Parenting Tips: सुविधाओं के इस युग में हर व्यक्ति का स्वभाव बदलता ही जा रहा है। कोई नरम मिजाज का होता है तो वहीं कोई गरम। लेकिन किसी का स्वभाव एक दिन में नहीं बनता बल्कि इसके लिए हमारा पूरा बचपन जिम्मेदार होता है। हम हर रोज कुछ न कुछ सीखते हैं और यह हमारे स्वभाव में शामिल हो जाता है। हमारा बचपन ही हमारा भविष्य तय करता है। गुस्सा दिखाना, जिद करना और उल्टा जवाब देना बच्चों का स्वभाव होता है, लेकिन अगर कोई बच्चा इससे ज्यादा प्रभावित होने लगे तो यह उसके भविष्य को खतरे में डाल सकता है। यहां तक कि कुछ बच्चे तो अपने आप को नुकसान पहुंचाने की कोशिश, ,अपनी पढ़ाई को ही बीच में छोड़ देना और घर छोड़ने जैसी हरकतें भी करते हैं, जिसकी वजह से पैरेंट्स उनकी हर बात को मनाना शुरू कर देते हैं।
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बच्चे के साथ बहस करने से बचें

जिद्दी और चिड़चिड़ापन का शिकार रहने वाले बच्चों की इच्छा शक्ति काफी मजबूत होती है। ऐसे बच्चों की बातों और फरमाइशों को अगर पूरा ना किया जाए तो वह हर बार बहस करने लगते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पेरेंट्स भी उनकी बातों का जवाब दें। ऐसा करने पर बच्चा और भी ज्यादा जिद्दी बन जाएगा। उसकी बातों को न पूरा करने पर वह हर बात को दरकिनार करना शुरू कर देगा। इसलिए ऐसे बच्चों के सामने खुद बहस ना करें बल्कि उसकी बातों को सुनें।
मारे नहीं समझाएं
कई बच्चे जब जिद करने लगते हैं या बहस करना शुरू कर देते हैं तो अभिभावक उनको मारना पीटना ही सही समझते हैं और कई पेरेंट्स तो अपने बच्चों को अंधेरे कमरे में भी बंद कर देते हैं, जो सरासर गलत है। अपने बच्चे की ऐसी गलतियों पर उन्हें मारने की जगह प्यार से समझाने की कोशिश करें क्योंकि बच्चों के साथ अपने आप को भी बच्चा बनाना पड़ता है। तभी आपका बच्चा आपसे कनेक्ट हो पाएगा।
ऑर्डर नहीं ऑप्शन दें
कई लोग अपने बच्चों को हर बात पर आर्डर देते हैं और गुस्सा करके चिल्लाते हैं। ऐसा बिल्कुल भी ना करें। अपने बच्चे को ऑप्शन दें। यदि बच्चा किसी मनपसंद चीज को खरीदने की जिद करें या दूसरों की चीजों को मांगने की जिद करें तो ऐसे में उसके लिए कोई अन्य खिलौने या खेल का विकल्प रखें ताकि वह अपनी जिद को भूल सके और उसका ध्यान आपके विकल्प पर चला जाए।
बच्चे की पूरी बात सुनें

अगर आपका बच्चा जिद करता है या रोता है तो उससे आराम से बैठकर पूछें कि आखिर वो उस चीज का डिमांड क्यों कर रहा है। उसकी पूरी बात सुनें और फिर उसे अच्छे से समझाएं। आप अपनी बातों को कहानियों में बदलकर भी समझा सकते हैं क्योंकि बच्चों को कहानियां बहुत पसंद होती हैं और इससे जल्दी समझते हैं।
कुछ नियम कायदे बनाएं
भले ही आप बच्चे से कितना भी लाड-प्यार क्यों न करते हों, लेकिन उनके बेहतर भविष्य के लिए कुछ नियम कायदे तय होने चाहिए। उन्हें समझाएं कि नियम तोड़ने पर उनके लिए ही नुकसान होगा। नियम तय होने पर बच्चा अनुशासन में रहेगा और जिद करना कुछ हद तक कम कर देगा। हालांकि अनुशासन और नियम बहुत अधिक कठोर न बनाएं। अगर आपका बच्चा ज्यादा समय मोबाइल या टीवी पर बिताता है तो उसके लिए एक लिमिट सेट करें। वहीं कई बार बच्चे यूट्यूब या सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी वीडियोज देखने लगते हैं, जिनमें जिद्दी बच्चे अपनी बातें मनवाते हैं। ऐसी चीजें देखकर भी बच्चे अपना व्यवहार बदलते हैं तो बच्चे पर ध्यान दें कि वो कैसी वीडियोज देख रहा है।
दोस्त जैसे व्यवहार करें
बचपन में बच्चों के अंदर सबसे ज्यादा जिद्दीपन और गुस्सा देखा जाता है। इस नाजुक उम्र में बच्चों का मानसिक तौर पर कई चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। यह ऐसी स्टेज होती है, जहां पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे अपने मन की बातें शेयर करते हैं और गलत संगत में नहीं पड़ते हैं। कभी भी अपने बच्चों को दूसरों के बच्चों से कंपेयर ना करें और दूसरों के सामने अपने बच्चों पर न चिल्लाएं। गलती करने पर उन्हें आप अकेले में जाकर समझा सकते हैं।
