Develop Social Skills in Children: सोशल स्किल बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है। सोशल स्किल में कमी के कारण बच्चों के अंदर सामाजिक जुड़ाव, सहभागिता के साथ कार्य करना, स्थिति को समझने तथा दूसरों की भावनाओं को समझना जैसे कई गुणों का सही से विकास नहीं हो पता है। बच्चे का सामाजिक विकास होना कोई एक दिन का कार्य नहीं है और ना ही इसे एक दिन में सिखाया जा सकता है। सोशल स्किल एक प्रक्रिया है जो बच्चों को हर रोज के प्रयास के साथ सिखाया जा सकता है। आइए जानते हैं, माता-पिता किस तरह अपने बच्चों के अंदर सोशल स्किल को विकसित कर सकते हैं।
शेयरिंग का गुण
शेयरिंग अर्थात साझा करना या अपनी चीज को दूसरों के साथ बांटना। आज ज्यादातर बच्चा ‘यह मेरा है’ की भावना से परिपूर्ण है। बचपन में इस तरह के स्वभाव का होना कोई बड़ी बात नहीं है। ज्यादातर बच्चे इस तरह के भाव रखते हैं, लेकिन जब बच्चे बड़े होते हुए भी ‘यह मेरा है’ भाव रखते हैं तो यह उनके सामाजिक विकास में बाधा का काम करता है। ऐसी परेशानी आपके बच्चे के साथ ना हो इसके लिए जरूरी है, आप अपने बच्चों को शेयरिंग जैसे गुण सिखाएं। ऐसा नहीं है कि बच्चा शुरुआत में आपके कहने से अपनी चीज दे ही दे, लेकिन जब आप उसे प्यार से दो-तीन बार निवेदन करते हैं तो वह अपनी चीज बांटने के लिए तैयार हो जाता है।

आप उसके बांटने के इस निर्णय की तारीफ करें। उसके गुणों की सराहना करें। उसे महसूस करवाएं, उसने शेयरिंग करके बहुत अच्छा काम किया है। जब आप इस तरह से उसे बांटने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो वह खुशी के साथ इस गुण को अपनाता है। शेयरिंग से बच्चों के अंदर उदारता और सहयोग की भावना का विकास होता है।
बारी-बारी से खेलना
अक्सर हमने देखा है, बच्चों की प्रवृत्ति होती है उसे अपने से ज्यादा दूसरों के खिलौने पसंद आते हैं। ऐसा एक दो बच्चों में नहीं ज्यादातर बच्चों में देखा जाता है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों तथा उसके दोस्तों के बीच खिलौनों से खेलने की प्रक्रिया को व्यवस्थित करते हुए उन्हें समझाएं 10 मिनट के समय अंतराल पर सभी बारी-बारी से खेलें। ऐसा करने से सभी बच्चे अपनी पसंद के खिलौने से खेल पाएंगे तथा अपनी बारी तक इंतजार करने का गुण उनके अंदर विकसित होगा।
नैतिक कहानियां सुनाएं
कहानियां बच्चों के लिए न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि उनके सुनने तथा ध्यान देने के कौशल का विकास करने में उपयोगी भी हैं। आप अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा से जुड़ी कहानियां सुनाएं, कहानियों के दौरान उनसे चरित्रों के नाम पूछे, आगे क्या होना चाहिए उनकी राय लें। इस तरह से वह एक सक्रिय श्रोता बनेंगे। एक सक्रिय श्रोता ही अच्छा वक्त हो सकता है। आप कहानियों के जरिए न सिर्फ अपने बच्चों के ध्यान से सुनने की क्षमता का विकास करते हैं, बल्कि कहानियों के दौरान आपके द्वारा पूछे गए सवाल उनके ध्यान को विकसित करते हैं।
विनम्रता भरे शब्द सिखाएं
हमारे रोजमर्रा के जीवन में कुछ ऐसे शब्द जिनका प्रयोग हमारे व्यक्तित्व को विनम्र बनता है, यह शब्द है; कृपया, माफ करना, धन्यवाद। इन शब्दों से अपने बच्चों को परिचित करवाएं। अपने बच्चों के साथ इन शब्दों का भरपूर प्रयोग करें। उन्हें ऑर्डर देने की बजाय कहें, प्लीज मेरा काम कर दो। अपनी गलती होने पर उनसे माफी मांगे तथा अगर आपका बच्चा आपकी मदद करता है तो उसे धन्यवाद भी बोले। आप उसके साथ जैसा व्यवहार करते हैं वैसा ही वह आपसे सीखता है।
