ड की काॅपी करने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
करें डिक्टेट
बच्चे को जल्दी लिखना सिखाने के लिए पेरेंट्स को बच्चे को डिक्टेट कराकर पढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। खासकर अगर वो लिखने का काम कर रहा है, तो उसे डिक्टेट करना बेहतर है। इससे एक तो आपसे सुने शब्द और उसके स्पेलिंग या मात्राएं बच्चे को जल्दी याद हो जाएंगे, दूसरे यानी कोई पाठ देखकर काॅपी करने से बचेगा। इससे धीरे-धीरे बच्चे की राइटिंग स्पीड बढ़ेगी। बच्चे को समझाएं कि मैडम को ध्यान से सुनें और अपनी काॅपी पर लिखे।
याद करके लिखने की आदत

आपने भी देखा होगा कि बच्चे की राइटिंग स्पीड तब ज्यादा तेज होती है, जब उसे स्पेलिंग, सवाल-जवाब या पाठ अच्छी तरह याद हो। पेरेंट्स को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे को जो भी याद कराएं, उसे बच्चे को लिखने के लिए भी मोटिवेट करें। इससे बच्चा क्लास में जल्दी लिख लेगा।
पसंदीदा चीज लिखने के लिए प्रेरित करें
हो सकता है कि आपका बच्चा लिखने में चोर हो। यानी उसे अपना पाठ तो अच्छी तरह याद हो, लेकिन लिखने की आदत या मन न होने के कारण वो क्लास में न लिखता हो। सजा मिलने के डर से थोड़ा-बहुत लिखता हो या बहुत टाइम लगाता हो। ऐसे में जरूरी है- बच्चे की लेखन में रुचि बढ़ाना। उसे घर पर राइटिंग बुक या कलरफुल काॅपी लेकर दें और उसे रोजाना अपनी मनपसंद कविता, कहानी, किसी चीज़ के बारे में एक पेज सुंदर हैंडराइटिंग में लिखने के लिए मोटिवेट करें। उसे इसके लिए 15-20 मिनट का समय दें। इसे बच्चा एक खेल समझेगा, अपनी मनपसंद चीजें लिखेगा और याद करेगा। साथ ही उसकी राइटिंग स्पीड बढ़ेगी।
राइटिंग एनवायरनमेंट का रखें ध्यान

हो सकता है कि बच्चे की लिखने वाली जगह या पेंसिल ठीक न हो। ध्यान रखें कि बचपन से ही बच्चे को स्टडी टेबल पर बैठ कर लिखने की आदत डालें। बेड पर या नीचे जमीन पर लिखने से उसका पाॅश्चर ठीक नहीं होगा। इससे वह ठीक तरह स्पीड से लिख नहीं पाएगा, कमर दर्द की समस्या भी होगी। जब तक बच्चे की लिखने की स्पीड अच्छी न हो, उसे गोल पेंसिल न देकर तिकोनी पेंसिल लिखने के लिए दें। इससे उनकी ग्रिप अच्छी होगी और वह जल्दी लिख पाएगा। लिखते हुए बच्चे को दूसरे हाथ से काॅपी अच्छी तरह दबाकर लिखने की आदत डालें। इससे वो जल्दी लिख पाएंगे।
