अच्छे दोस्त, अच्छे अनुभव और अच्छी जिंदगी। ये बात दोस्ती के हर रिश्ते पर लागू होती है। इसलिए दोस्तों का अच्छा होना और प्रेरित करने वाला होना बहुत जरूरी है। अच्छे दोस्त जहां जिंदगी में कमाल दिखाने के लिए तैयार कर देते हैं तो खराब दोस्त आपको बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। लेकिन बच्चों के लिए गलत-सही का निर्णय लेना थोड़ा कठिन होता है। उनके लिए कौन सा दोस्त अच्छा और कौन सा बुरा, का चुनाव करना कठिन होता है। उनको आपके दिशा-निर्देश की जरूरत होती है। आपको चाहिए कि आप बच्चों को जीवन में दोस्तों की अहमियत समझाएं, उन्हें बताएं कि अच्छे दोस्तों के बिना जीवन अधूरा है। वहीं बुरे दोस्त जितना दूर रहें उतना ही अच्छा है। उन्हें आप टिप्स दे सकते हैं, जिनसे बच्चे अच्छे और बुरे दोस्तों में अंतर कर सकेंगे। वो फिर आगे की जिंदगी में भी दोस्तों के अच्छे होने पर ध्यान देंगे और चुनाव भी इन्हीं दोस्तों का करेंगे। 
दोस्त कैसे लगते हैं? 
अपने बच्चों के साथ जब भी अकेले में बैठें तो उनसे उनके दोस्तों के बारे में सोच जरूर पूछिए। उनसे पूछिए कि वो अपने हर दोस्त के बारे में क्या सोचते हैं। या इस दौरान साथ बिताए पलों और बातों के बारे में भी पूछा जा सकता है। आपके बच्चे इन्हीं किस्सों के सहारे दोस्तों के बारे में अपने व्यू जरूर बता देंगे। उनकी बातों से आपको दोस्तों की कमियां और खूबियां दोनों पता चल जाएंगी। देखिएगा ‘उसने ये कहा, मैंने ये कहा’ के साथ ही आपको बच्चों को क्या अच्छा लगता है और क्या बुरा, खुद ही पता चल जाएगा। और इन बातों से आप अपना निर्णय ले पाएंगी समझ पाएंगी कि कौन सा दोस्त अपेक बच्चे के लिए अच्छा है और कौन सा बुरा। 
ये देखो मेरे पास क्या है-
अक्सर बच्चे पियर प्रेशर महसूस करते हैं। उनके दोस्त अपनी चीजों का दिखावा करते हैं। वो कहते हैं ये देखो मेरे पास क्या है, ये तुम्हारे पास नहीं है। ऐसे दोस्त बिलकुल भी अच्छे नहीं हो सकते। बच्चों को सबसे पहले तो दूसरों से तुलना करने से रोकना होगा। उन्हें बताना होगा कि देखा देखि कोई काम करना गलत होता है। सबके पास सबकुछ हो ये जरूरी तो नहीं। अगर तुम्हारा प्यारा दोस्त अपनी चीजें सिर्फ इसलिए दिखा रहा है कि आप दुख महसूस करें, तो ये दोस्त असल दोस्त बिलकुल नहीं हैं। बच्चे को बताइए कि ऐसे दोस्त को दोस्त ना मानें। अपनी चीजों का दिखावा करने वाला बच्चा अच्छा दोस्त नहीं बन सकता क्योंकि उसका मन तो इन भौतिक चीजों में ही लगा रहेगा। वो इससे आगे भावनाओं को समझने में असमर्थ ही रहेगा। 
दोस्त का मजाक-
रोहन का दोस्त शोभित अक्सर ही उसके मोटापे का मजाक बनाता रहता है। ऐसा वो अकेले में करता है और हंसी में बात खत्म हो जाती है तो ठीक है। लेकिन यही मजाक का दौर पूरे ग्रुप में भी भी चलता है तो शोभित रोहन का दोस्त बिलकुल नहीं है। वो तो सिर्फ रोहन को हंसी के कारण के जैसे इस्तेमाल करता है। या कह लें खिलौना। बच्चों को समझाइए कि जो दोस्त सिर्फ आपका मजाक बनाए और जरूरत के समय साथ भी ना खड़ा हो, वो दोस्त बिलकुल नहीं हो सकता है। उस दोस्त का साथ छोड़ देने में ही भलाई है क्योंकि ऐसा ना करने में आत्मविश्वास पीछे छूटता जाएगा फिर भले ही दोस्ती बढ़ती ही क्यों न जाए। आपको हमेशा हंसी का जरिया मानने वाले साथी का साथ छोड़ देना आगे की जिंदगी में बच्चे के लिए फायदेंमंद होगा। 
सच का साथ-
क्या एक दोस्त के साथ आपके बच्चे को सच का साथ भी मिला है मतलब आपका बच्चे से उसका दोस्त जो भी बातें कहता है क्या वो हर बार सच होती हैं। अगर हां, तो दोस्त सच्चा। लेकिन ज्यादातर बार काही गई बातें झूठ ही निकलती हैं तो फिर दोस्ती में दिक्कत है। आपके बच्चे के लिए ये बच्चा दोस्त तो बिलकुल नहीं है। इसलिए बच्चे को समझाइए कि ऐसे बच्चे को दोस्त तो ना मानें और ना ही इससे आगे दोस्ती ही रखे। ऐसे बच्चे से समय रहते दोस्ती तोड़ लेने में ही भलाई रहेगी। क्योंकि ऐसा बच्चा ना जाने किस-किस मामले में झूठ बोलेगा, आपका बच्चा समझ ही नहीं पाएगा। फिर उसे दुख होगा और धोखा भी मिल सकता है।  
आपके दोस्त-
आपके दोस्त कैसे थे? आपके दोस्त ने कैसे एक बार धोखा दिया था? कैसे बुरी आदतों वाले दोस्त के साथ आपने बहुत समय खराब कर दिया? ये सारी वो बातें हैं, जो आपको अपने बच्चों से साझा करनी हैं। उन्हें बताना है कि कैसे गलत दोस्तों का साथ जिंदगी भर की दिक्कतें दे देता है। आप वो नहीं कर पाते जो करना चाहते थे। लेकिन इस काम के लिए आपकी बच्चों से दोस्ती अच्छी होनी चाहिए। मतलब वो आपको दोस्त समझेंगे, तभी आपकी दोस्ती के किस्से सुन पाएंगे। नहीं तो वो डर से भले ही आपकी बात सुन लें लेकिन दिल से नहीं सुनेंगे और ना ही समझेंगे। जब वो आपको दोस्त समझेंगे तब ही आपकी दोस्ती के किस्से, धोखे और गलतियों के सही मायने भी समझ पाएंगे। 
स्टेप बाय स्टेप-
बच्चों को सच्ची और अच्छी दोस्ती के मायने समझाने के लिए आप एक बार में रिजल्ट की अपेक्षा बिलकुल न करें बल्कि स्टेप बाय स्टेप सबकुछ समझाने की कोशिश करें। आपके समझाने का असर भी धीरे-धीरे होगा। जैसे पहले उसे बताइए कि ये दोस्ती सही नहीं है। वो ना समझे तो फिर उसके साथ बैठकर अपने उदाहरण देकर बात समझाइए। उसको बताइए कि आप उसके बेस्ट फ्रेंड बनेंगे। गलत दोस्त का साथ छोड़ दो। इसके बात भी वो ना समझे तो आप थोड़ा सख्त भी हो सकती हैं।