Summary: मानसिक रूप से मजबूत बच्चे ही बनाते हैं मजबूत समाज – जानें कैसे
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की शिक्षा उन्हें अपनी भावनाओं को समझने, तनाव से निपटने और आत्मविश्वास के साथ फैसले लेने में सक्षम बनाती है। मानसिक रूप से मजबूत बच्चे न सिर्फ पढ़ाई में बेहतर करते हैं बल्कि जीवन की चुनौतियों का भी समझदारी से सामना कर पाते हैं।
Mental Health Education: बच्चे अपने मानसिक स्वास्थ्य को समझ पाएं, अपनी भावनाओं के प्रति अधिक जागरूक हो पाएं इसके लिए जरूरी है बच्चों को स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी दी जाए। बच्चे जब मानसिक रूप से मजबूत होते हैं तब वह अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का बेहतर तरीके से समाधान ढूंढ पाते हैं। बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा उनके पढ़ाई के दौरान होने वाले तनाव को कम करने तथा उससे निपटाने में भी मददगार होता है। बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होने से उनका समग्र विकास होता है। आइए कुछ मुख्य बिंदु पर चर्चा करते हैं, बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा क्यों जरूरी है;
तनाव मुक्त रहने में मददगार
जब बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं तो वह ज्यादा तनाव मुक्त रहते हैं। वह अपने पाठ्यक्रम को बोझ समझने की वजह, जरूरी समझते हैं। वह समझते हैं पढ़ाई के महत्व को तथा जीवन में विकास के लिए पढ़ाई की आवश्यकता को। वह सीखने के दौरान आने वाली समस्याओं को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने की कला को जानते हैं तथा बेहतर तरीके से किसी भी कार्य को सीख पाते हैं।
बदलाव को पहचानने में मदद
बच्चे मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा के साथ अपने अंदर हो रहे बदलाव को न सिर्फ महसूस कर पाते हैं, बल्कि उसके प्रति जागरूक भी होते हैं। वह अपने बदलते भावनाओं खुशी, डर, भय, गुस्सा, तनाव आदि में फर्क कर पाते हैं और वह इसके कारण को समझने की कोशिश करते हैं तथा अपने भावनाओं को संतुलित करने की कोशिश करते हैं। बच्चों के अंदर यह सब कर पाना संभव है, मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा के साथ।
लोग क्या कहेंगे इसका डर नहीं

जब बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ होता है तो वह ज्यादा दृढ़ संकल्प होता है, अपने लक्ष्य के लिए तथा अपने पसंद के कार्य के लिए बच्चा मानसिक मजबूती के साथ यह समझने की क्षमता को विकसित कर लेता है कि जीवन में लोगों का काम कहना है पर उसे लोगे के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसके लिए जरूरी वह स्वयं है, लोग नहीं।
स्वयं अपने फैसले लेने की कला
मानसिक रूप से मजबूत बच्चा स्वयं अपने फैसले लेने की कला को जानता है। वह समझता है, जीवन में हर समय आपकी मदद के लिए आपके माता-पिता या अध्यापक नहीं होंगे। कुछ अनजान, अचानक आए मुश्किल समय में उन्हें अपने फैसले स्वयं लेने होंगे।
मदद मांगने में डर कैसा
जब आप बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत कर रहे होते हैं, तब आप उन्हें जीवन के अनिश्चिता से सामना करने का सफल मंत्र सीखा रहे होते हैं। आप उन्हें मानसिक रूप से मजबूती प्रदान कर रहे होते हैं। इस दौरान वह सीखते हैं, अगर अपने डर, भय या तनाव से बाहर निकालने के लिए मदद मांगनी पड़े तो मांगो। मदद मांगना शर्म की बात नहीं है, बल्कि मदद मांगना अपने भय, डर और तनाव से उभरने के लिए जरूरी और सामान्य विकल्प है।
इस तरह लागू करें मानसिक शिक्षा
मानसिक शिक्षा की कहानियों को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करें।
स्कूल में मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की उपलब्धता जरूरी है, ताकि बच्चे मुश्किल समय में मदद ले पाएं।
किस तरह बच्चे अपने तनाव को नियंत्रित कर सकते हैं, इसकी तकनीक स्कूल में सिखाई जानी चाहिए।
समय-समय पर शिक्षकों को ट्रेनिंग देना चाहिए, किस तरह वह बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा दे सकते हैं।
