Create A Healthy Routing
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Study pressure And Mental Health: आज का समय शिक्षा की दृष्टि से देखे तो सीखने से ज्यादा प्रतिस्पर्धा का ज्यादा है। जहां हर समय बस नंबरों की बात है, टॉप करने की बात है, चाहे वह घर हो, ट्यूशन हो या स्कूल। आज माता-पिता, अध्यापक सभी मिलकर बस इसी कोशिश में है हर बच्चा अच्छे नंबर लाए। बिना इस बात के विश्लेषण के की कौन सा बच्चा कितना कर सकता है। शायद नंबरों के इस दौड़ में हम अपने बच्चों को दौड़ते-दौड़ते उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भूल जाते हैं। शिक्षा जीवन में हर प्रकार से विकास करने के लिए जरूरी है। माता-पिता को अपने बच्चों के सीखने पर ध्यान देना चाहिए ना कि उनके नंबर सीट पर, हर बच्चा नंबर सीट पर अच्छा नहीं हो सकता। लेकिन सभी बच्चों में अच्छा सीखने की, करने की क्षमता होती है, इस क्षमता का विकास कर हम बच्चों को मानसिक दबाव से मुक्त कर सकते हैं।

तनाव और चिंता: लगातार टेस्ट एग्जाम और असाइनमेंट के कारण कई बच्चे अपने ऊपर अधिक नंबर लाने और पहले से बेहतर करने का दबाव महसूस करते हैं। ऐसे बच्चे लगातार टेस्ट एग्जाम और असाइनमेंट को अपने ऊपर बोझ समझ कर खुद को चिंता और तनाव में महसूस करते हैं। बच्चों में लंबे समय तक अगर यह स्थिति बनी रहती है तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है।

Study Pressure
Study pressure And Mental Health

अवसाद का कारण: सभी बच्चे पढ़ाई में अच्छे नहीं होते, और कई बच्चे काफी कोशिशें के बाद भी अच्छा नहीं कर पाते और खुद को असफल समझते हैं। खुद को असफल समझने की बच्चों की यह सोच धीरे-धीरे उनका मनोबल काम करता है। वह अवसाद के शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को अपने बच्चों की कोशिशें को प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि उनके कम नंबर पर डांटना चाहिए और ना हैं अधिक नंबर के लिए उन्हें प्रेशर देना चाहिए।

आत्मविश्वास की कमी: अगर बच्चे की कोशिशों के लिए प्रोत्साहित न करके उन्हें बार-बार उनकी असफलता के बारे में कहते हैं तो वो खुद को एक असफल विद्यार्थी समझ लेते हैं, तथा उनके आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में कई बच्चे अपने आप असफलता को अपनी स्थिति समझ कर कोशिश करना भी छोड़ देते हैं जो कि उनके भविष्य के विकास के लिए एक खतरा है।

आक्रामक और चिड़चिड़ापन: कई बार देखने में आता है, जब बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव डाला जाता है तो वह उन्हें आक्रामक और चिड़चिड़ा बना देता है। ऐसी स्थिति में बच्चा अपनी पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को खराब कर लेता है।

माता-पिता को समझना होगा उनका बच्चा पढ़ाई में कितना बेहतर कर सकता है, उसके अनुसार ही उस पर दबाव दे। अगर वह अपनी क्षमता से अधिक कोशिश कर रहा है तो उसकी कोशिशों को प्रोत्साहित करें। उसे समझाएं नंबरों से ज्यादा जरूरी सीखना है और वह बेहतर तरीके से सीख रहा है, बाकी आप उसके सीखने में अपनी समझ से पूरी मदद करेंगे। आप अपने बच्चों को अपने विश्वास में रखें कि आप उनकी कोशिशें को देख रहे हैं और समझते हैं।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...